महिलाएं बनीं रोल मॉडल, पीओके में इनकी समकक्षों का बुरा हाल
- महिलाओं ने अपने रास्ते में आने वाले सभी अवसरों का लाभ उठाया है।
डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर की महिलाओं की सफलता की कहानियों ने दुनिया भर में नारियों को उनके नक्शेकदम पर चलने और अपने सपनों का पीछा करने के लिए प्रेरित किया है। जम्मू-कश्मीर में महिलाएं हर क्षेत्र में अपना हुनर साबित कर रही हैं और आगे बढ़ रही हैं। वे पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहतीं, क्योंकि वे दुनिया का दिल जीतना चाहती हैं।
हिमालयी क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण को 5 अगस्त, 2019 के बाद गति मिली, जब केंद्र ने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को निरस्त करने के अपने फैसले की घोषणा की और इसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया। तब से महिलाओं ने अपने रास्ते में आने वाले सभी अवसरों का लाभ उठाया है।
उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के बल पर अपने आलोचकों को गलत साबित किया है। पिछले दो वर्षों के दौरान स्वयं सहायता समूहों की पहल के माध्यम से हिमालयी क्षेत्र में 4.5 लाख महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाया गया है। 70 वर्षों में पहली बार, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने अराजपत्रित संवर्ग में महिलाओं के लिए 15 प्रतिशत आरक्षण आरक्षित किया है। अनगिनत महिला सशक्तिकरण योजनाओं ने जीवन के प्रति उनकी धारणा को बदल दिया है।
पिछले महीने जम्मू-कश्मीर में श्रीनगर के बेमिना इलाके की एक 15 वर्षीय लड़की सादिया तारिक ने रूस में आयोजित मॉस्को वुशु स्टार्स चैंपियनशिप के फाइनल मुकाबले में स्वर्ण पदक जीतकर भारत को गौरवान्वित किया।
सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें सम्मानित किया। पीएम मोदी ने ट्विटर पर लिखा, मॉस्को वुशु स्टार्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने पर सादिया तारिक को बधाई। उनकी सफलता कई नवोदित एथलीटों को प्रेरित करेगी। उन्हें उनके भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएं।
एक अंतर्राष्ट्रीय जलक्रीड़ा कोच, बिल्किस मीर, जिन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया है, को हाल ही में आगामी 2022 हांग्जो एशियाई खेलों के लिए एक न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। वह खेलों में इस सम्मान के लिए चुनी गई एकमात्र भारतीय हैं।
जम्मू और कश्मीर में महिलाएं एक ताकत हैं और उन्होंने साबित कर दिया है कि वे पुरुषों से कम नहीं हैं। जम्मू और कश्मीर बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन (जेकेबीओएसई) द्वारा हाल ही में घोषित कक्षा 10 और 12 के परिणामों में लड़कियों ने बेहतर रैंक और प्रतिशत हासिल करके लड़कों को पछाड़ दिया।
जम्मू-कश्मीर की महिलाओं ने सारे बंधन तोड़ दिए हैं। वे डॉक्टर, इंजीनियर, उद्यमी, खेल सितारे, वकील, बैंकर, पायलट, प्रशासक और क्या नहीं हैं। जम्मू-कश्मीर की महिलाओं के लिए आसमान ही सीमा है।
दूसरी ओर, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में महिलाओं के पास बताने के लिए कोई सफलता की कहानी नहीं है। नियंत्रण रेखा (एलओसी) की दूसरी तरफ महिलाओं को कोई अधिकार नहीं रखने वाली माना जाता है। पीओके इलाकों में स्थिति निराशाजनक है, जहां स्थानीय महिलाओं को पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकवादियों की दया पर छोड़ दिया गया है।
पाकिस्तान ने अपने औपनिवेशिक दृष्टिकोण से पीओके की महिलाओं को वंचित विषयों में बदल दिया है। कश्मीर के साथ पाकिस्तानी शासकों के जुनून ने पीओके को आतंकवादियों के लिए एक प्रजनन स्थल में बदल दिया है, जो महिलाओं को अपनी दासी के रूप में देखते हैं और उनका यौन शोषण करते हैं। न्याय के लिए उचित तंत्र और पाकिस्तानी सेना के संरक्षण का आनंद लेने वाले आतंकवादियों के कारण पीओके में यौन शोषण के कई मामले दर्ज नहीं होते।
अनम जकारिया ने पाकिस्तान के एक प्रमुख दैनिक, डॉन में अपने फीचर में पीओके की एक महिला नसरीन की कहानी सुनाई, जो अपने बच्चों को भारत की ओर से गोलाबारी के दौरान एक बंकर में सुरक्षा खोजने के लिए ले गई थी।
नसरीन का हवाला देते हुए जकारिया ने लिखा कि एक वृद्ध व्यक्ति ने उसकी 13 साल की बेटी आयशा के साथ बंदूक के दम पर दुष्कर्म किया और बोलने पर जान से मारने की धमकी दी थी। कुछ महीने बाद आयशा गर्भवती हो गई और परिषद ने उसकी इज्जत बचाने के लिए आयशा की शादी दुष्कर्मी से करने का फैसला किया। इतनी कम उम्र में बच्चे को जन्म देने के दर्द को सहने में असमर्थ आयशा को प्रसव पीड़ा में ही खून से लथपथ हालत में मौत हो गई। कुछ महीने बाद उसके बच्चे की भी मौत हो गई।
पीओके में भीमबेर की माहिरा ताहिरा ने लिखा कि जान की धमकी ने ताहिरा को उन दुष्कर्मियों को बेनकाब करने से नहीं रोका, जिन्होंने सरकारी मंत्रियों और सैन्य अधिकारियों के बीच आश्रय पाया था।
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान पीड़िता ने संवाददाताओं से कहा था कि दुष्कर्मियों ने पैसे कमाने के लिए इस घिनौनी घटना का वीडियो बनाई और जब उसने मना किया तो उन्होंने उसके बच्चे के साथ उसका अपहरण कर लिया। उसने आरोप लगाया कि उसी गिरोह ने बोलने के लिए एक और दुष्कर्म पीड़िता को आग के हवाले कर दिया। ताहिरा ने पुलिस और न्यायपालिका पर आरोपियों को बचाने का आरोप लगाया था।
ताहिरा ने कहा था कि कोर्ट चैंबर में बातचीत के दौरान चीफ जस्टिस ने उनसे कहा था, आप पहले से शादीशुदा हैं, कुंवारी नहीं हैं। आपको रेप से ऐतराज नहीं होना चाहिए। प्लीज केस छोड़ दीजिए।
(आईएएनएस)
Created On :   6 March 2022 9:30 PM IST