Vice President Election 2025: उपराष्ट्रपति चुनाव में क्यों नहीं होता EVM का इस्तेमाल? आसान भाषा में समझें इलेक्शन की पूरी Process
- उपराष्ट्रपति का चुनाव जारी
- शाम को आएंगे नतीजे
- लोकसभा-राज्यसभा सांसद करते हैं मतदान
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश के उपराष्ट्रपति पद के लिए वोटिंग जारी है। मंगलवार (9 सितंबर) की शाम तक नतीजों का भी एलान हो जाएगा। सत्ताधारी NDA ने सी.पी राधाकृष्ण को उम्मीदवार बनाया है जिन्हें टक्कर देने INDIA ब्लॉक के सुदर्शन रेड्डी चुनावी मैदान में उतरे हैं। अब तक कई दिग्गजों ने अपना मत दे दिया है। इनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित अन्य के नाम शामिल हैं। अच्छा क्या आपने जानते हैं उपराष्ट्रपति चुनाव में EVM (Electronic Voting Machine) का उपयोग नहीं होता है? अगर नहीं तो चलिए जानते हैं इसके पीछे क्या वजह है?
उपराष्ट्रपति चुनाव में क्यों नहीं होता EVM का इस्तेमाल?
EVM के जरिए मतदाता केवल एक उम्मीदवार के नाम के आगे बटन दबा कर वोट दे सकते हैं। ईवीएम का इस्तेमाल लोकसभा-विधानसभा जैसे चुनावों में किया जाता है जहां प्रक्रिया एकदम सीधी होती है। वहीं, बात करें उपराष्ट्रपति चुनाव की तो यह सिंगल ट्रांसफेरेबल वोट के माध्यम से होता है। लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसद, सीक्रेट वोटिंग के जरिए मतदान करते हैं। उपराष्ट्रपति चुनाव प्रक्रिया सीधी नहीं होती।
कैसे चुने जाते हैं उपराष्ट्रपति?
उपराष्ट्रपति के चुनाव में सदन के सांसद हिस्सा लेते हैं। याद रखने वाली बात यह है कि सांसद किसी एक उम्मीदवार को सीधे-सीधे वोट नहीं कर सकते। इसकी बजाय वह अपनी पसंद की प्राथमिकता के हिसाब से चुनावी मैदान में खड़े हर प्रत्याशी को रैंक करते हैं। चलिए हम इसे एकदम आसान भाषा में एक उदाहरण से समझने की कोशिश करते हैं। उपराष्ट्रपति पद की रेस में चार उम्मीदवार 'A', 'B', 'C' और 'D' अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। अगर सांसद 'X' को लगता है कि चारों प्रत्याशियों में से सबसे मजबूत दावेदारी क्रमशः 'B', 'D', 'C' और 'A' की है तो वो इन्हें इसी क्रम में वोट करेंगे। यानि प्रथम नंबर पर 'B' का नाम होगा और चौथे नंबर पर 'A' का नाम होगा। इस प्रकार हर सांसद अपनी पसंद के हिसाब से नाम आगे करते हैं। इसके बाद यह देखा जाता है कि ज्यादा सांसदों की पहली पसंद कौन है? जिसे सबसे ज्यादा वोट मिलते हैं वह रेस में बने रहते हैं। वहीं, जिसे कम वोट मिलते हैं वह रेस से बाहर हो जाते हैं और उनके वोट बचे उम्मीदवारों में ट्रांसफर कर दिए जाते हैं।
उम्मीदवारों में टाई हुआ तो क्या?
अब सवाल यह है कि अगर पहले चरण में उम्मीदवारों के बीच टाई हो जाए तो क्या होगा? अगर ऐसी स्थिति बनती है तो दूसरे चरण में यह देखा जाता है कि बचे उम्मीदवारों में से ज्यादातर सांसदों ने किसको दूसरे नंबर पर रखा है। अंत में जो उम्मीदवार बचता है वही बनता है उपराष्ट्रपति।
जीतने के लिए कितने वोट जरूरी?
इस वक्त लोकसभा में 542 और राज्यसभा में कुल 239 सांसद हैं। ऐसे में बहुमत का आंकड़ा पार करने और उपराष्ट्रपति की कुर्सी संभालने के लिए कम से कम 391 सांसदों के साथ की जरूरत है।
Created On :   9 Sept 2025 4:53 PM IST