राजनैतिक उलट-पलट से भरपूर रहा पूरा साल, यहां पढ़ें..किसकी नैया डूबी, कौन हुआ पार

Year 2018 : Change in political scenario in states of India
राजनैतिक उलट-पलट से भरपूर रहा पूरा साल, यहां पढ़ें..किसकी नैया डूबी, कौन हुआ पार
राजनैतिक उलट-पलट से भरपूर रहा पूरा साल, यहां पढ़ें..किसकी नैया डूबी, कौन हुआ पार
हाईलाइट
  • NDA घटक दलों में सामने आई फूट
  • UPA हुआ मजबूत
  • कांग्रेस ने तीन बड़े हिंदी भाषी राज्यों में जीत दर्ज लोकसभा चुनाव में वापसी के दिए संकेत
  • साल 2018 में बीजेपी ने कई बड़े राज्यों से गवाई सत्ता

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वैसे तो हर साल भारतीय राजनीति में कोई न कोई उलट-पलट होती रहती है, लेकिन साल 2018 पिछले कुछ सालों के मुकाबले कुछ ज्यादा ही उथल-पुथल मचाने वाला रहा। इस पूरी उथल-पुथल के केन्द्र में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) रही। इस साल उत्तर-पूर्व के वे राज्य जहां बीजेपी ने कभी दहाई के आंकड़े में सीटें नहीं जीती थी, वहां पार्टी ने बहुमत के साथ सरकार बना डाली तो वहीं मध्य और उत्तर भारत में 15-15 साल से बीजेपी के गढ़ रहे दो बड़े हिंदी भाषी राज्य से पार्टी की विदाई हो गई। यही नहीं साल 2013 के बाद से जो बीजेपी एक के बाद एक विधानसभा चुनाव हो या निकाय चुनाव सभी जीतती आ रही थी, उसे 2018 में हुए लोकसभा और विधानसभा उपचुनावों में भी करारी हार मिली।

लोकसभा और विधानसभा चुनावों के इतर, बीजेपी के नेतृत्व वाले NDA में भी बड़े उलटफेर देखने को मिले। साल के अंत में TDP के चंद्रबाबु नायडू और RLSP के उपेन्द्र कुशवाहा ने NDA का साथ छोड़कर कांग्रेस के नेतृत्व वाले महागठबंधन की ओर रूख किया तो वहीं बीजेपी के ही अन्य सहयोगी दल जैसे महाराष्ट्र में शिवसेना, यूपी में अपना दल और बिहार में लोजपा भी बीजेपी को कड़े तेवर दिखाते रहे। उधर, कश्मीर में भी बीजेपी का साथ PDP से छूट गया। इन सब के बीच विपक्षी दल, बीजेपी से निपटने के लिए एकजुट होते रहे। TMC चीफ ममता बनर्जी, NCP चीफ शरद यादव, DMK चीफ स्टालिन अपने-अपने स्तर पर राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों को बीजेपी के खिलाफ एकजुट करने की कोशिश करते रहे। यहां पढ़िए साल 2018 की राजनैतिक उलट-पलट का पूरा हाल...

कम्यूनिस्टों के गढ़ में खिला कमल
इस साल फरवरी 2018 में हुए त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने कम्यूनिस्टों के एक बड़े और बेहद पुराने किले में सेंध लगा दी। यहां 25 सालों से कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) की सरकार थी। बीजेपी ने इस बार राज्य की 60 में से 36 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत के साथ सरकार बना डाली। बता दें कि यहां पहले बीजेपी ने कभी दहाई का आंकड़ा नहीं छुआ था।

पूरा उत्तर-पूर्व हुआ भगवा
इसी साल फरवरी में हुए मेघालय और नगालैंड विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी को बड़ी सफलता हासिल हुई। यहां बीजेपी अकेले तो सरकार नहीं बना पाई लेकिन अपने सहयोगी दलों के साथ बीजेपी ने दोनों राज्यों में सत्ता हासिल कर ली। नगालैंड में बीजेपी ने (12) जहां NDPP (18) के साथ मिलकर सरकार बनाई, वहीं मेघालय में बीजेपी महज 2 सीटें लाकर NPP और UDP के साथ सरकार में शामिल हो गई।

