महाराष्ट्र: रत्नागिरी में डैम टूटा, सीएम ने कहा दोषियों के खिलाफ होगी कार्रवाई, धामना बांध में भी दरारें

महाराष्ट्र: रत्नागिरी में डैम टूटा, सीएम ने कहा दोषियों के खिलाफ होगी कार्रवाई, धामना बांध में भी दरारें
हाईलाइट
  • अब तक 22 लोग लापता
  • 2 के शव बरामद
  • जलस्तर बढ़ने से डैम टूटा
  • 7 गांवों में आई बाढ़
  • महाराष्ट्र राज्य के रत्नागिरी में भारी बारिश से टूटा डैम

डिजिटल डेस्क, मुंबई। रत्नागिरी जिले के तिवरे बांध दुर्घटना पर गहरा दुख जताते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि इस घटना के कारणों की खोज कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। रत्नागिरी जिले में हो रही भारी बरसात के चलते चिपलूण तहसील के तिवरे स्थित बांध मंगलवार की रात टूट गया था। इससे दर्जनों लोग लापता हैं और कई लोगों की जान गई है। मुख्यमंत्री कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार घटना की सूचना मिलते ही मुख्यमंत्री ने तुरंत प्रशासकिय मशीनरी से सम्पर्क कर राहत व बचाव कार्य बाबत निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा है कि इस दुर्घटना की जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

तिवरे बांध दुर्घटना के लिए सरकार दोषीः वडेट्टीवार

रत्नागिरी जिले के चिपलून तहसील स्थित तिवरे बांध टूटने के मामले में सरकार और स्थानीय प्रशानन दोषी है। सरकार से पिछले कई महीने से गांववाले शिकायत कर रहे थे। बांध की मरम्मत भी की गई फिर हादसा कैसे हो गया? उन्होंने कहा कि साफ है कि मामले में भ्रष्टाचार हुआ है। सरकार लोगों की मौत के लिए दोषी है इसलिए उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत हत्या का मामला दर्ज किया जाना चाहिए। विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने बुधवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत के दौरान यह बात कही। वडेट्टीवार ने कहा कि शिवसेना के विधायक सदानंद चव्हाण की कंपनी को बांध के काम का ठेका मिला था। उम्मीद की जाती है कि किसी भी बांध की आयु कम से कम 100 साल होगी। लेकिन सिर्फ 19 साल पुराना बांध टूट गया और 13 घर उसके पानी में बह गए। वडेट्टीवार ने कहा कि साफ है कि ठेकेदार ने बांध के निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया। इसलिए उसके खिलाफ भी गैरइरातदन हत्या का मामला दर्ज किया जाना चाहिए। वडेट्टीवार ने कहा कि मामले की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए गिरीश महाजन को इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने कहा कि बांध का उद्धाटन भले की कांग्रेस के कार्यकाल में हुआ है लेकिन  इसका ठेका युति सरकार के कार्यकाल में दिया गया था। ठेका टेंडर प्रक्रिया के तहत दिया गया होगा लेकिन जब यह साफ हो गया है कि निर्माणकार्य घटिया हुआ था तो ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। 

टूट सकता है शेलुद का धामना बांध

विजय वडेट्टीवार ने कहा कि उन्हें जानकारी मिली है कि जालना जिले के भोकरदन तहसील में स्थित शेलुद इलाके का धामना बांध भी टूट सकता है। इस बांध में दरारें पड़ गईं हैं जिससे काफी मात्रा में पानी रिस रहा है। उन्होंने कहा कि बांध के निचले इलाके में स्थित शेलुद, पारध और बुलढाणा जिले के म्हसाला गांवों में रहने वाले लोग खौफ में जी रहे हैं। उन्हें डर है कि बांध कभी भी टूट सकता है जिससे गांव वालों की जिंदगी खतरे में पड़ जाएगी। वडेट्टीवार ने प्रशासन और सरकार से मामले पर तुरंत ध्यान देते हुए जरूरी कदम उठाने की मांग की।  

धामना बांध की सुरक्षा दीवार में दरारें, ग्रामीणों में भय, बचाव कार्य जारी

धामना बांध की सुरक्षा दीवार में बुधवार सुबह दरारें दिखाई देने और बड़ी मात्रा में पानी रिसने से आसपास के करीब 40 गांवों में भय का माहौल व्याप्त हो गया है। विशेष कि बांध में पिछले पांच वर्षों में पहली बार 90 प्रतिशत पानी जमा हुआ है। घटना को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी रवींद्र बिनवडे ने बांध पर जाकर परिस्थिति का जायजा लिया। जिस दीवार में दरारें देखी गई हैं, वह बांध की मूल दीवार के बाद एक और दीवार है जिसकी मरम्मत जोरों से शुरू कर दी गई है। मंगलवार रात को तहसील के आठ मंडलों में 51.75 मिमी बारिश होने की खबर है। तहसील के अनेक इलाकों में अंधाधुंध बारिश से कई छोटे पुलों के बह गए हैं। गत तीन दिन से भोकरदन से विदर्भ जाने वाला मुख्य रस्ता भी बंद है।

