द्वारका फ्लाईओवर के लिए जन-परामर्श नहीं लिए जाने पर सुप्रीम कोर्ट का नोटिस
- द्वारका फ्लाईओवर के लिए जन-परामर्श नहीं लिए जाने पर सुप्रीम कोर्ट का नोटिस
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दो हाउसिंग सोसाइटियों और कुछ निवासियों के एक समूह ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राजधानी में द्वारका एक्सप्रेसवे फ्लाईओवर के निर्माण के लिए कोई सार्वजनिक परामर्श या पर्यावरण मंजूरी नहीं मिली है। शीर्ष अदालत ने निर्माण गतिविधि पर रोक लगाने की निवासियों की याचिका पर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) से जवाब मांगा है।
याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा किया कि एनएचएआई ने कोई सार्वजनिक परामर्श नहीं किया और साथ ही, उनके पास कोई पर्यावरण मंजूरी नहीं थी और, वे ऐसा करने के लिए दी गई अनुमति के बाद भी पेड़ों को काट रहे हैं। जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और एमआर शाह ने मामले में एनएचएआई और अन्य पक्षों को नोटिस जारी कर शुक्रवार तक जवाब मांगा है।
भूषण ने मामले पर जल्द सुनवाई की मांग करते हुए दलील दी कि एनएचएआई चौबीसों घंटे काम कर रहा है और जब तक अदालत याचिका पर सुनवाई करेगी, तब तक अपूरणीय क्षति हो चुकी होगी। उन्होंने कहा कि एनएचएआई ने पहले ही एक छोटी सड़क का निर्माण किया है, जो घनी आबादी वाली कॉलोनियों से होकर गुजरती है और इसकी परिधि में छह स्कूल हैं।
भूषण ने तर्क दिया कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने निष्कर्ष में गलती की है और निर्माण को यह कहते हुए जारी रखने की अनुमति दी है कि यह कोई नई सड़क नहीं है, इसलिए किसी नई मंजूरी की जरूरत नहीं है। 30 जुलाई को, उच्च न्यायालय ने निवासियों और आवास समितियों की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था, जिसमें एनएचएआई को निर्देश दिया गया था कि वे एक आवासीय सड़क, डीडीए रोड नंबर 226, सेक्टर 22-23, द्वारका में निर्माण के लिए सभी अनिवार्य अनुमतियां रिकॉर्ड में दर्ज करें।
अधिवक्ता आनंद वर्मा के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि उच्च न्यायालय ने एनएचएआई के निराधार तर्क को स्वीकार करने में गलती की कि एक्सप्रेसवे एक नया राष्ट्रीय राजमार्ग नहीं है। एनएचएआई ने जोर देकर कहा कि चूंकि यह एक नया राजमार्ग नहीं है, इसलिए इसे पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (ईआईए) अधिसूचना, 2006 के तहत अनिवार्य पूर्व पर्यावरणीय मंजूरी प्राप्त करने से छूट दी गई है।
निवासी ने फ्लाईओवर और कनेक्टिंग रोड के निर्माण के खिलाफ यह कहते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था कि एनएचएआई कथित तौर पर ग्रीनफील्ड परियोजना के हिस्से के रूप में अवैध रूप से फ्लाईओवर का निर्माण कर रहा था। उन्होंने इस अवधि में निर्माण गतिविधि को आगे बढ़ाने से रोकने के लिए निर्देश देने की मांग की।
(आईएएनएस)
Created On :   23 Aug 2021 11:30 PM IST