योगिता ने निर्भया को इंसाफ दिलाने के लंबे सफर को किया याद
- योगिता ने निर्भया को इंसाफ दिलाने के लंबे सफर को किया याद
नई दिल्ली, 20 मार्च (आईएएनएस)। महिला अधिकार कार्यकर्ता और गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) पीपल अगेंस्ट रेप्स इन इंडिया (परी) की संस्थापक योगिता भयाना ने निर्भया को इंसाफ दिलाने वाले अपने पूरे आंदोलन के लंबे सफर को याद किया है।
भयाना ने अपने आंदोलन को शुरुआत से बताते हुए कहा कि 17 दिसंबर 2012 को जब उसे इस घटना के बारे में पता चला, तो वह रो पड़ी और उसने फैसला किया कि वह निर्भया को न्याय दिलाने के लिए लड़ाई लड़ेंगी।
योगिता ने कहा, उन दिनों में मेरे बहुत सारे दोस्त थे, जो मैंने अन्ना हजारे आंदोलन के दौरान बनाए थे। हमने 16 दिसंबर क्रांति नामक एक टीम बनाई। उस समय मैंने अपनी टीम के साथ इंडिया गेट, रायसीना हिल्स के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था। इसी समय मेरा पैर भी टूट गया था, लेकिन मैं रुकी नहीं और अपने पैर पर प्लास्टर लगवाकर भी विरोध करती रही।
योगिता ने बताया कि उसने इससे पहले भी गुड़िया मामले से लेकर अन्य पीड़ितों को भी न्याय दिलाने के लिए कई लड़ाई लड़ी हैं।
उन्होंने कहा, तब मैंने फैसला किया कि मैं दुष्कर्म पीड़ितों के लिए काम करूंगी। मैंने कानूनी लड़ाई के बारे में निर्भया की मां का समय-समय पर मार्गदर्शन किया।
योगिता ने कहा कि जब 2015 में मामले का दोषी नाबालिग रिहा हो रहा था तो उसने निर्भया की मां को मजनू का टीला में विरोध करने के लिए मना लिया, लेकिन दो दिनों तक विरोध करने के बाद भी नाबालिग को छोड़ दिया गया।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि भविष्य में ऐसी वारदात दोबारा न हो, वह अपनी टीम के साथ मिलकर सांसदों से मिली और उन्हें नाबालिगों से जुड़े बड़े अपराधों में सख्ती बरतने की अपील की। उन्होंने जघन्य अपराधों में नाबालिग की उम्र को भी कम करने का अनुरोध किया। बाद में इस संबंध में सरकार एक कानून भी लेकर आई।
योगिता ने कहा, मैं हमेशा निर्भया की मां के साथ अदालत की सुनवाई में भाग लेती रही और मैंने निर्भया के माता-पिता का मार्गदर्शन करना कभी बंद नहीं किया। इस तरह सात साल की लंबी यात्रा समाप्त हुई।
निर्भया सामूहिक और हत्या मामले के चार दोषियों मुकेश, पवन, अक्षय और विनय को एक घंटे बाद यानी शुक्रवार की सुबह 5:30 बजे फांसी दी जाएगी।
Created On :   19 March 2020 11:30 PM GMT