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दैनिक भास्कर हिंदी: एयरक्राफ्ट AN-32 की सर्च में ISRO भी हुआ शामिल, सैटेलाइट के जरिए करेगा मदद

हाईलाइट
- AN-32 एयरक्राफ्ट का पता लगाने के लिए ISRO ने भी सर्च मिशन जॉइन कर लिया है
- ISRO अपने सैटेलाइट के जरिए एयरक्राफ्ट का पता लगाने की कोशिश करेगा
- एयरक्राफ्ट की सर्च के लिए इंडियन नेवी के P-8I विमान को भी तैनात किया गया है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इंडियन एयरफोर्स के लापता हुए AN-32 एयरक्राफ्ट का पता लगाने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने भी सर्च ऑपरेशन जॉइन कर लिया है। ISRO अपने सैटेलाइट के जरिए एयरक्राफ्ट का पता लगाने की कोशिश करेगा। इसके अलावा एयरक्राफ्ट की सर्च के लिए इंडियन नेवी के लॉन्ग रेंज मैरीटाइम टोही विमान P-8I को भी तैनात किया गया है।
EO & IR सेंसर के साथ सर्च
नेवी के विमान जोरहाट और मेचुका के बीच घने जंगलों में इलेक्ट्रो ऑप्टिकल और इंफ्रा रेड (EO & IR) सेंसर के साथ सर्च को अंजाम देंगे, जहां AN-32 लापता हो गया था। लापता विमान ने सोमवार को असम के जोरहाट से 12.25 बजे उड़ान भरी और लगभग 1 बजे ग्राउंड स्टेशन से उसका संपर्क टूट गया था। अरुणाचल प्रदेश के मेचुका एडवांस लैंडिंग ग्राउंड में दोपहर 1.30 बजे उसे पहुंचना था।
क्या कहा एयरफोर्स ने?
इंडियन एयरफोर्स (IAF) के प्रवक्ता ने मंगलवार को कहा, 'मौसम साफ होते ही सर्च एंड रेस्क्यू (SAR) फिर से शुरू हो गया है। दो Mi17 और एक ALH हेलीकॉप्टर को पहले ही सेना और ITBP की जमीनी पार्टी के साथ तैनात किया जा चुका है। अधिक विमानों की भी तैनाती की जा सकती है।' बता दें कि वायुसेना ने एयरक्राफ्ट का पता लगाने के लिए अपने सभी संसाधनों को नियोजित किया है। सोमवार को एक सुखोई-30MKI और C-130 स्पेशल ऑपरेशन एयरक्राफ्ट को भी सर्च ऑपरेशन पर तैनात किया गया था।
ग्रुप कैप्टन अनुपम बैनर्जी ने कहा कि सर्च ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए यह थोड़ा मुश्किल इलाका है क्योंकि वहां काफी घनी वनस्पति है। यह एक मुश्किल ऑपरेशन है लेकिन हम अपने सभी साधनों, इलेक्ट्रॉनिक यानी इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल साधनों का उपयोग कर रहे हैं। इसका विश्लेषण करने के बाद हम विजुअल लुकआउट करेंगे। उन्होंने कहा इस क्षेत्र की तस्वीर लेने के लिए ISRO के उपग्रहों का भी उपयोग किया जा रहा है, जिनका विश्लेषण कर आगे का सर्च ऑपरेशन किया जाएगा। सर्च के प्रयास के बारे में सभी लापता कर्मियों के परिजनों को सूचित कर दिया गया है। हम उनके साथ लगातार संपर्क में हैं।
इससे पहले IAF के प्रो विंग कमांडर रत्नाकर सिंह ने कहा, 'एक क्रैश साइट के संभावित स्थान की कुछ जमीनी रिपोर्ट मिली थी। हेलीकॉप्टरों को उस स्थान पर भेजा गया। हालांकि, अभी तक किसी भी मलबे को देखा नहीं गया है। IAF एयरक्राफ्ट का पता लगाने के लिए भारतीय सेना के साथ-साथ गवर्नमेंट और सिविल एजेंसियों की भी मदद ले रही है।'
राजनाथ सिंह ने की एयर मार्शल से बात
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को लापता IAF का AN-32 एयरक्राफ्ट को लेकर वायुसेना के वाइस चीफ, एयर मार्शल राकेश सिंह भदौरिया से बात की थी। सिंह ने बताया था कि एयर मार्शल ने उन्हें विमान की तलाश करने के लिए वायुसेना की ओर से उठाए गए कदमों से अवगत कराया। राजनाथ सिंह ने सभी यात्रियों की सुरक्षा के लिए भी प्रार्थना की थी।
जोरहाट से भरी थी एयरक्राफ्ट ने उड़ान
