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दैनिक भास्कर हिंदी: 58 मिनट की सर्जिकल स्ट्राइक के लिए 24 घंटे आतंकियों के सामने घास में छिपे रहे थे 19 वीर जवान

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ठीक एक साल पहले 29 सितंबर 2016 को भारत के मिलिट्री ऑपरेशन के महानिदेशक लेफ़्टिनेंट जनरल रणवीर सिंह ने जब घोषणा की कि भारत ने सीमापार आतंकियों के ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की है, तो पूरी दुनिया सन्न रह गई थी। इस सर्जिकल स्ट्राइक पर भारत के ही कुछ राजनीतिक दलों ने संदेह जताया था। इसके बाद जब शांति काल में देश के सबसे बड़े सैन्य सम्मान घोषित हुए तो इसमें सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम देने वाले दो शूरवीर भी थे।
एलओसी क्रास करके हमारे 19 शूरवीर पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों तक पहुंचे थे। इन सैनिकों को मालूम था कि ये सर्जिकल स्ट्राइक उनके जीवन का अंतिम सैन्य ऑपरेशन भी हो सकता है, लेकिन वे पूरी तैयारी के साथ इस ऑपरेशन के लिए रवाना हुए थे। वे पूरी तरह बलिदान देने के लिए तैयार थे। सेना की इस बहादुरी भरी कहानी को कम ही लोग जानते हैं।
इस ऑपरेशन को अंजाम देने के पहले हमारे 19 सैनिकों ने पूरे 24 घंटे पाक पोषित आतंकियों के अड्डे के ठीक सामने घास में छिपकर 24 घंटे बिताए थे। सैनिकों के सामने एलओसी क्रास करके दुश्मन पर कार्रवाई करने से ज्यादा बड़ी चुनौती वापस आने की थी। इस ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए जिस मेजर को जिम्मेदारी दी गई थी उनका नाम गुप्त रखकर उन्हें माइक टेंगो नाम दिया गया था। इंडियाज मोस्ट फियरलेस-ट्रू स्टोरीज ऑफ़ माडर्न मिलिट्री हीरोज़ नामक बुक में शिव अरूर और राहुल सिंह ने इस पूरे मिलिट्री ऑपरेशन का वर्णन किया है। bhaskarhindi.com ये रोमांच से भर देने वाली ये स्टोरी अपने रीडर्स के सामने प्रस्तुत कर रहा है।
ऐसा नहीं था कि इससे पहले लाइन ऑफ कंट्रोल के पार सर्जिकल स्ट्राइक न की गई हो, लेकिन ये पहली बार था कि भारतीय सेना दुनिया को साफ़ साफ़ बता रही थी कि वास्तव में उसने ऐसा किया था। भारतीय सेना के उड़ी ठिकाने पर आतंकियों द्वारा किया गया हमला, जिसमें 17 भारतीय सैनिक मारे गए थे और दो सैनिकों की बाद में अस्पताल में मौत हो गई थी। जैसे ही ये ख़बर फैली दिल्ली के रायसिना हिल्स पर गतिविधियां तेज़ हो गईं।
आनन-फानन में अत्यंत गोपनीय 'वार रूम' में भारत के सुरक्षा प्रबंधन की खुफ़िया बैठकें बुलाई गई, जिसमें कम से कम एक बैठक में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ शामिल हुए। 'इंडियाज़ मोस्ट फ़ियरलेस-ट्रू स्टोरीज़ ऑफ़ माडर्न मिलिट्री हीरोज़' के सह लेखक राहुल सिंह बताते हैं, "इस बारे में हमने बहुत सारे जनरलों और स्पेशल फ़ोर्स के अधिकारियों से बात की है और हम पूरे विश्वास के साथ कह सकते हैं कि इस बैठक में ही ये फ़ैसला लिया गया कि भारतीय सेना लड़ाई को दुश्मन के क्षेत्र में ले जाएगी और इस हमले पर भारत चुप नहीं बैठेगा और इसका समुचित जवाब दिया जाएगा।"
