आईएस के कथित सदस्य को मिली जमानत में दखल देने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

Supreme Court refuses to interfere with bail granted to alleged IS member
आईएस के कथित सदस्य को मिली जमानत में दखल देने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
दिल्ली आईएस के कथित सदस्य को मिली जमानत में दखल देने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
हाईलाइट
  • आईएस के कथित सदस्य को मिली जमानत में दखल देने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें मुंबई हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें आईएस के कथित सदस्य अरीब एजाज मजीद की इस वर्ष 23 फरवरी को जमानत बरकरार रखी गई थी।

मजीद को 29 नवंबर 2014 को मुंबई एटीएस ने गिरफ्तार किया था। बाद में मामला एनआईए को सौंप दिया गया था।

एनआईए का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू ने न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना की पीठ के समक्ष कहा कि मजीद एक आतंकवादी है, जो सीरिया गया था। एजेंसी ने कहा कि वह शुरुआत में मई, 2014 में तीर्थयात्रा वीजा पर इराक गया था, लेकिन बाद में आईएस में शामिल होने के लिए सीरिया चला गया।

राजू ने कहा कि मजीद पुलिस मुख्यालय में विस्फोट करने के लिए देश वापस आया और वह कथित तौर पर भारतीयों के साथ-साथ गैर-निवासियों को आतंकवादी संगठन में शामिल होने के लिए भर्ती करने की कोशिश कर रहा था।

राजू ने आगे तर्क दिया कि यह गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत एक मामला है।

हालांकि, शीर्ष अदालत ने केंद्रीय एजेंसी द्वारा विशेष अनुमति याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। पीठ ने कहा कि आरोपी पांच साल से अधिक समय से जेल में है और निचली अदालत ने उसकी जमानत पर कड़ी शर्तें रखी हैं। निचली अदालत ने उसे 17 मार्च, 2020 को जमानत पर रिहा करने का आदेश पारित किया था। मजीद की ओर से एडवोकेट फारुख रशीद कैविएट पर पेश हुए।

एजेंसी ने यह भी आरोप लगाया कि आरोपी लोन वुल्फ अटैक तरह के ऑपरेशन को अंजाम देने के मकसद से भारत वापस आया था। राजू ने कहा कि सभ्य व्यवहार निचली अदालत द्वारा उन्हें जमानत देने का आधार नहीं हो सकता।

एनआईए के अनुसार, उसे हथियारों और आग्नेयास्त्रों (फायरआर्म्स) को संभालने का प्रशिक्षण दिया गया था और वह कथित रूप से इराक और सीरिया में आतंकवादी गतिविधियों में भी सक्रिय रूप से शामिल था। एजेंसी ने सह-अभियुक्तों के कथित सोशल मीडिया पोस्टों पर भरोसा करते हुए आरोप लगाया कि मजीद आतंकवादी गतिविधियों के लिए भारत लौटा था।

दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने कहा कि वह उच्च न्यायालय के उस आदेश में हस्तक्षेप नहीं करेगी, जिसमें निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा गया है।

 

(आईएएनएस)

Created On :   27 Aug 2021 11:30 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story