कर्नाटक का सियासी ड्रामा
कर्नाटक में इस साल मई में चुनाव हुए थे और बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। 224 सीटों वाली कर्नाटक विधानसभा में बीजेपी ने 104 सीटों पर जीत दर्ज की थी। बहुमत के लिए बीजेपी को 113 सीटों की आवश्यकता थी लेकिन बीजेपी 9 विधायक नहीं जुगाड़ पाई। यहां कांग्रेस (80) और जेडीएस (37) ने मिलकर सरकार बनाई। हालांकि सरकार बनने से पहले लम्बा सियासी ड्रामा चला। यहां पहले बीजेपी नेता येदियुरप्पा ने सीएम पद की शपथ ग्रहण की, लेकिन सदन में बहुमत न होने के बाद उनकी सरकार गिर गई और कांग्रेस-जेडीएस को सरकार बनाने का मौका मिला।

बीजेपी के गढ़ हुए धराशायी
साल 2018 का अंत बीजेपी के लिए बेहद ही बुरा रहा। बीजेपी ने अपने दो मजबूत किले मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ खो दिए।  मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में जहां बीजेपी-कांग्रेस के बीच चली कांटे की टक्कर में आखिरकार कांग्रेस को जीत मिली, वहीं छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने बीजेपी का पूरी तरह सुपड़ा साफ कर दिया। दोनों ही राज्यों में बीजेपी 15-15 सालों से सत्ता में थी।

एमपी में कांग्रेस के हिस्से 114 सीटें आईं, यहां बहुमत के लिए जरूरी 116 सीटों के लिए बसपा और सपा ने कांग्रेस को समर्थन दिया। वहीं बीजेपी को महज 109 सीटें हासिल हुई। उधर, छत्तीसगढ़ की 90 सीटों में से कांग्रेस ने 68 सीटों पर कब्जा कर रमन सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया। यहां बीजेपी को महज 15 सीटें हाथ आईं। एमपी, छत्तीसगढ़ के साथ राजस्थान में भी बीजेपी को बड़ी हार हाथ लगी। राजस्थान में 200 में से 99 सीटें जीतकर कांग्रेस ने राज्य से बीजेपी सरकार को बेदखल कर दिया। यहां बीजेपी के हिस्से महज 73 सीटें आईं।

लोकसभा उपचुनावों में बीजेपी को पूरे साल लगते रहे झटके

  • इस साल हुए ज्यादातर लोकसभा उपचुनाव बीजेपी के लिए हमेशा की तरह खुशखबरी वाले नहीं रहे। बीजेपी ने साल की शुरुआत से लेकर अंत तक लोकसभा उपचुनाव में विपक्षी दलों के हाथों हार झेली। 
  • राजस्थान में अलवर और अजमेर में जहां 2014 में बीजेपी के सांसद विजय हुए थे वहीं इस साल जनवरी में इन दोनों सीटों पर हुए उपचुनावों में कांग्रेस के प्रत्याशियों ने जीत हासिल की।
  • उत्तरप्रदेश में गोरखपुर और फुलपुर लोकसभा उपचुनाव में भी बीजेपी को हार मिली। साल 2014 में दोनों सीटों पर बीजेपी जीती थी, लेकिन मार्च 2018 में हुए उपचुनाव में दोनों सीटों पर सपा प्रत्याशियों को जीत मिली। इन दोनों सीटों पर कांग्रेस और बसपा ने भी सपा प्रत्याशी को समर्थन दिया था।
  • उत्तरप्रदेश की कैराना, महाराष्ट्र की गोंदिया-भंडारा लोकसभा सीट भी बीजेपी के हाथों से फिसल गई। दोनों ही सीटें बीजेपी ने 2014 में जीती थी लेकिन इस साल मई में हुए उपचुनाव में कैराना में बीजेपी को रालोद से और गोंदिया-भंडारा में एनसीपी से हार मिली। हालांकि पालघर लोकसभा सीट बीजेपी ने रिटेन करने में सफलता हासिल की।
  • साल के अंत में नवंबर में बीजेपी को कर्नाटक में भी झटका लगा। यहां बेल्लारी लोकसभा सीट जहां 2014 में बीजेपी जीती थी, वहीं उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी ने यहां जीत दर्ज की।
  • साल 2018 में हुए अन्य लोकसभा उपचुनावों में वेस्ट बंगाल की उलुबेरिया सीट पर AITC, बिहार की अररिया सीट पर RJD, नगालैंड की नगालैंड सीट पर NDPP, कर्नाटक की मंड्या पर JDS और शिवमोगा सीट पर BJP को जीत हासिल हुई।

 

Created On :   26 Dec 2018 5:11 PM GMT

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