माइक टैंगो को ऑपरेशन की ज़िम्मेदारी
एलओसी के पार पाक परस्त आतंकियों के ठिकानों को ध्वस्त करने की ज़िम्मेदारी एलीट पैरा एसएफ़ के टूआईसी मेज़र माइक टैंगो को दी गई। ये उनका असली नाम नहीं है। सुरक्षा कारणों से इस पूरी किताब में उन्हें उनके इस ऑपरेशन के दौरान रेडियो नाम मेज़र माइक टैंगों के नाम से बताया गया है। 'इंडियाज़ मोस्ट फ़ियरलेस' के लेखक, शिव अरूर बताते हैं, "स्पेशल फ़ोर्स के अधिकारियों को क्रेम डेला क्रेम ऑफ़ सोल्जर्स कहा जाता है। ये भारतीय सेना के सबसे फ़िट, मज़बूत और मानसिक रूप से सजग सैनिक होते हैं। इनकी फ़ैसला लेने की क्षमता सबसे तेज़ होती है और जहां ज़िदगी और मौत का मामला हो, इनका दिमाग बहुत तेज़ी से काम करता है।"
वो कहते हैं, "ख़तरनाक परिस्थितियों में ज़िंदा रहने की कला जितनी इन्हें आती है किसी को नहीं। सेना का इस्तेमाल आमतौर से रक्षण के लिए किया जाता है, लेकिन स्पेशल फ़ोर्सेज़ शिकारी होते हैं। उनका इस्तेमाल हमेशा आक्रमण के लिए होता है।"
मोदी और सुषमा भी बने अनजान, ताकि दुश्मन रहे भ्रमित
दिल्ली में इस पूरे मामले को इस तरह लिया गया जैसे कुछ हुआ ही न हो। नरेंद्र मोदी ने कोझिकोड़ में भाषण देते हुए उड़ी पर एक शब्द नहीं कहा। उन्होंने ये ज़रूर कहा कि भारत और पाकिस्तान को ग़रीबी, अशिक्षा और बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़नी चाहिए। संयुक्त राष्ट्र में सुषमा स्वराज ने भी उड़ी पर भारत के गुस्से का कोई इज़हार नहीं किया। पाकिस्तान को ये आभास देने की कोशिश की गई कि सब कुछ सामान्य है जबकि अंदर ही अंदर सर्जिकल स्ट्राइक की तैयारी ज़ोरों पर थी।
राहुल सिंह बताते हैं, "मेज़र टैंगो की टीम ने पाकिस्तान के अंदर अपने चार सूत्रों से संपर्क किया। इनमें से दो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के ग्रामीण थे और दो जैश-ए-मोहम्मद में भारत के लिए काम कर रहे जासूस थे। चारों लोगों ने अलग अलग इस बात की पुष्टि की कि आतंकियों के लॉंचिंग पैड में चरमपंथी मौजूद हैं।"
पैदल चलते हुए साढे तीन घंटे में टारगेट के सामने थे जवान
माइक टैंगो के नेतृत्व में 19 भारतीय जवानों ने 26 सितंबर की रात साढ़े आठ बजे अपने ठिकानों से पैदल चलना शुरू किया और 25 मिनटों में उन्होंने एलओसी को पीछे छोड़ दिया। टैंगो के हाथ में उनकी एम 4 ए1 5।56 एमएम की कारबाइन थी। उनकी टीम के दूसरे सदस्य एम4 ए1 के अलावा इसराइल में बनी हुई टेवर टार-21 असॉल्ट रायफ़लें लिए हुए थे। माइक टैंगो ने शिव अरूर और राहुल सिंह को बताया कि उन्होंने इस अभियान के लिए स्पेशल फ़ोर्स में उपलब्ध सर्वश्रेष्ठ जवान चुने थे। लेकिन इस तरह के अभियान में कुछ लोगों का हताहत होना अवश्यसंभावी है।
असल में इसकी संभावना 99.09 फ़ीसदी थी और उनकी टीम ये कुर्बानी देने के लिए मानसिक रूप से तैयार भी थी। टैंगो मान कर चल रहे थे कि इस अभियान का सबसे मुश्किल चरण होगा वापसी का, जब पाकिस्तानियों को उनके वहां होने के बारे में पूरी जानकारी मिल चुकी होगी।