बता दें कि AN-32 एयरक्राफ्ट सोमवार को असम के जोरहाट से उड़ान भरने के बाद से लापता है जिसमें क्रू मेंबर सहित 13 लोग सवार थे। असम के जोरहाट से 12.25 बजे एयरक्राफ्ट ने उड़ान भरी थी। अरुणाचल प्रदेश के मेचुका एडवांस लैंडिंग ग्राउंड पर एयरक्राफ्ट को दोपहर 1.30 बजे लैंड करना था, लेकिन 1 बजे के बाद एयरक्राफ्ट का ग्राउंड एजेंसीज से संपर्क टूट गया। मेचुका एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम सियांग जिले में मेचुका घाटी में स्थित है। यह मैकमोहन लाइन के पास भारत-चीन सीमा के सबसे नज़दीकी लैंडिंग ग्राउंड है।
मेचुका एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड का महत्व
समुद्र तल से लगभग 1830 मीटर की ऊंचाई पर और चीन सीमा के करीब स्थित, मेचुका चीन के साथ 1962 के युद्ध के दौरान कई रणनीतिक स्थानों में से एक था। लंबे समय तक इस साइट का उपयोग नहीं किया गया। साल 2013 में इसे रिकंस्ट्रक्ट करने का निर्णय लिया गया। IAF वर्क्स विभाग ने 30 महीनों के रिकॉर्ड समय में कार्य पूरा किया। ईटानगर से सड़क मार्ग से लगभग 500 किलोमीटर दूर, मेचुका चीन सीमा से केवल 29 किलोमीटर दूर है और पहले से ही सीमांत राज्य में एक प्रमुख पर्यटक सर्किट का हिस्सा है।
1984 में IAF में हुआ था शामिल
AN-32 सोवियत एरा का ट्विन-इंजन टर्बोप्रॉप ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट है, जिसे पहली बार 1984 में IAF में शामिल किया गया था। आखिरी बार IAF का यह एयरक्राफ्ट 22 जुलाई 2016 को लापता हुआ था, जब अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के लिए इसने चेन्नई से उड़ान भरी थी। यह एयरक्रफ्ट बंगाल की खाड़ी के ऊपर लापता हो गया था। हफ्तों तक सर्च और रेस्क्यू अभियान जारी रहा लेकिन विमान कभी नहीं मिला। इसके बाद विमान में सवार सभी 29 लोगों को डेड मान लिया गया।
गणतंत्र दिवस : स्कोप ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन में मनाया गया गणतंत्र दिवस समारोह
डिजिटल डेस्क, भोपाल। स्कोप ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस में 74वां गणतंत्र दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. डी.एस. राघव निदेशक, स्कोप ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन उपस्थित थे। गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में डॉ. सत्येंद्र खरे, सेक्ट कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल एजुकेशन के प्रिंसिपल, डॉ. नीलम सिंह, सेक्ट कॉलेज ऑफ बीएड की प्रिंसिपल और डॉ. प्रकृति चतुर्वेदी, स्कोप पब्लिक हायर सेकेंडरी स्कूल की प्रिंसिपल विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुएl कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. डी.एस.राघव ने झन्डा फंहराया गया तथा विद्यालय के छात्र छात्राओं ने अनुशासन एवं कौशल का परिचय देते हुए आकर्षक परेड की प्रस्तुति दीl विद्यालय के बच्चों द्वारा शारीरिक व्यायाम के महत्व को प्रकट करते हुए मनमोहक पीटी प्रस्तुत की गई l
