सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा, अगर हम जीएम सरसों जारी नहीं करें तो क्या बर्बाद हो जाएंगे?
- जीएम फसलों से बेहतर प्रदर्शन
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार से पूछा कि क्या जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीएम) सरसों अभी उपलब्ध कराने का कोई ठोस कारण है? भारतीय किसान पश्चिमी किसानों की तरह नहीं हैं, यह समझना चाहिए।
केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे भारत के महान्यायवादी आर. वेंकटरमणि ने कई जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (जीईएसी) की बैठकों में लिए गए निर्णयों और जीएम सरसों के पर्यावरणीय रिलीज के लिए अनुमोदन देने की प्रक्रिया का हवाला दिया। उन्होंने तर्क दिया कि विशेषज्ञों ने ट्रांसजेनिक खाद्य फसल की रिहाई के संबंध में विवरणों की सावधानीपूर्वक जांच की और कहा कि आनुवंशिक रूप से संशोधित सरसों की पर्यावरणीय रिहाई अगला तार्किक कदम है।
न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और बी.वी. नागरत्ना की पीठ ने केंद्र के वकील से पूछा, क्या इस स्तर पर जीएम सरसों को पर्यावरणीय रूप से जारी करने का कोई अनिवार्य कारण है? और क्या इसका पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा?
वहीं, न्यायमूर्ति नागरत्ना ने पूछा, अगर हम अभी जीएम सरसों जारी नहीं करते हैं तो क्या हम बर्बाद हो जाएंगे? उन्होंने आगे कहा, जब तक हम इसके प्रभावों की बेहतर समझ विकसित नहीं कर लेते, तब तक क्या रिलीज को स्थगित करना संभव है? पीठ ने आगे कहा कि भारतीय किसान पश्चिमी किसानों की तरह नहीं हैं और भारत में वास्तविकता को समझा जाना चाहिए।
इसने सरकार के इस दावे से जुड़े विवाद पर अधिक स्पष्टता मांगी कि डीएमएच 11 सरसों की फसल की शाकनाशी-सहिष्णु किस्म नहीं थी। एजी की दलीलें सुनने के बाद पीठ ने मामले की अगली सुनवाई सात दिसंबर को निर्धारित की।
इससे पहले, कार्यकर्ता अरुणा रोड्रिग्स का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा था कि जीएम सरसों के पर्यावरण पर प्रभाव के बारे में कोई नहीं जानता, जिसमें देश में सभी सरसों के बीजों को दूषित करने की क्षमता है। भूषण ने कहा कि इस समय जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (जीईएसी) का कहना है कि जीएम सरसों का इस्तेमाल अधिक संकर बनाने के लिए किया जाएगा। उन्होंने तर्क दिया कि संकरण कोई नई तकनीक नहीं है और गैर-जीएम संकर हैं जो जीएम फसलों से बेहतर प्रदर्शन करते हैं।
भूषण ने कहा, भारत में सरसों की 4,000 से अधिक किस्मों की खेती की जा रही है और देश में लगभग हर घर में इसका सेवन किया जाता है। जीन अभियान का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख ने टीईसी रिपोर्टों का हवाला दिया और कहा कि नियामक प्रणाली में बड़ी खामियां मौजूद हैं, जिन्हें पहले दूर करने की जरूरत है और तब तक जीएम फसलों के क्षेत्र परीक्षण करने की सिफारिश नहीं की जाती है।
पारिख ने कहा कि जीईएसी एक मूल्यांकन समिति है न कि अनुमोदन समिति, फिर भी यह फील्ड ट्रायल के लिए मंजूरी दे रही है। शीर्ष अदालत जीएम सरसों के पर्यावरणीय रिलीज को चुनौती देने वाली अर्जियों पर सुनवाई कर रही है। जीईएसी ने 25 अक्टूबर को बीज उत्पादन और परीक्षण के लिए जीएम सरसों को पर्यावरणीय रूप से जारी करने की अनुमति दी थी।
आईएएनएस
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Created On :   1 Dec 2022 11:31 PM IST