भारत और चीन सिक्किम में क्यों आए आमने-सामने?

Why did India and China come face to face in Sikkim?
भारत और चीन सिक्किम में क्यों आए आमने-सामने?
भारत और चीन सिक्किम में क्यों आए आमने-सामने?

नई दिल्ली, 10 मई (आईएएनएस)। उत्तर सिक्किम में सीमा पर भारतीय और चीनी सेना के बीच संघर्ष संबंध बिगड़ने का एक और संकेत है, जो पिछले कुछ समय से उलझा हुआ है।

हुबई प्रांत के वुहान शहर से कोरोनावायरस महामारी के उत्पन्न होने के बाद से ही दोनों देशों के संबंध तनावपूर्ण हैं। हालांकि ट्रंप प्रशासन की तरह, मोदी ने सीधे चीन पर कोरोना फैलाने का आरोप तो नहीं लगाया है, लेकिन भारत में मुख्य धारा का मीडिया और सोशल मीडिया दोनों शी जिनपिंग सरकार के प्रति हमलावार रहे हैं।

भारत में लोगों की चिंताओं को दरकिनार करते हुए, भाजपा सरकार ने चीन से ही कोविड-19 टेस्टिंग किट के आर्डर दे दिए। हालांकि कई शिकायतों के बाद, सरकार ने लगभग पांच लाख किट के आर्डर रद्द कर दिए, जिससे चीन में रोष उत्पन्न हुआ।

नई दिल्ली के खिलाफ नकारात्मक नजरिए में तब और वृद्धि हुई, जब एफडीआई के नियमों को बदल दिया गया। देश में कोरोनावायरस संबंधित बंदी के दौरान आक्रामक व्यापार पर लगाम लगाने के लिए, केंद्र ने भारत के साथ सीमा साझा करने वाले देशों के सभी एफडीआई प्रस्तावों को सरकार के अनुमोदन मार्ग के तहत रखा।

चीन उसके बाद से ही भारत के इस रुख का विरोध कर रहा है। चीन संबंधों के जानकार जयदेव रानाडे ने कहा कि पहले भी दोनों देशों के बीच झड़पें होती रही हैं, लेकिन यह नया संघर्ष संबंधों में गिरावट की वजह से है।

दोनों देशों की सेनाएं उत्तरी सिक्किम के मुगुथांग दर्रे से आगे नाकु ला सेक्टर के पास आमने-सामने आ गईं। इस क्षेत्र को चीन विवादित क्षेत्र मानता है।

रानाडे ने कहा, तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ यह सहमति बनी थी कि सिक्किम भारत का है और चीन इसपर कोई दावा नहीं करेगा, लेकिन इसके एक साल के भीतर ही चीन के एक उपविदेश मंत्री ने हमारे तत्कालीन विदेश मंत्री से कहा था कि यह मुद्दा अभी सुलझा नहीं है।

उन्होंने कहा, चीन तिब्बत स्वायत क्षेत्र(टीएआर) में सेना की तैनाती कर रहा है और रक्षा संरचनाओं को बढ़ा रहा है। दो अप्रैल के आसपास, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के 300-500 वाहन, देमचोक-कोयूल के सामने ताशिगांग में थे।

रानाडे ने कहा, भारत के साथ चीन के संबंध अमेरिका और चीन के बीच और भारत और पाकिस्तान के बीच विकसित होने वाले डायनेमिक पर निर्भर करते हैं। बीजिंग के साथ अमेरिका के संबंध मौजूदा समय में खराब हैं, भारत-पाकिस्तान के संबंध भी तनावपूर्ण हैं। यह संघर्ष हमें दबाव में रखने के लिए हो सकता है, और इस चेतावनी के लिए भी हो सकता है कि हम डब्ल्यूएचओ में ताईवान का साथ न दे।

जेएनयू, नई दिल्ली में चीनी अध्ययन के प्रोफेसर श्रीकांत कोंडापल्ली का मानना है कि सिक्किम की घटना पीएलए से मिले निर्देश पर हुई है। उन्होंने कहा, नवंबर 2014 और जून 2018 के चीन के विदेश मामलों के शीर्ष कार्य सम्मेलनों में विदेश मंत्रालय और विदेशों में स्थित दूतावासों को आदेश दिया गया था कि वे भारत के साथ सीमा से संबंधित लक्ष्यों को आगे बढ़ाएं, जैसा कि पीएलए के 2015 और 2019 के श्वेतपत्रों में सूचीबद्ध है।

उन्होंने कहा कि नाकू की घटना उन्हीं निर्देशों के अनुपालन में घटी है, जैसा कि 2017 में डोकलाम की घटना या 2019 में पंगोंग त्सो की घटना या अरुणाचल में असाफिला की घटना में भी दिखाई दिया था।

कोंडापल्ली ने आगाह किया, चूंकि यह निर्देश शीर्ष स्तर से है, लिहाजा हम भविष्य में इस तरह की और भी घटनाओं को घटते देख सकते हैं औैर हमें इसके लिए कदम उठाने चाहिए।

Created On :   10 May 2020 11:00 PM IST

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