जब 24 घंटे घास पर लेटे रहे और फिर किया अंधेरे का इंतजार
चार घंटे चलने के बाद टैंगो और उनकी टीम अपने लक्ष्य के बिल्कुल नज़दीक पहुंच गई। वो वहां से 200 मीटर की दूरी पर थे कि वो हुआ जिसकी उन्हें उम्मीद नहीं थी। लांच पैड से अचानक फ़ायरिंग शुरू हो गई। एक सेकंड को उन्हें लगा भी कि क्या पाकिस्तानियों को उनके आने का पता चल गया है। सारे जवान एक सेकेंड से भी कम समय में ज़मीन के बल लेट गए, लेकिन टैंगो के अनुभवी कानों ने अंदाज़ा लगा लिया कि ये अंदाज़े से की गई फ़ायरिंग है और उसका निशाना उनकी टीम नहीं है, लेकिन एक तरह से ये बुरी ख़बर भी थी, क्योंकि इससे साफ़ ज़ाहिर था कि लांच पैड के अंदर रह रहे चरमपंथी सावधान थे। टैंगो ने तय किया कि वो उस इलाक़े में छिपे रहेंगे और अपना हमला 24 घंटे बाद अगली रात में बोलेंगे।
लेखक शिव अरूर बताते हैं, "ये इस ऑपरेशन का सबसे संवेदनशील और ख़तरनाक हिस्सा था। रात के अंधेरे में तो दुश्मन के इलाक़े में छिपे रहना शायद इतना मुश्किल काम नहीं था, लेकिन सूरज चढ़ने के बाद उस इलाक़े में जमे रहना ख़ासा जीवट का काम था। लेकिन उससे उन्हें एक फ़ायदा ज़रूर होने वाला था कि उन्हें उस इलाक़े को पढ़ने और रणनीति बनाने के लिए 24 घंटे और मिलने वाले थे। टैंगो ने आख़िरी बार सेटेलाइट फ़ोन से अपने सीओ से संपर्क किया और फिर उसे ऑफ़ कर दिया।
50 गज़ की दूरी पर थे आतंकी, एक ही फायर में हुए ढेर
28 सितंबर का रात दिल्ली में भारतीय कोस्ट गार्ड कमांडर्स का वार्षिक भोज हो रहा था, लेकिन सभी चोटी के मेहमान रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और सेनाध्यक्ष जनरल दलबीर सिंह ने अपने मेज़बानों से माफ़ी मांगी और सेना के मिलिट्री ऑपरेशन रूम पहुंच गए ताकि वहां से उस समय शुरू हो चुके इस अभियान को दिल्ली से मॉनीटर किया जा सके। आधी रात को दिल्ली से 1000 किलोमीटर दूर टैंगो और उनकी टीम अपने छिपे हुए स्थान से निकले और उन्होंने लांच पैड की तरफ़ बढ़ना शुरू किया। लांचपैड से 50 गज़ पहले टैंगो ने अपनी नाइट विजन डिवाइस से देखा कि दो लोग आतंकियों के ठिकाने पर पहरा दे रहे हैं।
राहुल सिंह बताते हैं, "टैंगो ने 50 गज़ की दूरी से निशाना लिया और एक ही बर्स्ट में दोनों आतंकियों को धाराशाई कर दिया। पहली गोली चलने तक ही कमांडोज़ के मन में तनाव रहता है। गोली चलते ही ये तनाव जाता रहता है।" इसके बाद तो गोलियों की बौछार करते हुए टैंगो के कमांडो लांच पैड की तरफ़ बढ़े। अचानक टैंगो ने देखा कि दो चरमपंथी जंगलों में भागने की कोशिश कर रहे हैं ताकि वो भारतीय सैनिकों पर पीछे से हमला कर सकें। टैंगो ने अपनी 9एमएम बेरेटा सेमी ऑटोमेटिक पिस्टल निकाली और 5 फ़ीट की दूरी से उन आतंकियों पर फ़ायर कर उन्हें गिरा दिया।