स्कोप इंजीनियरिंग कॉलेज, बी.एड कॉलेज, स्कोप प्रोफेशनल कॉलेज तथा स्कोप स्कूल के विद्यार्थियों ने राष्ट्रीय एकता अखंडता एवं देश प्रेम से ओतप्रोत प्रस्तुतियां दीl कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण उरी हमले पर आधारित नृत्य नाटिका तथा रानी लक्ष्मीबाई के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को चित्रित करता हुआ नृत्य गीत था। मुख्य अतिथि डॉ डीएस राघव ने अपने संबोधन में कहा कि हम अपने कर्तव्यों का निर्वाहन ईमानदारी एवं पूर्ण निष्ठा के साथ करते हैं तो यही आज के समय में हमारी सच्ची देश सेवा है। कार्यक्रम के अंत में विद्यालय की प्राचार्या डॉ. प्रकृति चतुर्वेदी ने सभी को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कार्यक्रम की आयोजन समिति के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हम अपने उद्देश्य के प्रति ईमानदार रहेंगे और उसके प्रति पूर्ण कर्तव्यनिष्ठा से कार्य करेंगेl
वनमाली सृजनपीठ: बाल कलाकारों द्वारा राम भजन की मनमोहक प्रस्तुति
डिजिटल डेस्क, भोपाल। विश्वरंग के अन्तर्गत बाल प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने वनमाली सृजनपीठ में रामभजन माला का आयोजन किया गया, जिसमें राम के भजनों की सुन्दर प्रस्तुति बच्चों के द्वारा दी गयी। कार्यक्रम का आरम्भ मालविका राव चतुर्वेदी के भजन- 'श्रीरामचन्द्र कृपालु भज मन' से हुआ। इसी कड़ी में स्वरा वत्स ने राम के विभिन्न रूपों का वर्णन करते हुए 'राम-राम दशरथ नन्दन राम' भजन से सबको मन्त्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए मोही और जयगी ने 'राम-राम सब नाम जपो', रेखा ने राग ख्याल में छोटे 'ख्याल' और कियारा ने 'राम भजो आराम तजो', निवेदिता सोनी ने 'श्याम का गुणगान करिये ' गाकर माहौल को राममय कर दिया।
कार्यक्रम के अगले चरण में मालविका द्वारा मीराबाई का प्रसिद्ध भजन 'पायो जी मैंने राम रतन धन पायो' और स्वरा ने श्याम कन्हाई गाकर राम के साथ कृष्ण भक्ति से भी परिचय कराया। बच्चों को प्रोत्साहित करते हुए आईसेक्ट लिमिटेड के निदेशक डॉ. सिद्धार्थ चतुर्वेदी ने 'राम भक्त ले चला राम की निशानी' और अन्य भजन गाकर बच्चों का हौसला बढ़ाया। इसके बाद सभी बच्चों की संगीत गुरु श्यामा ने अपना स्वचरित भजन 'राम नाम सुखदायक' की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में विश्वरंग के निदेशक संतोष चौबे, वनमाली सृजनपीठ भोपाल के अध्यक्ष मुकेश वर्मा, आईसेक्ट लिमिटेड के निदेशक डॉ. सिद्धार्थ चतुर्वेदी, गेटसेट पेरेंट की निदेशक पल्लवी राव चतुर्वेदी, विश्वरंग की सहनिदेशक डॉ. अदिति चतुर्वेदी वत्स, नितिन वत्स, इलेक्ट्रॉनिकी आपके लिए की सम्पादक डॉ. विनीता चौबे, प्रभा वर्मा, वनमाली सृजनपीठ की राष्ट्रीय संयोजक ज्योति रघुवंशी, टैगोर विश्वकला केन्द्र के निदेशक विनय उपाध्याय सहित बच्चों के अभिभावक और नाना-नानी, दादा-दादी भी उपस्थित रहे।
मनोरंजन: हरेक रीज़नल इंडस्ट्री की प्रतिभाओं को एक सशक्त मंच उपलब्ध कराने की कोशिश में जुटा हुआ है 'क्रिएटिव वाइब': संतोष खेर
डिजिटल डेस्क, मुंबई। एस. एस. राजामौली की फ़िल्म 'RRR' के मशहूर गाने 'नातू नातू' ने गोल्डन ग्लोब्स जीतकर एक बार फिर से यह साबित कर दिया है क्षेत्रीय सिनेमा भी विश्वभर में अपनी छाप छोड़ने का दमखम रखता है. पिछले साल क्षेत्रीय सिनेमा और ओटीटी ने ऐसे दमदार कंटेट से दर्शकों को रूबरू कराया दर्शकों की उम्मीदें आसमान छूने लगी हैं. सिनेमा को नई ऊंचाई पर ले जानेवालों में कई लोग मशक़्क़त कर रहे हैं और इनमें से एक अहम नाम है प्रोडक्शन हाउस 'क्रिएटिव वाइब' का. उल्लेखनीय है भाषाओं से परे यह प्रोडक्शन हाउस देशभर में मौजूद नायाब तरह के कंटेट की संभावनाओं को खंगाल रहा है और नई-नई प्रतिभाओं को आगे आने का मौका दे रहा है।
