अयोध्या विवाद: SC ने मध्यस्थता पर दिया जोर, सुनवाई 8 हफ्ते के लिए टाली
- अयोध्या जमीन विवाद पर सुनवाई 8 हफ्ते के लिए टाली गई।
- संविधान पीठ ने कहा
- एक फीसदी भी मध्यस्थता की उम्मीद है तो इस पर काम करें।
- सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मध्यस्थता पर दिया जोर।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अयोध्या रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद पर सुनवाई आठ हफ्ते के लिए टाल दी गई है। इस केस में मंगलवार को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में 5 जजों की बेंच ने सुनवाई की। बेंच के पांच जजों में जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर का नाम शामिल है। सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, ट्रांसलेशन पर सहमति बनाई जा सके, इसके लिए सुनवाई अगले 6 हफ्ते तक के लिए टाली जा रही है। वहीं कोर्ट ने इस मामले में मध्यस्थता पर जोर दिया है। कोर्ट ने कहा अगले मंगलवार को बेंच इस पर फैसला लेगी कि कोर्ट का समय बचाने के लिए मामले को कोर्ट की निगरानी में मध्यस्थता के जरिए सुलझाया जा सकता है या नहीं।
Ayodhya Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land dispute case: Supreme Court says it will pass order on next Tuesday on whether the case may be sent for court-monitored mediation to save time. pic.twitter.com/8R7iHb8AeE
— ANI (@ANI) February 26, 2019
सुप्रीम कोर्ट 5 मार्च को यह तय करेगा कि अयोध्या मामले को समझौते के लिए मध्यस्थ के पास भेजा जाए या नहीं। इससे पहले पक्षकारों को कोर्ट को बताना होगा कि वे मामले में समझौता चाहते हैं या नहीं? जस्टिस बोबड़े ने अपनी टिप्पणी में कहा "यह कोई निजी संपत्ति को लेकर विवाद नहीं है, बल्कि पूजा-अर्चना के अधिकार से जुड़ा मामला है। अगर समझौते के जरिए एक प्रतिशत भी इस मामले के सुलझने की गुंजाइश हो तो इसकी कोशिश होनी चाहिए।
Ayodhya Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land dispute case:
— ANI (@ANI) February 26, 2019
SC observes "it’s not a dispute over private property. It has become so contentious. We"re seriously giving a chance for mediation." Justice Bobde says on mediation, "even if there is only 1% chance, it should explored". pic.twitter.com/auAaThaji0
इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ SC में अपील
गौरतलब है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 अपील दाखिल की गई थी। कोर्ट के फैसले में कहा गया था कि अयोध्या में 2.77 एकड़ जमीन को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान के बीच बराबर बांटा जाए।
Created On :   26 Feb 2019 8:12 AM IST