शिव अरूर बताते हैं, "माइक टैंगो और उनकी टीम वहां पर 58 मिनटों तक रही। उन्हें पहले से ही बता दिया गया था कि वो शवों को गिनने में अपना समय बरबाद न करें। लेकिन लेकिन एक अनुमान के अनुसार, चार लक्ष्यों पर कुल 38 से 40 चरमपंथी और पाकिस्तानी सेना के 2 सैनिक मारे गए। इस पूरे अभियान के दौरान पूरी तरह से रेडियो साइलेंस रखा गया।
कानों के बग़ल से गोलियां
अब टैंगो के सामने असली चुनौती थी कि किस तरह वापस सुरक्षित भारतीय सीमा में पहुंचा जाए, क्योंकि अब तक पाकिस्तानी सेना को उनकी उपस्थिति का पता चल चुका था।
राहुल सिंह बताते हैं, "माइक टैंगो ने हमे बताया कि अगर मैं कुछ इंच लंबा होता तो आपके सामने बैठ कर बात न कर रहा होता। पाकिस्तानी सैनिकों की गोलियां हमारे कानों के बग़ल से गुज़र रही थीं। जब ऑटोमेटिक हथियार की गोली कान के बगल से गुज़रती है तो आवाज़ आती है।।।। पुट।। पुट।। पुट। हम चाहते तो उसी रास्ते से वापस आ सकते थे, जिस रास्ते से हम वहां गए थे। लेकिन अपने जानबूझ कर वापसी का लंबा रास्ता चुना।
"हम पाकिस्तानी क्षेत्र में और अंदर गए और फिर वहां से वापसी के लिए वापस मुड़े। बीच में 60 मीटर का एक ऐसा हिस्सा भी आया जहां आड़ के लिए कुछ भी नहीं था। सारे कमांडोज़ ने पेट के बल चलते हुए उस इलाक़े को पार किया।''
"टैंगो की टीम ने सुबह साढ़े चार बजे भारतीय क्षेत्र में क़दम रखा। लेकिन तब भी वो पूरी तरह से सुरक्षित नहीं थे। लेकिन तब तक वहां पहले से मौजूद भारतीय सैनिकों ने उन्हें कवर फ़ायर देना शुरू कर दिया था। सबसे बड़ी बात ये थी कि इस पूरे अभियान में टैंगो की टीम का एक भी सदस्य न तो मारा गया और न ही घायल हुआ।
खुशी में बोतल से सीधे मुंह में व्हिस्की
भारत की सीमा पार करते ही एक चीता हेलिकॉप्टर, टैंगो को 15 कोर के मुख्यालय ले गया। उनको सीधे ऑपरेशन रूम ले जाया गया। वहां उनके सीओ ने उन्हें गले लगाया। कोर कमांडर लेफ़्टिनेंट जनरल सतीश दुआ को देखते ही टैंगो ने उन्हें सेल्यूट किया।
राहुल सिंह बताते हैं, "जब जनरल दुआ टैंगो से मिल रहे थे, एक वेटर एक ट्रे में ब्लैक लेबेल व्हिस्की भरे कुछ ग्लास ले कर आया। जनरल ने हुक्म दिया, इन्हें वापस ले जाओ। सीधे बोतल लाओ। तुम्हें पता नहीं कि ये लोग गिलास खा जाते हैं। ये सही भी है क्योंकि स्पेशल फ़ोर्स के कमांडोज़ को गिलास खाने की ट्रेनिंग दी जाती है।
"वेटर तुरंत ब्लैक लेबेल की बोतल ले आया। जनरल दुआ ने बोतल अपने हाथ में ली और टैंगो से अपना मुंह खोलने के लिए कहा। वो तब तक टैंगो के मुंह में व्हिस्की डालते रहे जब तक उन्होंने बस नहीं कह दिया। उसके बाद टैंगों ने भी जनरल दुआ के मुंह में सीधे बोतल से व्हिस्की उड़ेली।
मेजर टैंगो को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कीर्ति चक्र से सम्मानित किया
जब टैंगो उत्तरी कमान के प्रमुख लेफ़्टिनेंट जनरल डीएस हूदा से मिलने ऊधमपुर गए तो व्हिस्की का एक और दौर चला। राहुल बताते हैं, "टैंगो ने मन ही मन सोचा, कोई खाना दे दो। सारे दारू ही पिला रहे हैं।" इसी साल मार्च में मेज़र टैंगो को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कीर्ति चक्र से सम्मानित किया। उस समय इस बात का ज़्यादा प्रचार नहीं किया गया कि कीर्ति चक्र पाने वाले और कोई नहीं, सर्जिकल स्ट्राइक के हीरो मेज़र माइक टैंगो ही हैं।
