आर्थोपेडिक इंप्लांट उपकरण खरीदी में 29 करोड़ का घोटाला !

2 crore rupees scam in the purchase of orthopedic implant equipment
आर्थोपेडिक इंप्लांट उपकरण खरीदी में 29 करोड़ का घोटाला !
आर्थोपेडिक इंप्लांट उपकरण खरीदी में 29 करोड़ का घोटाला !

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्य के महाविद्यालयों में लगने वाले आर्थोपेडिक इंप्लांट उपकरण खरीदी में 29 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप लगा है। विधानपरिषद में पूरक मांगों पर चर्चा की शुरुआत करते हुए प्रतिपक्ष नेता धनंजय मुंडे ने कहा कि ये उपकरण बेवजह खरीदे गए, जरूरत ही नहीं थी। 16 महीने पहले वैद्यकीय शिक्षण विभाग ने 29 करोड़ रुपए के उपकरण खरीदे थे। 3,54,645 उपकरणों में से 15 महीने में 15,354 यानी पांच प्रतिशत का उपयोग ही नहीं हुआ है। खरीदी में मंत्रालय और वैद्यकीय शिक्षण विभाग की मिलीभगत का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इन उपकरणों की गुणवत्ता भी संदेहास्पद है। उपकरणों के पुर्जे भी उपलब्ध नहीं कराए गए हैं। मुंबई के जीटी हॉस्पिटल में 1, 72,182 उपकरण दिए है। उसमें से सिर्फ 152 उपकरण का इस्तेमाल हुआ है। उन्होंने इस मामले की एसीबी से जांच करने की मांग भी की। 
श्री मुंडे ने अनुदानित शालाओं को मान्यता देने में भी गड़बड़ी का आरोप लगाया। कहा कि 1 जुलाई 2016 को कायम बिना अनुदानित तत्व पर दी गई मान्यता और उसके बाद अनुदान के लिए पात्र 188 शालाओं की सूची में भी घोटाला हुआ है। इनका मूल्यांकन नहीं हुआ और प्रत्यक्ष में बंद शालाओं को मान्यता दे दी गई। इस मामले की भी जांच की मांग की।                                                              यह तो अन्याय है- उन्होंने कहा कि राज्य में 1 नवंबर 2005 के बाद शासकीय सेवा में दाखिल कर्मचारियों के भविष्य निर्वाह निधि योजना और पुरानी पेंशन योजना बंद कर डीसीपीसी, एनपीएस (अंशदान निवृत्ति वेतन) योजना शुरू की गई है। यह योजना कर्मचारियों पर अन्यायकारी है। इसे त्वरित बंद कर पुरानी पेंशन योजना व भविष्य निर्वाह निधि योजना लागू की जाए।

पूरक मांगें मंजूर करने का बना रिकार्ड : विधानपरिषद में विरोधी पक्षनेता धनंजय मुंडे ने कहा कि पिछले तीन साल में राज्य सरकार ने 1 लाख 70 हजार करोड़ की पूरक मांगों को रखने का रिकार्ड बनाया है। ऐतिहासिक कर्जमाफी जैसी ही एेतिहासिक पूरक मांगें रखी गईं। राज्य का कर्ज 4 लाख 44 हजार करोड़ रुपए पहुंच गया है और इस प्रकार राज्य को ही कर्जबाजारी बना दिया गया, लेकिन किसान कर्जमुक्त नहीं हुए। श्री मुंडे ने कहा कि शपथविधि पर भाजपा ने 100 करोड़ खर्च किए थे। तब से भाजपा ने खुद की प्रचार-प्रसार पर जनता के ‘कर’ का पैसा कितना खर्च किया, इसका हिसाब जनता को देना चाहिए। पिछले साल सोयाबीन बिक्री बाबत किसानों को आर्थिक सहायता देने का निर्णय लिया था, लेकिन उसकी भरपाई देने में सरकार को एक वर्ष लग गए। 

Created On :   19 Dec 2017 6:22 AM GMT

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