- लखनऊ में किसान आंदोलन और कोविड संक्रमण के मद्देनजर धारा 144 लागू
- केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने हैदराबाद में ली कोरोना वैक्सीन की पहली डोज
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मैरीटाइम इंडिया समिट का आज 11 बजे करेंगे उद्घाटन
- डीजल-पेट्रोल के बाद बढ़े सीएनजी और पीएनजी के दाम, आज से लागू हुई कीमत
- चीनी हैकर्स ने एसआईआई और भारत बायोटेक को बनाया निशाना, कर रहा साइबर हमले
तिब्बती संस्था की रिपोर्ट में चीन के मानवाधिकार उल्लंघनों का खुलासा

हाईलाइट
- तिब्बती संस्था की रिपोर्ट में चीन के मानवाधिकार उल्लंघनों का खुलासा
नई दिल्ली, 5 जुलाई (आईएएनएस)। चीन चाहे जो कुछ भी करे; पड़ोसियों पर हमला, देशों को अपशब्द कहना, मछुआरों की नावों को डुबो देना या यहां तक कि कोरोना वायरस से जूझ रही दुनिया भर में दवाइयां पहुंचाना, वो कुछ भी कर ले, कोरोना महामारी के दाग उसके और उसके शहर वुहान का पीछा नहीं छोड़ रहे हैं।
एक निहायत ही गैर-कूटनीतिक विदेश नीति की मदद से चीन खुद को बचाने की जितनी भी कोशिश कर रहा है, इसके जाल में उतना ही उलझता जा रहा है। निगाहें घूम-फिरकर वहीं आ जाती हैं जहां चीन इन्हें आने नहीं देना चाहता, और वह है चीन द्वारा लोगों के मानवाधिकारों का उल्लंघन, अल्पसंख्यकों और उन जातीयताओं के अधिकारों का उल्लंघन जो हान चीनी नहीं हैं।
अपनी भूमि से निकाले गए तिब्बतियों के लिए अक्सर चीन की दमनकारी ताकत के खिलाफ अपनी आवाज को उठाना मुश्किल होता रहा है। लेकिन अभी, जैसा कि यह बड़ा देश अपने बुरे कर्मो से वैश्विक ध्यान आकर्षित कर रहा है, तिब्बती समुदाय को भी तिब्बत में हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन को उजागर करने का अवसर मिला है।
धर्मशाला स्थित द तिब्बतन सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स एंड डेमोक्रेसी (टीसीएचआरडी) ने हाल ही में अपनी 2019 एनुअल रिपोर्ट : ह्यूमन राइट्स सिचुएशन इन तिब्बत जारी की, जो तिब्बती लोगों पर चीन के निर्मम दमन और उनकी सांस्कृतिक पहचान को व्यवस्थित रूप से नष्ट करने का दस्तावेज है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने काली और बुरी ताकतों को नष्ट करने के लिए 2018 में तीन साल का देशव्यापी राजनैतिक अभियान शुरू किया, जिसके तहत उसने अलगाववाद को उकसाने के आरोप में तिब्बती कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया है। स्पेशल स्ट्रगल अगेंस्ट ब्लैक एंड एविल फोर्सेज के तहत, चीन तिब्बतियों को अपने धर्म का पालन करने और अपनी मातृभाषा के उपयोग की वकालत करने के लिए भी बंदी बना रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यहां तक कि मध्य मार्ग को अपनाने की बात कहने पर भी गिरफ्तारी हुई है।
कम्युनिस्ट देश तिब्बतियों को दबाने और उनमें भय पैदा करने के लिए तकनीक का व्यापक उपयोग कर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने विदेशी संपर्क कम कर दिया है और इस क्षेत्र को चेहरे की पहचान करने वाले सॉफ्टवेयर और तकनीक से भर दिया है। कम्युनिस्ट देश चीनी शासन के खिलाफ संभावित विरोधों पर नजर रखने और इन्हें दबाने के लिए डिजिटल संसाधनों पर कड़ी नजर रख रहा है।
टीसीएचआरडी की रिपोर्ट के अनुसार, यह सिर्फ आम तिब्बती नहीं है जिन्हें परेशान किया जा रहा है; चीनी अधिकारी पत्रकारों, ब्लॉग लिखने वालों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की निजता और इनके अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के उल्लंघन के लिए लक्षित निगरानी कर रहे हैं।
सांस्कृतिक मोर्चे पर तिब्बतियों को जबरन अपनी भाषा और संस्कृति से अलग किया जा रहा है। द्विभाषी शिक्षा नीति की आड़ में चीन प्राथमिक विद्यालय में तिब्बती भाषा के बजाए मंदारिन चीनी भाषा को शिक्षा के माध्यम के रूप में बदल रहा है। यह तिब्बत की जनसांख्यिकीय को बदलने के प्रयास में यहां चीनी लोगों को आर्थिक पहल की आड़ में बसा रहा है।
