तिब्बती संस्था की रिपोर्ट में चीन के मानवाधिकार उल्लंघनों का खुलासा

Tibetan institution report reveals Chinas human rights violations
तिब्बती संस्था की रिपोर्ट में चीन के मानवाधिकार उल्लंघनों का खुलासा
तिब्बती संस्था की रिपोर्ट में चीन के मानवाधिकार उल्लंघनों का खुलासा
हाईलाइट
  • तिब्बती संस्था की रिपोर्ट में चीन के मानवाधिकार उल्लंघनों का खुलासा

नई दिल्ली, 5 जुलाई (आईएएनएस)। चीन चाहे जो कुछ भी करे; पड़ोसियों पर हमला, देशों को अपशब्द कहना, मछुआरों की नावों को डुबो देना या यहां तक कि कोरोना वायरस से जूझ रही दुनिया भर में दवाइयां पहुंचाना, वो कुछ भी कर ले, कोरोना महामारी के दाग उसके और उसके शहर वुहान का पीछा नहीं छोड़ रहे हैं।

एक निहायत ही गैर-कूटनीतिक विदेश नीति की मदद से चीन खुद को बचाने की जितनी भी कोशिश कर रहा है, इसके जाल में उतना ही उलझता जा रहा है। निगाहें घूम-फिरकर वहीं आ जाती हैं जहां चीन इन्हें आने नहीं देना चाहता, और वह है चीन द्वारा लोगों के मानवाधिकारों का उल्लंघन, अल्पसंख्यकों और उन जातीयताओं के अधिकारों का उल्लंघन जो हान चीनी नहीं हैं।

अपनी भूमि से निकाले गए तिब्बतियों के लिए अक्सर चीन की दमनकारी ताकत के खिलाफ अपनी आवाज को उठाना मुश्किल होता रहा है। लेकिन अभी, जैसा कि यह बड़ा देश अपने बुरे कर्मो से वैश्विक ध्यान आकर्षित कर रहा है, तिब्बती समुदाय को भी तिब्बत में हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन को उजागर करने का अवसर मिला है।

धर्मशाला स्थित द तिब्बतन सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स एंड डेमोक्रेसी (टीसीएचआरडी) ने हाल ही में अपनी 2019 एनुअल रिपोर्ट : ह्यूमन राइट्स सिचुएशन इन तिब्बत जारी की, जो तिब्बती लोगों पर चीन के निर्मम दमन और उनकी सांस्कृतिक पहचान को व्यवस्थित रूप से नष्ट करने का दस्तावेज है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने काली और बुरी ताकतों को नष्ट करने के लिए 2018 में तीन साल का देशव्यापी राजनैतिक अभियान शुरू किया, जिसके तहत उसने अलगाववाद को उकसाने के आरोप में तिब्बती कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया है। स्पेशल स्ट्रगल अगेंस्ट ब्लैक एंड एविल फोर्सेज के तहत, चीन तिब्बतियों को अपने धर्म का पालन करने और अपनी मातृभाषा के उपयोग की वकालत करने के लिए भी बंदी बना रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यहां तक कि मध्य मार्ग को अपनाने की बात कहने पर भी गिरफ्तारी हुई है।

कम्युनिस्ट देश तिब्बतियों को दबाने और उनमें भय पैदा करने के लिए तकनीक का व्यापक उपयोग कर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने विदेशी संपर्क कम कर दिया है और इस क्षेत्र को चेहरे की पहचान करने वाले सॉफ्टवेयर और तकनीक से भर दिया है। कम्युनिस्ट देश चीनी शासन के खिलाफ संभावित विरोधों पर नजर रखने और इन्हें दबाने के लिए डिजिटल संसाधनों पर कड़ी नजर रख रहा है।

टीसीएचआरडी की रिपोर्ट के अनुसार, यह सिर्फ आम तिब्बती नहीं है जिन्हें परेशान किया जा रहा है; चीनी अधिकारी पत्रकारों, ब्लॉग लिखने वालों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की निजता और इनके अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के उल्लंघन के लिए लक्षित निगरानी कर रहे हैं।

सांस्कृतिक मोर्चे पर तिब्बतियों को जबरन अपनी भाषा और संस्कृति से अलग किया जा रहा है। द्विभाषी शिक्षा नीति की आड़ में चीन प्राथमिक विद्यालय में तिब्बती भाषा के बजाए मंदारिन चीनी भाषा को शिक्षा के माध्यम के रूप में बदल रहा है। यह तिब्बत की जनसांख्यिकीय को बदलने के प्रयास में यहां चीनी लोगों को आर्थिक पहल की आड़ में बसा रहा है।

टीसीएचआरडी की रिपोर्ट कहती है कि इन सभी उपायों से तिब्बतियों में भय और असुरक्षा की भावना पैदा हुई है, जो दलाई लामा के बारे में बात करने तक से भी डरते हैं।

मानवाधिकार रिपोर्ट में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से चीनी सरकार पर पत्रकारों, मानवाधिकारों की निगरानी करने वालों और संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधियों के लिए तिब्बत को खोलने का दबाव बनाने का आग्रह किया गया है। इसमें यह भी कहा गया है कि तिब्बती बौद्ध संस्थानों के विध्वंस को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र और अन्य एजेंसियां चीन पर दबाव डालें।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चीन दमनकारी नीतियों को वापस ले जिनमें न्यायेत्तर हिरासत, राजनैतिक विचारों को थोपा जाना और तिब्बत में लोगों की लक्षित निगरानी शामिल हैं।

रिपोर्ट में मांग की गई है कि न्यायेत्तर हिरासत केंद्रों में आरोपों के बिना बंद सभी तिब्बतियों की रिहाई हो, राजनैतिक विचारों को मानने के लिए बाध्य किए जाने वाले अभियान को रोका जाए और एक निर्दिष्ट स्थान पर आवासीय निगरानी और काली जेलों को बंद किया जाए।

चाहे तिब्बतियों पर अत्याचार हों या फिर प्रतिद्वंद्वियों पर लांछन लगाना, वेट मार्केट या वुहान लैब या दोनों ही के वायरस से दुनिया का ध्यान हट नहीं रहा है। और, इसके बीच चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने शांतिपूर्ण तिब्बती समुदाय के खिलाफ मानवाधिकारों के अपने उल्लंघन को वैध बनाने के लिए ब्लैक एंड बैड फोर्सेज, स्पेशल स्ट्रगल अगेंस्ट ब्लैक एंड एविल फोर्सेज जैसे डिजाइनर शब्दों को रचने में अपनी रचनात्मकता का प्रदर्शन किया है।

(यह सामग्री इंडियानैरेटिव डॉट कॉम के साथ एक व्यवस्था के तहत प्रस्तुत की गई है)

Created On :   5 July 2020 5:01 PM IST

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