पीएम मोदी के अनसुने किस्से, जानिए देश के प्रधान मंत्री से जुड़े कुछ इनसाइड फैक्ट
- उल्टी घड़ी पहनते हैं पीएम मोदी
- चाय बेचते बेचते पीएम मोदी ने सीखी हिंदी
- पीएम मोदी को है मीम पढ़ने का शौक
डिजिटल डेस्क दिल्ली। लोग आज भी ये सोच कर हैरान रह जाते हैं कि एक चाय बेचने वाला आखिर देश का प्रधान मंत्री कैसे बन गया। इस पर वो प्रसिद्ध प्रसंग अच्छा फिट बैठता है "डोंट जज अ बुक बाय हिस कवर" नरेंद्र मोदी जी काबील थे इस लिए उन्हें देश की सत्ता का भार संभालने का अवसर मिला। उनके बचपन से लेकर अबतक के जीवन के बारें में कई सारे रोचक फैक्ट हैं आइए जानते है प्रधान मंत्री से जुड़ी कुछ बातें।
प्राधान मंत्री के अनसुने किस्से और अननोन फैक्ट
उल्टी घड़ी पहनते हैं पीएम मोदी
मोदी जी को बार-बार समय देखना होता है और जब भी वो किसी मीटिंग में या किसी के साथ बैठे रहते हैं तो सामने वाले को उनका बार बार समय देखना बुरा लग सकता है। इसीलिए वो हमेंशा उल्टी घड़ी पहनते हैं, जिससे उल्टी घड़ी में आसानी से वक्त दिख जाता है और सामने वाले को पता भी नहीं चलता है।
चाय बेचते बेचते सीखी हिंदी
मोदी जी ने चाय बेचते बेचते बहुत कुछ सीखा। लोगों को जानने और समझने का अवसर मिला। अक्सर बीजेपी नेता भी उनकी हिंदी सुनकर हैरान रह जाते थे, क्योंकि वो गुजराती थे। जब मालगाड़ी से मुंबई के कारोबारी आते थे तब वो उन्हें चाय पिलाते थे। उन कारोबारी से बात करते करते पीएम मोदी ने हिंदी सीखी थी।
खंडहर में बिताया समय
मोदी जी कभी दिपावली नहीं मनाते थे, दिवाली मनाने के बजाए वो 5 दिन तक घर से दूर किसी खंडहर या फिर किसी पेड़ के नीचे पड़े रहते थे। इन पांच दिनों में वो खुद से मिलते थे।
सिनेमा के साथी
पीएम मोदी के दोस्त के पिता थिएटर के बाहर चना बेचते थे, जिसके कारण कभी-कभी थिएटर में जाने का मौका मिल जाता था तब दोस्त के साथ जाकर फिल्म देख आते थे। इसके बाद जब सीएम बने तब अमिताभ बच्चन और अनुपम खेर जी के साथ फिल्म देखने गये थे।
देख कर दी स्पीच
पीएम मोदी की भाषण शैली और उनका कॉन्फिडेंस सभी को चौंकाता है। पर आपको जानकर ताज्जुब होगा कि मोदीजी खुद अपने पहले भाषण में बुरी तरह डर गए थे। उस वक्त वो यूनाइटेड नेशन में भाषण देने गए थे। जहां बीजेपी नेता सुषमा स्वराज भी मौजूद थीं। स्वराज ने उन्हें सलाह दी कि भाषण की लिखित कॉपी भी साथ रखें। वैसे तो मोदी अपने भाषण को लेकर कॉन्फिडेंट थे, पर सुषमाजी की सलाह पर उन्होंने एक कॉपी भी रख ली। भाषण देते समय वही कॉपी काम आई जिसे पढ़कर मोदी ने सबके सामने भाषण दिया।
ग्रुप खेलों में रूचि रखते हैं पीएम
