रामलला का सूर्यतिलक: आदित्य-एल 1 के वैज्ञानिकों की रही अहम भूमिका, चार लेंस और चार शीशे से हुआ सूर्य तिलक

आदित्य-एल 1 के वैज्ञानिकों की रही अहम भूमिका, चार लेंस और चार शीशे से हुआ सूर्य तिलक
  • देश में धूमधाम के साथ मनाई गई रामनवमी
  • अयोध्या के राम मंदिर में हुआ बालक राम का सूर्यतिलक
  • आदित्या एल - 1 के वैज्ञानिकों ने निभाई अहम भूमिका

डिजिटल डेस्क, अयोध्या। देश में रामनवमी पर्व के मौके पर अयोध्या के राम मंदिर में सूर्य की किरणों को केंद्रित कर बालक राम के मस्तिषक पर सूर्यतिलक किया गया। इस भव्य आयोजन को पूरा करने के लिए बेंगलुरु की प्रतिष्ठित वैज्ञानिक संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए) ने की थी। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के दौरान गर्भगृह परिसर में इन वैज्ञानिकों ने सूर्यतिलक की व्यवस्था थी। जिससे गृर्भगृह में बालकराम के माथे के बीच में सूर्य की यह किरणें प्रकाशित हो सके। बता दें, इसरो के सूर्य मिशन और उसकी स्टडी करने के लिए आदित्य एल-1 को पूरा करने में आईआईए के वैज्ञानिक शामिल थे।

आज अयोध्या के नवनिर्मित राम मंदिर में पहली बार रामनवमी मनाई गई थी। इस पावन मौके पर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने वैदिक रीति रिवाज से पूजा का विशेष आयोजन करवाया। गृर्भगृह में बालक राम के मस्तिष्क पर सूर्यतिलक किया गया। इसे करने के लिए गृर्भगृह में वैज्ञानिकों ने ऑप्टिकल मैकेनिकल सिस्टम की व्यवस्था की थी। इस सिस्टम को आईआईए के वैज्ञानिकों की एक टीम ने तैयार किया था।

सूर्य की किरणों को किया गया ट्रेक

प्रभु श्रीराम के मस्तिष्क पर सूर्य की किरणों को सटीक रूप से केंद्रीत करने के लिए सूर्य की पोजिशन की स्टडी की जा रही थी। ताकि किरणों के रास्ते को आसानी से ट्रेक किया जा सकें। फिलहाल, मंदिर का कार्य अभी पूरा नहीं हुआ है। इस वजह से टीम को वर्तमान संरचना के तहत ही कार्य करना था। टीम लगातार दोपहर 12 बजे से सूर्य की किरणों को पोजिशन करने के लिए मॉनिटरिंग कर रही थी।

गृर्भगृह में बालक राम के माथे पर सूर्य की किरणों को मस्तिष्क तक पहुंचाने के लिए चार लेंस और चार शीशे की सहायता ली गई । इस सिस्टम को अस्थाई रूप से लगाया गया है। अयोध्या राम मंदिर का निर्माण पूरा होने के बाद इस सिस्टम को स्थाई रूप से व्यवस्थित कर दिया जाएगा। इसकी मदद से हर सार रामनवमी के मौक पर रामलला के ललाट का तिलक किया जाएगा।

पोलराइजेश ऑफ लाइट से किया सूर्यतिलक

इस तरह के सिस्टम को वैज्ञानिक भाषा में पोलराइजेशन ऑफ लाइट कहते हैं। इसके जरिए रोशनी को केंद्रित करके एक स्थान पर प्रकाशित किया जाता है। इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए लेंस और मिरर का प्रयोग किया जाता है। सूर्य की तीव्र किरणों को सटीक तौर पर केंद्रीत करने के लिए वैज्ञानिक लेंस और मिरर की सहायता से पूरा करते हैं। मंदिर में आईआईए के वैज्ञानिकों की टीम ने बालक राम के माथे के बीचोंबीच सूर्य की किरणों को चार लेंस और चार मिरर के प्रयोग से सूर्यतिलक किया था।



Created On :   17 April 2024 4:32 PM GMT

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