क्लोजिंग बेल : हफ्ते के पहले दिन बाजार में दिखी तेजी, निफ्टी 15,800 के ऊपर, सेंसेक्स 300 अंक चढ़ा
डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रथम सत्र में सुस्ती के बाद आज सोमवार को भारतीय शेयर बाजार तेजी के साथ बंद हुए।शुक्रवार की रिलायंस इंडस्ट्रीज में बहुत बड़ी गिरावट के पश्चात भी बाजार ने मंदी के विरुद्ध का चरित्र दिखाया था।ये भाव आज भी गतिमान रहा।एफओएमसी मिनट्स,चीन के मुद्रास्फिति के आंकड़े आदि आनेवाले दिनों में निवेशकों को व्यस्त रखेंगें।
सेंसेक्स में 0.62 प्रतिशत की वृद्धि रही तथा 53234.77 पर बंद हुआ ।निफ्टी 0.53 प्रतिशत बढ़ 15835.35 पर बंद हुआ।बैंक निफ्टी 1.20 प्रतिशत के बढ़त के साथ 33490.90 पर रहा।
भारतीय रुपये में 16 पैसे की बढ़त रही जिसका भी बाजार पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा।रुपया डॉलर की तुलना में शुक्रवार के 79.06 के मुकाबले आज 78.88 पर रहा।क्षेत्र विशेष में निफ्टी एफएमसीजी, पीएसयू बैंक तथा कंजम्प्शन लाभ में बंद हुए जबकि निफ्टी मेटल,आईटी,निफ्टी कमोडिटी में एक प्रतिशत से कुछ कम की हानि रही।
निफ्टी के शेयरों में हिंदलीवर,इंडसइंड बैंक एवं ब्रिटानिया में सर्वाधिक बढ़त रही जबकि ओएनजीसी ,टीसीएस तथा टाटा स्टील में सबसे अधिक गिरावट दिखी।ओपन इंटरेस्ट डेटा में ,निफ्टी कॉल में सर्वाधिक ओपन इंटरेस्ट 16200 ,फिर 16000 पर है जबकि पुट में सबसे अधिक ओपन इंटरेस्ट 15700 ,उसके पश्चात 15609 निफ्टी पर है।
तकनीकी रूप से निफ्टी ने 15800 के ऊपर बंदी दे दैनिक चार्ट पर बुलिश कैंडल बनाया है,जो एक महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक स्तर है।कुलमिला के निफ्टी का प्रारूप दर्शा रहा कि निफ्टी 15700-15970 की सीमा में कंसोलिडेट करेगा।16000 से ऊपर जा कर टिकने से 16200 तक की एक रैली देखी जा सकती है।आरएसआई तथा एमएसीडी जैसे संकेतक दैनिक चार्ट पर कुछ शक्ति दर्शा रहे हैं जो एक तेजी की चाल का संकेत है।निफ्टी 15700 पर सपोर्ट ले सकता है, उसके बाद सपोर्ट 15640 पर है।तेजी में 16000 ,फिर 16100 पर तात्कालिक अवरोध है।बैंक निफ्टी का सपोर्ट 33500 तथा अवरोध 34600 है।जैसा कि हम नए कॉर्पोरेट परिणाम सत्र की ओर बढ़ रहे है,मार्केट का ध्यान त्रैमासिक परिणामो पर केंद्रित हो जाएगा।
मार्केट कुछ आश्चर्यजनक शक्ति दिखा रहा है, अतः तेजी की चाल दिखा आश्चर्य में डाल सकता है।
ओम मेहरा
टेक्निकल एसोसिएट्स
चॉइस ब्रोकिंग
Source: Choice India
AISECT: सेक्ट कॉलेज बी.एड. उन्मुखीकरण कार्यक्रम का आयोजन
डिजिटल डेस्क, भोपाल। सेक्ट कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल एजुकेशन बी.एड. के नियमित सत्र 2022-24 के विद्यार्थियों के लिए स्वागत सह उन्मुखीकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती पूजन से हुई। इसके पश्चात विद्यार्थियों को कॉलेज के नियमों की जानकारी दी गई और पिछली उपलब्धियों को विद्याथियों के समक्ष बतलाया गया। साथ ही स्कोप परिसर में होने वाले दूसरे पाठ्यक्रमों की जानकारी भी दी।
महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. नीलम सिंह ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि आप सभी भविष्य में शिक्षक बनने वाले हैं और एक शिक्षक को समय की पाबंदी और अनुशासन का हमेशा ध्यान रखना चाहिए और अपनी आंतरिक क्षमताओं का विकास करते हुए सार्थक जीवन की ओर अग्रसर होना चाहिए। इस अवसर पर बारी-बारी से सभी विद्याथियो ने आपना परिचय दिया और अपनी शैक्षिणक योग्यता और रूचियों के बारे में बतलाया। विद्याथियों को बी.एड. पाठ्क्रम के बारे मेचारों सेमेस्टरों में होने वाली गतिविधियों की जानकारी दी गई।
सभी शिक्षकों ने विद्याथियों के समक्ष अपने-अपने विषय के पाठ्क्रम से अवगत कराया और सम्पूर्ण कोर्स की विस्तृत रूप से जानकारी दी गई। कुछ विद्याथियों द्वारा मधुर गीतों की प्रस्तुति दी गई। अंत मे सभी विद्याथियों को पाठ्क्रम और वार्षिक योजना की प्रति उपलब्ध कराई गई।
मूवर्स और पैकर्स: कैसे एश्योरशिफ्ट ने भारत में स्थानांतरण के अनुभव को बेहतर बनाया है
डिजिटल डेस्क, भोपाल। देश में बढ़ती जनसंख्या, शैक्षिक प्रगति और मूल तोर से नौकरी के अवसर के कारण, देश के अंदर और विदेश के कई शहरों में, प्रवास करने वाले अन्य शहरों के लोगों की संख्या उल्लेखनीय मत्रा से वृद्धि पाई है।
इस कारण से स्थानांतरण सेवा के मांग में तेजी से वृद्धि हुई। कई पैकर्स एंड मूवर्स कंपनियों की स्थापना भी हुई है जो घर, कार्यालयों के सामना, कार, बाइक, आदि को स्थानांतरित करने के लिए आवश्यक सेवाएं प्रदान करती हैं। हालांकि, किसी भी नए उत्पाद के साथ, कई नकली और गैर-पेशेवर चलती कंपनि स्थापित होते हैं। धीरे-धीरे भारतीय स्थानांतरण बाजार में इस तरह के कंपनि आकर बेहद कम लागत वाली कोटेशन की पेशकश करके निर्दोष ग्राहकों का शिकार करना शुरू कर दिया। वे गुणवत्ता सेवाओं, अतिरिक्त सहायता आदि जैसे कई वादे करते हैं, लेकिन अंत में अक्सर ग्राहकों के पैसे और सामान लूट लेते हैं।
स्व-चलन के साथ आने वाली कठिनाइयों और जोखिमों को ध्यान में रखते हुए, पेशेवर स्थानांतरण सेवा प्रदाताओं को नियुक्त करने की सलाह दी जाती है लेकिन कंपनी के इतिहास और पृष्ठभूमि की जांच कर लेने के बाद। आपको एक पैकर्स मूवर्स कंपनी के पंजीकरण दस्तावेजों और पहले के ग्राहकों की कई समीक्षाएं पढ़ कर, उनका व्यापक शोध करना चाहिेए। लेकिन सामान्य ज्ञान के अनुसार, दस्तावेज़ीकरण, कंपनी विवरण, कार्यालय स्थान आदि की पुष्टि करना आसान काम नहीं है और पहली बार जांच करने वाले के लिए अत्यधिक समय लग सकता है।
प्रत्येक ग्राहक पहली कोशिश में अपने निकट के ईमानदार पैकर्स एंड मूवर्स कंपनी से संपर्क कर रहा है और बाजार में धोखाधड़ी सेवा प्रदाताओं का खात्मा हो रहा है, यह सुनिश्चित करने के लिए एश्योरशिफ्ट की स्थापना की गई थी।