'क्रिएटिव वाइब' के संस्थापक संतोष खेर कहते हैं कि लोग ना सिर्फ़ गुणवत्तापूर्ण कंटेट देखना चाहते हैं, बल्कि वे चाहते हैं कि विभिन्न रीजनल इंडस्ट्रीज़ से जुड़े तमाम प्रतिभाशाली लोगों को काम करने के लिए उचित मंच भी उपलब्ध कराया जाए. वे कहते हैं, "हमारे देश में ऐसे प्रतिभाशाली लोगों की कोई कमी नहीं है जो गुमनाम हैं और ऐसे लोगों के बारे में आम दर्शकों को ज़्यादा कुछ पता भी नहीं होता है. हम सृजनकर्ताओं व पेशवर लोगों को आम दर्शकों के सामने लाएंगे जिसके चलते हम दुनियाभर के सिनेमा से मुक़ाबला करने में पूरी तरह से सक्षम साबित होंगे।"
'क्रिएटिव वाइब' के लिए साल 2022 एक उल्लेखनीय साल रहा है. इस दौरान प्रोडक्शन हाउस की ओर से 'अथंग" नामक एक चर्चित मराठी हॉरर वेब सीरीज़ का निर्माण किया गया. प्रोडक्शन हाउस ने 'चंद्रमुखी' नामक भव्य मराठी फ़िल्म बनाकर लोगों को चकित किया. इसके अलावा भी कई उल्लेखनीय कंटेट का निर्माण प्रोडक्शन हाउस की ओर से किया गया है. ऐसे में अब 'क्रिएटिव वाइब' साल 2023 में हिंदी, मराठी और गुजराती भाषा में कंटेट निर्माण में ज़ोर-शोर से जुट गया है. वेब द्वारा उपलब्ध कराये जानेवाले मौकों से अच्छी तरह से परिचित संतोष खेर कहते हैं, 'वेब शोज़ की दुनिया क्षेत्रीय भाषाओं में कंटेट बनानेवाले मेकर्स के लिए एक बड़ी राहत बनकर आई है जिसके चलते विविध तरह के टैलेंट को अपने अद्भुत कार्यों को सामने लाने और अपनी क्षमताओं का भरपूर प्रदर्शन करने का मौका मिल रहा है. हम वेब कंटेट के माध्यम से ही नहीं, बल्कि विभिन्न भाषाओं में बननेवाली फ़िल्मों को भी एक बड़े दर्शक वर्ग तक पहुंचाना चाहते हैं।"
संतोष खेर इस इंडस्ट्री से जुड़े पेशेवर लोगों के साथ काम करने और उन्हें मौका देने में यकीन करते हैं. इसे लेकर वे कहते हैं, "जब कभी हम क्षेत्रीय स्तर की प्रतिभाओं की बात करते हैं तो हम महज़ कलाकारों के बारे में ही सोचते हैं. लेकिन हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए किसी भी फ़िल्म/कंटेट के निर्माण में बड़े पैमाने पर अन्य लोग भी शामिल होते हैं. इनमें टेक्नीशियनों, कॉस्ट्यूम तैयार करनेवालों, लेखकों से लेकर अन्य तरह के कई और भी विभाग शामिल होते हैं जो किसी भॊ फ़िल्म को सफल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं. ग़ौरतलब है कि कैमरा के पीछे काम करनेवालों के नाम मुख्यधारा के सिनेमा द्वारा भी आसानी से भुला दिया जाता है. ऐसे में हमारा प्रोडक्शन हाउस इस स्थिति को बदलने, नये नये नामों को सामने लाने और पर्दे के पीछे काम करनेवाले लोगों को स्थापित करने के लिए प्रयत्नशील है ताकि ऐसे गुमनाम लोगों की भी अपनी एक अलग पहचान बन सके।"
लेकिन क्या प्रोफ़ेशनल लोगों को अपनी-अपनी इंडस्ट्री तक ही सीमित कर दिया जाएगा? इस सवाल पर संतोष खेर कहते हैं, "हमें ऐसी प्रतिभाओं को तैयार करने की ज़रूत है जो विभिन्न तरह की क्षेत्रीय इंडस्ट्रीज़ में काम कर सकें. अगर हम एक इंडस्ट्री से ताल्लुक रखनेवाली प्रतिभाओं को दूसरी इंडस्ट्री में काम करने का मौका मुहैया कराएंगे तभी जाकर हम सही मायनों में पैन इंडिया फ़िल्मों का निर्माण कर पाएंगे. हमने बड़े सुपरस्टार्स के साथ ऐसा होते हुए देखा है मगर ज़रूरत इस बात की है कि सभी भाषाओं की इंडस्ट्री से संबंध रखनेवाले कास्ट और क्रू के अन्य सदस्यों को भी इसी तरह के मौके दिये जाएं।"
प्रतिभाओं को परिष्कृत करने की सोच और पैन इंडिया सिनेमा के निर्माण का आइडिया सिनेमा के भविष्य के लिए अच्छा है, लेकिन अगर अन्य लोग भी सतोष खेर की तरह सोचने लग जाएं तो निश्चित ही वो दिन दूर नहीं है, जब सिनेमा की दुनिया जल्द ही आसमान की नई उंचाइयों को छूने लगेगी।
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