उप्र : कांग्रेस ने संगठन में फेर-बदल कर चला सियासी दांव

UP: Congress changed political stakes in organization
उप्र : कांग्रेस ने संगठन में फेर-बदल कर चला सियासी दांव
उप्र : कांग्रेस ने संगठन में फेर-बदल कर चला सियासी दांव
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लखनऊ, 12 सितंबर (आईएएनएस)। कांग्रेस पार्टी में लेटर बम से मचे बवाल के बाद उत्तर प्रदेश संगठन में बहुत कुछ ठीक नहीं चल रहा था। ऐसे में कांग्रेस की यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी को और मजबूत बनाने के लिए पार्टी ने बिखरे पड़े बड़े नेताओं को जिम्मेदारी देकर बड़ा डैमेज कंट्रोल करने का प्रयास किया है। साथ ही साथ ही प्रमोद तिवारी, जितिन प्रसाद, राजेश मिश्रा जैसे प्रमुख नेताओं को बड़ी जिम्मेंदारी देकर तेज हुई ब्राह्मणों की सियासत में भी बड़ा दांव चला है।

गुलामनबी आजाद की छुट्टी कर प्रियंका के कंधे पर पूरे प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी गई है। पार्टी दलित और ब्राह्मण मतदाताओं को अपने पाले में कर विधानसभा चुनाव में लाभ लेना चाह रही है।

पार्टी से नाराज चल रहे जितिन प्रसाद पर भरोसा करके उनको केंद्र शासित प्रदेश अंडमान-निकोबार के साथ ही पश्चिम बंगाल जैसे चुनौतीपूर्ण और अहम राज्य के प्रभारी की अहम जिम्मेदारी दी है। पूर्व सांसद प्रमोद तिवारी को पहली बार केंद्रीय कार्यसमिति का स्थायी सदस्य बनाया गया है। वहीं, पूर्व सांसद राजेश मिश्रा ही प्रदेश के ऐसे नेता हैं, जिन्हें केंद्रीय चुनाव समिति में तवज्जो देकर ब्राह्मणों का हमदर्द बताने का प्रयास किया है।

वहीं दलितों को राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए पीएल पुनिया पर एक बार फिर भरोसा जताया है। पूर्व मंत्री आरपीएन सिंह, राजीव शुक्ला और विवेक बंसल को भी अलग-अलग राज्यों की जिम्मेदारी दी गई है।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है, इस बार कार्यकारिणी में उत्तर प्रदेश को अधिक तवज्जो दी गई है। इसका लाभ निश्चित ही विधानसभा चुनाव में मिलेगा। बड़े समांजस्य के साथ वरिष्ठ नेताओं को जगह दी गई है। उनके समर्थक पार्टी को आने वाले समय में लाभ पहुंचाएंगे।

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक प्रसून पांडेय का कहना है कि कांग्रेस पार्टी ने निश्चित रूप से यूपी को नेताओं को अपनी नई समिति में शामिल करके एक तीर से कई निशाने साधने का प्रयास किया है। एक तरफ ब्राह्मण नेताओं को सम्मान देकर अपने खोए सर्वण वोट बैंक को संजोने का प्रयास किया है, तो वहीं दलित नेताओं को जिम्मेदारी देकर बड़ा संदेश देने की कोशिश की है। हालांकि इसका लाभ आने वाले चुनावों में कितना मिलेगा, यह कह पाना अभी बहुत जल्दबाजी होगी।

वीकेटी/एसजीके

Created On :   12 Sept 2020 3:30 PM IST

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