मोदी जी जब बचपन में आरएसएस के कैंप में जाते थे तब वहां कई तरह के खेल होते थे। वहां जाने के बाद उनका लगाव योग के प्रति बढ़ गया। इसके अलावा पीएम मोदी को ग्रुप वाले खेल खेलना ज्यादा पसंद है। इससे पीछे का कारण बताते हुए पीएम मोदी ने कहा था ग्रुप खेल खेलने से आपके व्यक्तित्व में सुधार आता है, टीम स्प्रिट आती है।
मां का दिया सवा रुपया
मोदी जी अपनी मां को सैलरी नहीं देते बल्कि अक्सर उनकी मां ही उन्हें पैसे देती है। मोदी जी की मां हमेशा उनके हाथों में सवा रुपया थमाती हैं।
मीम पढ़ने का शौक
पीएम मोदी मीम देखकर एंजॉय करते है। वो उसमें खुद को कम और क्रिएटिविटी को ज्यादा देखते हैं। मोदी जी को यह देखकर खुशी होती है कि ये लोग तुरंत सोचने में सक्षम हैं। उन्हें मीम पर कॉमन मैन की सेंस और क्रिएटिविटी दिखती है।
सीएम बनने के बाद धोए कपड़े
पीएम मोदी जब सीएम बने तब तक अपने कपड़े खुद ही धोते थे। दरअसल उनकी आर्थिक स्थिति शुरू से ठीक नहीं थी। बचपन में वो लोटे में कोयला भरकर कपड़ों को प्रेस करते थे, चौक से सफेद जूतों पर पॉलिश किया करते थे। इन्हीं आदतों के चलते बहुत समय तक वो सीएम हाउस में अपने हाथों से ही अपने कपड़े धोते रहे।
आखिर क्यों तीन से चार घंटे ही सोते हैं पीएम मोदी।
पीएम के लिए मशहूर है कि वो सिर्फ तीन से चार घंटे की नींद ही लेते हैं. जबकि कम से कम 6-7 घंटे की नींद ली जाना चाहिए। पीएम ने एक इंटरव्यू में इस बारे में बताया था कि अमेरिका के पूर्व प्रेसिडेंट बराक ओबामा भी उनकी नींद पर सवाल कर चुके हैं। हालांकि पीएम मोदी हमेशा यही कहते रहे हैं कि उनकी नींद कम समय में पूरी हो जाती है। रिटायर होने के बाद नींद बढ़ाने के बारे में सोचेंगे।
ममता दीदी की भेंट
पश्चिम बंगाल चुनाव के बाद से ममता बनर्जी और बीजेपी नेताओं के बीच की तल्खी किसी से छिपी नहीं है। हालांकि ममता बनर्जी ने कई बार पीएम मोदी को भेंट भी दी है। खुद मोदी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि ममता दीदी साल में एक बार उन्हें कुर्ते जरूर भेजती हैं। एक बार कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद के साथ ठहाके लगाते हुए पीएम मोदी ने ये भी कहा था कि हम सब एक परिवार हैं।
कलम से क्रोध पर काबू
पीएम मोदी अपने गुस्से को कंट्रोल करने के लिए हमेशा से एक ही चीज करते है। उन्हें जब कभी भी लगता था कि उनके ही साथ ऐसा क्यों हुआ? तब ऐसे में वो अकेले कागज लेकर बैठते थे और सारी घटना और हालात को कलम की ताकत से कागज में बयां कर देते थे। फिर उसको फाड़कर फेंक देते थे। फिर दोबारा लिखते थे। इससे वो चीजें कागज के साथ ही फट जाती थीं।
फौजी बनने की थी ख्वाहिश
पीएम का भी मन करता था कि वो भी फौज में जाएं देश की सेवा करें। फौज में भर्ती होने के लिए मोदी जी ने एक बार गुजरात के सैनिक स्कूल में दाखिला लेने की कोशिश भी की थी।
Created On :   16 Sept 2021 4:16 PM IST