उत्तराखंड त्रासदी : बचाव दल का खोज अभियान अभी भी जारी, ग्लेशियर से बनी झील के निरीक्षण के लिए अब 2 टीमें और पहुंचीं    

Uttarakhand tragedy: Rescue team search operation still going on
उत्तराखंड त्रासदी : बचाव दल का खोज अभियान अभी भी जारी, ग्लेशियर से बनी झील के निरीक्षण के लिए अब 2 टीमें और पहुंचीं    
उत्तराखंड त्रासदी : बचाव दल का खोज अभियान अभी भी जारी, ग्लेशियर से बनी झील के निरीक्षण के लिए अब 2 टीमें और पहुंचीं    
हाईलाइट
  • अब तक 62 शव बरामद किए गए
  • झील के निरीक्षण के लिए अब 2 टीमें और पहुंचीं
  • तपोवन टनल में अब तक 13 शव मिले

डिजिटल डेस्क, देहरादून। उत्तराखंड के चमोली जिले में तपोवन परियोजना की आपदाग्रस्त सुरंग को साफ करने का काम बचाव दल ने शनिवार को भी जारी रखा। बचाव दल ने अधिक शवों को खोजने के लिए अन्य स्थानों की भी तलाशी ली। पुलिस के आला अधिकारियों ने कहा कि भारी पानी और कीचड़ के कारण सुरंग के अंदर खुदाई का काम धीमी गति से चल रहा है, जहां 25 से 35 लोग दबे हुए हो सकते हैं और इन लोगों में से 13 के शव अब तक बरामद किए जा चुके हैं।

सुरंग को पहले ही 166 मीटर गहरी और ढलान से छह मीटर के स्तर तक खोदा गया है। अधिकारियों ने कहा कि सुरंग से लगातार पानी बाहर निकाला जा रहा है। बचाव दल ने शुक्रवार को जोशीमठ के पास हेलंग क्षेत्र में एक शव बरामद किया था। बचाव दल ने 142 लापता व्यक्तियों की खोज के लिए अपने खोज अभियान में डॉग स्क्वॉड, दूरबीन, राफ्ट और अन्य उपकरणों का इस्तेमाल किया है। ऋषिगंगा नदी में 7 फरवरी को आए जलप्रलय के बाद लगभग 204 व्यक्ति लापता हो गए थे।

अब तक 62 शव बरामद किए गए
गुरुवार को सुरंग के अंदर दो शवों की बरामदगी के बाद अब तक कुल 62 शव बरामद किए गए हैं। सुरंग के अंदर पानी और कीचड़ की मौजूदगी के कारण खुदाई का काम बाधित हो रहा है। भारी कीचड़ की उपस्थिति और शवों को अधिकतम देखभाल के साथ बाहर निकालने के लिए बरती जा रही एहतियात के तौर पर ऑपरेशन धीमी गति से चल रहा है।

तपोवन टनल में अब तक 13 शव मिले
सुरंग के अंदर खुदाई और सफाई के दौरान अब तक 13 शव मिले हैं। बचावकर्मी दो प्रमुख स्थानों पर काम कर रहे हैं - एक सुरंग के अंदर और दूसरा रैणी गांव में ऋषिगंगा परियोजना के अवशेषों पर। रैणी गांव के पास बचाव अभियान में स्निफर कुत्तों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।

एसडीआरएफ की 12 टीमें रैणी गांव से श्रीनगर तक तलाश कर रही शव
एसडीआरएफ की कुल 12 टीमें रैणी गांव से लेकर नीचे की ओर श्रीनगर क्षेत्र में दूरबीन, स्निफर डॉग और राफ्ट का उपयोग कर शवों की तलाश कर रही हैं। इसके अलावा ऋषिगंगा, धौलीगंगा और अलकनंदा नदियों में राफ्टिंग का उपयोग किया जा रहा है, जो गंगा की सभी सहायक नदियां हैं। सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के जवान बचाव कार्य में लगे हुए हैं और यह सुरंग के एक हिस्से को खोलने में कामयाब रहे हैं और उनका खोज अभियान (सर्च ऑपरेशन) अभी भी जारी है।

झील के निरीक्षण के लिए अब 2 टीमें और पहुंचीं    
वहीं उत्तराखंड के चमोली में हाल ही में आए सैलाब के बाद ऊपरी इलाकों में बनी झील के विस्तृत सर्वेक्षण के बाद आईटीबीपी और डीआरडीओ की टीम शनिवार को अपना निरीक्षण पूरा करके जोशीमठ लौट आई हैं। यह टीमें बहुत जल्द ही उत्तराखंड और केंद्र सरकारों को अपनी रिपोर्ट सौंपेंगी। 

भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की टीम रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के अधिकारियों के साथ बुधवार को मुरेंडा पहुंची थी, जहां प्राकृतिक झील का निर्माण हुआ है। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) और वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी की टीमें शनिवार को झील के निर्माण वाले स्थान पर पहुंची और इसी समय पहली से मौजूद टीम ने अपना निरीक्षण पूरा कर लिया था। आईटीबीपी टीम नई टीमों को भी सहायता प्रदान करेगी। आईटीबीपी के प्रवक्ता विवेक पांडे ने कहा, एक बार सभी एजेंसियों का सर्वेक्षण पूरा हो जाने के बाद, रिपोर्ट का आकलन भविष्य के पाठ्यक्रम के लिए किया जाएगा।

Created On :   20 Feb 2021 6:33 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story