आज 'आधार' पर प्रेजेंटेशन, सरकार बोली- मोटी दीवार के पीछे सुरक्षित है डाटा

SC allows PowerPoint presentation by UIDAI CEO in court today
आज 'आधार' पर प्रेजेंटेशन, सरकार बोली- मोटी दीवार के पीछे सुरक्षित है डाटा
आज 'आधार' पर प्रेजेंटेशन, सरकार बोली- मोटी दीवार के पीछे सुरक्षित है डाटा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को 2:30 बजे यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) के CEO डॉक्टर अजय भूषण पांडे "आधार स्कीम्स" को लेकर पॉवर पॉइंट प्रेजेंटेशन देने वाले हैं। इससे पहले बुधवार को केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट से आधार पर प्रेजेंटेशन देने की इजाजत मांगी थी। आधार की वैलिडिटी को लेकर चल रही सुनवाई के दौरान सरकार ने बुधवार को ये भी बताया था कि 13 फीट ऊंची और 5 फीट मोटी दीवार के पीछे आधार का डाटा सुरक्षित रखा गया है। 

पर्सनल डाटा को कलेक्ट करने की क्या जरूरत : SC

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) दीपक मिश्रा की बेंच ने सवाल किया कि "अगर आप सिर्फ नागरिकों की पहचान करना चाहते हैं, तो फिर आधार स्कीम्स के तहत उनका पर्सनल डाटा कलेक्ट करने की क्या जरूरत है?" इस पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि "UIDAI के CEO डाटा की सुरक्षा और आधार स्कीम्स से जुड़े सभी मुद्दों पर प्रेजेंटेशन के जरिए बताएंगे।" उन्होंने कहा कि "आधार का डाटा एक ऐसी बिल्डिंग के अंदर सुरक्षित है, जिसकी दीवार 13 फीट ऊंची और 5 फीट मोटी है।" 

"आधार" नहीं होने के कारण गरीबों का हक नहीं छीना जा सकता : SC

SC के सवाल, अटॉर्नी जनरल के जवाब

सुप्रीम कोर्ट : अगर आप सिर्फ नागरिकों की पहचान करना चाहते हैं, इसके लिए कम दखल वाले तरीके भी हैं। डाटा को कलेक्ट करने की क्या जरूरत है? सिंगापुर में हर व्यक्ति को चिप बेस्ड आइडेंटिटी कार्ड लेना होता है और उसका सारा पर्सनल डाटा सरकार के पास नहीं बल्कि उसके पास ही रहता है।

अटॉर्नी जनरल : इस बारे में UIDAI के CEO गुरुवार को प्रेजेंटेशन के जरिए जानकारी देंगे और साफ करेंगे। वैसे भी आधार में डाटा को कलेक्ट करना संभव नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट : पिटीशनर्स ने प्राइवेसी, गुमनामी, गरिमा, निगरानी, डाटा कलेक्शन, असंवैधानिक शर्तें, कानून का अभाव और सुरक्षा के मुद्दे को उठाया है।

अटॉर्नी जनरल : संविधान के आर्टिकल-21 (जीने का अधिकार) के दो पहलू हैं। जिसमें पहला भोजन के अधिकार और शिक्षा के अधिकार के बारे में है, जबकि दूसरा विवेक की आजादी और निजता के अधिकार के बारे में है। अब सवाल ये है कि किस पहलू को प्रायोरिटी मिलेगी। मुझे लगता है कि विवेक और निजता के अधिकार पर जीने के अधिकार को प्रायोरिटी मिलनी चाहिए। साथ ही जीने के अधिकार का मतलब सिर्फ पशु की तरह जीना नहीं है बल्कि गरिमा के साथ जीने का है।

अटॉर्नी जनरल : आधार से पहले तक राशन कार्ड और अज्ञात लाभकारियों के जरिए बड़े पैमाने पर हेराफेरी होती थी। कुछ NGO और व्यक्तियों की तरफ से निजता के अधिकार की वकालत की जा रही है, लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी समाज के निचले तबके को गरिमा के साथ जीने का अधिकार है।

चिदंबरम ने पूछा- "कॉन्डोम खरीदने के लिए "आधार" की क्या जरूरत है?"

प्रेजेंटेशन में क्या दिखाया जाएगा? 

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में आधार केस की सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने आग्रह किया कि आधार पर प्रेजेंटेशन देने के लिए UIDAI के CEO को इजाजत दी जाए। जिसे कोर्ट ने मंजूरी दे दी। अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट को बताया कि "कोर्ट में 2 स्क्रीन्स लगाई जाएंगी, जिसके जरिए UIDAI के CEO डॉ. अजय भूषण पांडे आधार को लेकर पॉवर पॉइंट प्रेजेंटेशन देंगे और आधार के बारे में सारी जानकारी देंगे।" अटॉर्नी जनरल ने कहा कि "प्रेजेंटेशन के जरिए डॉ. अजय 4 घंटे की बहस के बजाय एक घंटे में ही समझा सकते हैं।" उन्होंने बताया कि "आधार को लेकर कोर्ट में एक 4 मिनट का एक वीडियो भी दिखाया जाएगा, जिसमें बताया जाएगा कि आधार में डेटा कितनी सुरक्षित है। आधार से गरीबों को क्या फायदा हुआ है और इससे भ्रष्टाचार पर लगाम कैसे लगी है?"

आधार लिंकिंग की डेडलाइन अनिश्चितकालीन बढ़ी

इससे पहले 13 मार्च को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आधार लिंकिंग की डेडलाइन को अनिश्चितकालीन समय तक बढ़ा दिया था। कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा था कि जब तक आधार की वैलिडिटी पर कोई फैसला नहीं आ जाता तब तक आधार लिंकिंग की डेडलाइन को बढ़ाया जाता है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि "मोबाइल, बैंक, पासपोर्ट जैसी सेवाओं के लिए आधार फिलहाल जरूरी नहीं है। हालांकि कल्याणकारी योजनाओं के लिए आधार जरूरी है।" बता दें कि इससे पहले 15 दिसंबर को सरकार ने आधार लिंकिंग की डेडलाइन को 31 दिसंबर 2017 से बढ़ाकर 31 मार्च 2018 तक कर दिया था।

कौन कर रहा है इसकी सुनवाई? 

आधार की वैलिडिटी को चुनौती देने वाली पिटीशंस पर सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) दीपक मिश्रा की अगुवाई में 5 जजों की बेंच बनाई गई है। इस बेंच में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के अलावा जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़, जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं।

क्यों हो रही है आधार पर सुनवाई? 

पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में आधार की अनिवार्यता के खिलाफ सुनवाई की गई थी, जिसपर फैसला देते हुए कोर्ट ने इसे संविधान के तहत निजता का अधिकार माना था। कोर्ट ने कहा था कि ये व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। उस वक्त पिटीशनर्स का कहना था कि आधार को हर चीज से लिंक कराना निजता के अधिकार (राइट टू प्राइवेसी) का उल्लंघन है। पिटीशन में कहा गया था कि इससे संविधान के आर्टिकल 14, 19 और 21 के तहत मिले मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है। उस वक्त सुप्रीम कोर्ट में 9 जजों की बेंच ने इसे निजता का अधिकार माना था। 

Created On :   22 March 2018 1:08 PM IST

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