राम मंदिर के लिए संतों का धर्मादेश, श्री श्री बोले- देश के लोग चाहते हैं मंदिर बने

राम मंदिर के लिए संतों का धर्मादेश, श्री श्री बोले- देश के लोग चाहते हैं मंदिर बने
राम मंदिर के लिए संतों का धर्मादेश, श्री श्री बोले- देश के लोग चाहते हैं मंदिर बने
राम मंदिर के लिए संतों का धर्मादेश, श्री श्री बोले- देश के लोग चाहते हैं मंदिर बने
हाईलाइट
  • इसमें संत समाज एकजुट होकर राम मंदिर के लिए मोदी सरकार पर अध्यादेश के लिए दबाव बना रहा है।
  • राजधानी दिल्ली में संत समाज द्वारा एक धर्मादेश कार्यक्रम आयोजित किया गया।
  • श्री श्री रविशंकर ने भी अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि देश के लाखों लोग चाहते हैं कि अयोध्या में मंदिर बने।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अयोध्या में राम मंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनवाई टलने के बाद से संत समाज ने अपनी बयानबाजी तेज कर दी है। राजधानी दिल्ली में संत समाज द्वारा एक धर्मादेश कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें संत समाज एकजुट होकर राम मंदिर के लिए मोदी सरकार पर अध्यादेश के लिए दबाव बना रहा है। इसी धर्मादेश में शामिल हुए आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने भी अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि देश के लाखों लोग चाहते हैं कि अयोध्या में मंदिर बने।

रविवार को धर्मादेश में पहुंचे श्री श्री ने कहा, "संतों को मंदिर की जरूरत नहीं होती है। संत जहां होते हैं मंदिर वहीं होता है, लेकिन आम जनता चाहती है कि मंदिर बने। मंदिर के लिए हम प्रयत्न और प्रार्थना, दोनों का ही रास्ता अपनाएंगे। जाहिर तौर पर श्री श्री मध्यस्थता की वकालत करते दिखे।" वहीं दूसरी ओर विपक्ष ने भी हमला करते हुए कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी राम मंदिर का मुद्दा उठा रही है।

धर्मादेश में राम मंदिर के अलावा श्री श्री ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला पर फैसला दिया है उससे लोगों को दुख हुआ और अयोध्या का फैसला नहीं आया, इस पर भी दुख हुआ। हम सब सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं, लेकिन सबरीमाला पर कहना चाहूंगा कि भारत हमेशा से माताओं को मानता आ रहा है।"

अयोध्या में सभी पक्षों के बीच मध्यस्थता की कोशिश में जुटे श्री श्री ने कहा कुछ मंदिरों में महिलाओं के प्रवेश से जुड़ी एक प्रथा चली आ रही है। उन्होंने सबरीमाला को लेकर कहा, "वहां 41 दिन का व्रत करने वाले लोग ही जाते थे। महिलाएं मासिक धर्म के अंतर्गत रहती थीं तो उनके लिए 41 दिन का व्रत असंभव था इसलिए प्रवेश का नियम बना।"

Created On :   4 Nov 2018 12:30 PM GMT

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