AssureShift Packers and Movers एक मानक बन गया है यह भारत का सबसे अच्छी ऑनलाइन पैकर्स और मूवर्स निर्देशिका है, जिसमें 25 से अधिक शहरों के शीर्ष पैकर्स और मूवर्स की सूची है। 2017 की शुरुआत में लॉन्च होने के बाद से, एश्योरशिफ्ट ने देश भर में 50,000 से अधिक परिवारों और व्यक्तियों को सफलतापूर्वक स्थानांतरित किया है। हमारे पार्टनर पैकर्स और मूवर्स के पास पर्याप्त अनुभव है और वे घरेलू सामान पैकिंग और मूविंग, कार ट्रांसपोर्टेशन सर्विसेज, बाइक शिफ्टिंग सर्विसेज, ऑफिस शिफ्टिंग आदि जैसे सभी प्रकार के सामानों को स्थानांतरित करने के लिए अच्छी तरह से प्रशिक्षित हैं। हम सुनिश्चित करते हैं इस दौरान हमारी पार्टनर कंपनियां उच्च गुणवत्ता वाली सेवाओं, किफायती शुल्क, समय पर घर से पिकअप और डिलीवरी, पेशेवर व्यवहार जैसे पूर्ण ग्राहक सहायता का आश्वासन दे रही हैं।
एक बार जब ग्राहक पूछताछ फॉर्म भरते हैं, तो मुश्किल से 10 क्लिक के भीतर, एश्योरशिफ्ट निर्दिष्ट स्थानांतरण आवश्यकताओं के अनुसार ग्राहक के निकटतम 3 शीर्ष पैकर्स एंड मूवर्स कंपनियों को संदर्भित करता है। ग्राहक सटीक स्थानांतरण शुल्क प्राप्त करने के लिए प्री-मूव सर्वेक्षण कर सकते हैं और दरों, प्रोफाइल, समीक्षाओं और रेटिंग की तुलना करके सबसे उपयुक्त पैकर्स और मूवर्स कंपनी के साथ सौदा कर रहे हैं।
एश्योरशिफ्ट का 4-चरणीय तरीका एक सुनिश्चित स्थानांतरण के लिए
#1 पूर्ण तरह से बैकग्राउंड की जांच
एक पैकर्स और मूवर्स कंपनी की विश्वसनीयता साबित करने वाले मुख्य कागज-पत्र में से एक यह है कि उनके पास सरकार द्वारा दिए गए आवश्यक पंजीकरण दस्तावेज होना चाहिए। एश्योरशिफ्ट निम्न प्रकार से जाँच करके स्थानांतरण सेवा प्रदाताओं की पूरी गहराई से पृष्ठभूमि का सत्यापन करता है:
- कंपनी जीएसटी पंजीकरण,
- कार्यालय सेटअप, स्थान और प्रमाण,
- ओनर आईडी प्रूफ,
- संपर्क विवरण,
- ग्राहक प्रतिक्रिया के साथ पूर्व कार्य अनुभव,
- Google रेटिंग और समीक्षाएं।
एश्योरशिफ्ट ग्राहकों को परेशानी मुक्त और विश्वसनीय पैकिंग मूविंग सेवाएं प्रदान करने और उनके स्थानांतरण के अंत में 100% संतुष्टि की सुनिश्चित करता है।
#2 बजट के अनुकूल दरों पर सर्वोत्तम मिलान वाली सेवाएं
हमारे पार्टनर पैकर्स एंड मूवर्स के पास रिलोकेशन सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदर्शन करने का अच्छा अनुभव है और ग्राहकों की आवश्यकता के अनुसार किसी भी आइटम को स्थानांतरित करने के लिए अच्छी तरह से प्रशिक्षित हैं। वे शुरू से अंत तक पूरी प्रक्रिया को संभालने में सक्षम हैं, यानी, एक अच्छी तरह से नियोजित रणनीति तैयार करना, पैकिंग, लोडिंग, पूरी सुरक्षा के साथ वस्तुओं का परिवहन, और गंतव्य पर अनलोडिंग और अनपैकिंग करना।
युक्ति: भारत में सबसे सटीक पैकर्स और मूवर्स शुल्क प्राप्त करने के लिए (किसी भी आइटम को देश में किसी भी स्थान पर ले जाने के लिए), हमेशा एक भौतिक प्री-मूव सर्वेक्षण अनुरोध करें। जब मूवर्स व्यक्तिगत रूप से वस्तुओं का सर्वेक्षण करते हैं, तो उन्हें सटीक आवश्यकताओं का बेहतर विचार मिलता है और वे स्थानांतरण लागत की अधिक सटीक गणना करने में सक्षम होते हैं।