सात दिन में भरा हतनूर बांध, 12 दरवाजे खोले

उधर विदर्भ और मध्य प्रदेश में तापी और पूर्णा नदी के उद्गम क्षेत्र में जोरदार बारिश होने से जलगांव जिले की तापी नदी पर बनाया गया हतनूर बांध केवल सात दिन में ही भर गया। परिसर में मंगलवार दोपहर से हो रही तेज बारिश से हालात और बेकाबू हो गए। हतनूर बांध शाखा अभियंता एनपी महाजन ने बताया कि इसके बाद बांध के खतरे में पड़ने की चेतावनी दिए जाने पर सभी 12 दरवाजे पूरी क्षमता से खोल दिए गए। अचानक प्रति सेकंड 778 क्यूसेक पानी की निकासी से समूचे परिसर में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है।

रत्नागिरी में बांध टूटने से 24 बहे, 11 शव बरामद

उधर रत्नागिरी के चिपलून तालुका में स्थित तिवरे बांध के टूटने के बहे 24 लोगों में से 11 लोगों के शव बरामद कर लिए गए हैं। दूसरे लोगों की तलाश जारी है। मंगलवार रात साढ़े नौ बजे के करीब तिवरे बांध टूट गया था। इससे निचले इलाकों में स्थित सात गांव जलमग्न हो गए और बांध के पानी के चपेट में आने से 12 घर और 24 लोग बह गए। एनडीआरएफ की टीमें और स्थानीय प्रशासन राहत और बचाव के काम में जुटा हुआ है। तिवरे बांध साल 2000 में बना था। स्थानीय लोगों के मुताबिक उन्होंने दो साल पहले जिला प्रशासन को जानकारी दी थी कि बांध से पानी रिस रहा है और कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है लेकिन अधिकारियों ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया। वहीं जिले के एक अधिकारी ने बताया कि तिवरे बांध की जल संग्रहण क्षमता 20 लाख घन मीटर है। मंगलवार को भारी बारिश के बाद बांध में दरार आ गई और निचले इलाके में स्थित सात गांवों में बाढ़ जैसे हालात बन गए। रत्नागिरी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विशाल गायकवाड ने बताया कि 11 लोगों के शव बरामद कर लिए गए हैं।

घटना की जानकारी मिलते ही NDRF और जिला प्रशासन की टीम ने राहत-बचाव का काम  शुरू कर दिया है। समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक लगातार बारिश की वजह से डैम का जलस्तर बढ़ गया था। बता दें कि महाराष्ट्र में रविवार से मानसून की जोरदार बरसात हो रही है। रिपोर्ट के मुताबिक डैम से पानी निकलने की वजह से डैम के पास बने 12 घर पूरी तरह से बह गए। इन्हीं घरों में रहने वाले लोगों के गायब होने का अंदेशा है। मौसम विभाग की मानें तो उत्तर महाराष्ट्र के तट के ऊपर बादलों का असर दक्षिण गुजरात और आसपास के इलाकों में होने की संभावना है। मुंबई में कई जगहों पर भारी बारिश का अनुमान है। साथ ही हाई टाइड का भी अलर्ट जारी किया गया है। राज्य के कई इलाकों में लोगों को घर से मौसम के अपडेट्स देखकर ही निकलने की सलाह दी गई है। 

4-4 लाख रुपए मुआवजे का भी ऐलान

निचले इलाके में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है। ग्रामीणों के मुताबिक बांध में दरार आने के बाद जिला प्रशासन से मरम्मत का अनुरोध किया गया था लेकिन अधिकारी इस बात में उलझे रहे कि बांध किस तहसील में पड़ता है। चिपलून और दापोली तहसीलों के कार्यालयों ने लोगों के आवेदन को अनदेखा कर दिया। एक पीड़ित ने बताया कि अधिकारियों की लापरवाही के चलते हम यह दिन देखने को मजबूर हैं। मेरे माता-पिता, पत्नी और डेढ़ साल का बच्चा लापता है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों का भी कहना है कि बांध की मरम्मत के उनके अनुरोध की सरकार ने अनदेखी की। हालात का जायजा लेने पहुंचे जल संसाधन मंत्री गिरीश महाजन ने स्वीकार किया कि बांध के पास रहने वाले लोगों ने दरार की शिकायत की थी। उन्होंने बताया कि सरकार पता लगाएगी कि लापरवाही किस स्तर पर हुई और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बाढ़ में बहे घरों को सुरक्षित स्थानों पर बनाने और मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपए मुआवजे का भी ऐलान किया। 

Created On :   3 July 2019 2:17 AM GMT

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