टीसीएचआरडी की रिपोर्ट कहती है कि इन सभी उपायों से तिब्बतियों में भय और असुरक्षा की भावना पैदा हुई है, जो दलाई लामा के बारे में बात करने तक से भी डरते हैं।
मानवाधिकार रिपोर्ट में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से चीनी सरकार पर पत्रकारों, मानवाधिकारों की निगरानी करने वालों और संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधियों के लिए तिब्बत को खोलने का दबाव बनाने का आग्रह किया गया है। इसमें यह भी कहा गया है कि तिब्बती बौद्ध संस्थानों के विध्वंस को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र और अन्य एजेंसियां चीन पर दबाव डालें।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चीन दमनकारी नीतियों को वापस ले जिनमें न्यायेत्तर हिरासत, राजनैतिक विचारों को थोपा जाना और तिब्बत में लोगों की लक्षित निगरानी शामिल हैं।
रिपोर्ट में मांग की गई है कि न्यायेत्तर हिरासत केंद्रों में आरोपों के बिना बंद सभी तिब्बतियों की रिहाई हो, राजनैतिक विचारों को मानने के लिए बाध्य किए जाने वाले अभियान को रोका जाए और एक निर्दिष्ट स्थान पर आवासीय निगरानी और काली जेलों को बंद किया जाए।
चाहे तिब्बतियों पर अत्याचार हों या फिर प्रतिद्वंद्वियों पर लांछन लगाना, वेट मार्केट या वुहान लैब या दोनों ही के वायरस से दुनिया का ध्यान हट नहीं रहा है। और, इसके बीच चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने शांतिपूर्ण तिब्बती समुदाय के खिलाफ मानवाधिकारों के अपने उल्लंघन को वैध बनाने के लिए ब्लैक एंड बैड फोर्सेज, स्पेशल स्ट्रगल अगेंस्ट ब्लैक एंड एविल फोर्सेज जैसे डिजाइनर शब्दों को रचने में अपनी रचनात्मकता का प्रदर्शन किया है।
(यह सामग्री इंडियानैरेटिव डॉट कॉम के साथ एक व्यवस्था के तहत प्रस्तुत की गई है)
कमेंट करें
Real Estate: खरीदना चाहते हैं अपने सपनों का घर तो रखे इन बातों का ध्यान, भास्कर प्रॉपर्टी करेगा मदद

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। किसी के लिए भी प्रॉपर्टी खरीदना जीवन के महत्वपूर्ण कामों में से एक होता है। आप सारी जमा पूंजी और कर्ज लेकर अपने सपनों के घर को खरीदते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि इसमें इतनी ही सावधानी बरती जाय जिससे कि आपकी मेहनत की कमाई को कोई चट ना कर सके। प्रॉपर्टी की कोई भी डील करने से पहले पूरा रिसर्च वर्क होना चाहिए। हर कागजात को सावधानी से चेक करने के बाद ही डील पर आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि कई बार हमें मालूम नहीं होता कि सही और सटीक जानकारी कहा से मिलेगी। इसमें bhaskarproperty.com आपकी मदद कर सकता है।
जानिए भास्कर प्रॉपर्टी के बारे में:
भास्कर प्रॉपर्टी ऑनलाइन रियल एस्टेट स्पेस में तेजी से आगे बढ़ने वाली कंपनी हैं, जो आपके सपनों के घर की तलाश को आसान बनाती है। एक बेहतर अनुभव देने और आपको फर्जी लिस्टिंग और अंतहीन साइट विजिट से मुक्त कराने के मकसद से ही इस प्लेटफॉर्म को डेवलप किया गया है। हमारी बेहतरीन टीम की रिसर्च और मेहनत से हमने कई सारे प्रॉपर्टी से जुड़े रिकॉर्ड को इकट्ठा किया है। आपकी सुविधाओं को ध्यान में रखकर बनाए गए इस प्लेटफॉर्म से आपके समय की भी बचत होगी। यहां आपको सभी रेंज की प्रॉपर्टी लिस्टिंग मिलेगी, खास तौर पर जबलपुर की प्रॉपर्टीज से जुड़ी लिस्टिंग्स। ऐसे में अगर आप जबलपुर में प्रॉपर्टी खरीदने का प्लान बना रहे हैं और सही और सटीक जानकारी चाहते हैं तो भास्कर प्रॉपर्टी की वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं।
ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।