#3 लाइटनिंग-फास्ट रिस्पांस और एंड-टू-एंड सपोर्ट
एश्योरशिफ्ट ग्राहकों के किसी भी प्रश्न का तुरंत जवाब देकर आपके हर कदम को परेशान मुक्त बनाने के लिए निरंतर काम करता है।
- फॉर्म जमा करते ही ग्राहकों को तुरंत रेफर किए गए मूवर्स की पूरी जानकारी मिल जाएगी।
- हमारे मूवर्स भी जल्दी से स्थानांतरण लागत का अनुमान लगाते हैं या भौतिक पूर्व-चाल सर्वेक्षण के लिए घर भी आ सकते हैं।
- एश्योरशिफ्ट के उपयोग सेआसान इंटरफेस के साथ, कई मूवर्स के विवरणों की तुलना कम समय में आसानी से की जा सकती है (जैसे, चेकिंग शुल्क, सेवाओं की पेशकश, रेटिंग, समीक्षा, आदि)।
साथ ही, एश्योरशिफ्ट सुनिश्चित करता है कि ग्राहकों को पूरी स्थानांतरण प्रक्रिया के दौरान आवश्यक समर्थन मिले, यानी अनुरोध जमा करने के समय से लेकर सामान की अंतिम डोरस्टेप डिलीवरी तक।
# 4 नियमित प्रतिक्रिया और गुणवत्ता संरक्षण
एश्योरशिफ्ट ग्राहकों की पूर्ण संतुष्टि सुनिश्चित करने के लिए काम करता है। ग्राहकों से नियमित फीडबैक लेने से संभावित ग्राहकों को अच्छी तरह से सूचित निर्णय लेने में मदद मिलती है और साथ ही साथ हर दिन काम करने की प्रक्रिया में सुधार होता है। एश्योरशिफ्ट को ग्राहकों द्वारा सामना की स्थानांतरण के समय आने वाली विभिन्न समस्याओं जैसे कि अचानक मूल्य वृद्धि, सामान का नुकसान, स्थानांतरण के दौरान मूवर्स के अनैतिक व्यवहार पता चलता रहता है।
प्राप्त शिकायतों की गंभीरता के आधार पर, एश्योरशिफ्ट सेवा की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए आवश्यक कार्रवाई करता है, :जैसे
- गैर-पेशेवर मूवर्स और पैकर्स को अस्थायी रूप से निलंबित या वेबसाइट से उनके व्यावसायिक प्रोफाइल को स्थायी रूप से हटाकर दंडित करना, साथ ही साथ
- लिस्टिंग में उच्च रैंक मैं रख के शीर्ष प्रदर्शन करने वाली कंपनियों को पुरस्कृत करना ।
निष्कर्ष के तौर पर
एश्योरशिफ्ट समझती है कि कई सारे सामान ले जाना जोखिम भरा हो सकता है और वित्तीय, मानसिक और शारीरिक दबाव पैदा कर सकता है, खासकर बिना किसी पूर्व अनुभव से किया गया हो तो। इसके अलावा, बहुत से ग्राहक वास्तव में भरोसेमंद स्थानांतरण सेवा प्रदाताओं को किराए पर लेने का सही तरीका भी नहीं जानते हैं। और तो और क्योंकि वर्तमान समय में कई धोखाधड़ी करने वाली कंपनियां भी बाजार में स्थापित हैं।
धोखेबाज पैकर्स और मूवर्स को खत्म करने के मिशन के साथ, एश्योरशिफ्ट ने स्थानांतरण कंपनियों के काम काज़ की प्रक्रिया में सुधार लाई हे, और इसके परिणामस्वरूप, भारत में पैकिंग और स्थानांतरित करने की प्रक्रिया में क्रांतिकारी बदलाव आया है। एश्योरशिफ्ट के माध्यम से जाने का सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है कि भरोसेमंद पैकर्स और मूवर्स ढूंढना आसान हो जाता है, और बजट के अनुसार सही कंपनी मिनटों के अंदर मिल जाता है।
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