मनी लॉन्ड्रिंग: शरद पवार बोले- किसी ने जेल भेजने की योजना बनाई है तो स्वागत करता हूं

Money laundering case: NCP Sharad Pawar said If someone plans to send me to jail, I welcome it 
मनी लॉन्ड्रिंग: शरद पवार बोले- किसी ने जेल भेजने की योजना बनाई है तो स्वागत करता हूं
मनी लॉन्ड्रिंग: शरद पवार बोले- किसी ने जेल भेजने की योजना बनाई है तो स्वागत करता हूं
हाईलाइट
  • महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के लिए जारी प्रचार के बीच शरद पवार के खिलाफ ED की कार्रवाई
  • महाराष्ट्र सहकारी बैंक घोटाला मामले में शरद पवार और उनके भतीजे के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज

डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के लिए जारी प्रचार के बीच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार की मुसीबत बढ़ा दी है। ईडी ने महाराष्ट्र सहकारी बैंक घोटाला मामले में शरद पवार और उनके भतीजे अजीत पवार के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है। ईडी की इस कार्रवाई को लेकर पवार ने बीजेपी पर निशाना साधा। शरद पवार ने ईडी के एक्शन को जेल भेजने साजिश करार देते हुए कहा, अगर किसी ने मुझे जेल भेजने की योजना बनाई है, मैं उसका स्वागत करता हूं। बता दें कि, महाराष्ट्र में 21 और 24 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव भी होने हैं।

बुधवार को शरद पवार ने तंज भरे लहजे में कहा, मुकदमा दर्ज किया गया है। अगर मुझे जेल जाना पड़े तो भी मुझे कोई दिक्कत नहीं है, मैंने अभी तक इसका (जेल) अनुभव नहीं किया है, मुझे खुशी होगी अगर किसी ने मुझे जेल भेजने की योजना बनाई है, मैं उसका स्वागत करता हूं।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शरद पवार, उनके भतीजे अजित पवार समेत 70 से ज्यादा लोगों के खिलाफ मंगलवार को एफआईआर दर्ज की। 25 हजार करोड़ रुपए के महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक घोटाले के मामले में यह एफआईआर दर्ज की गई है। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने पिछले महीने इन नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर छानबीन शुरू की थी। आरोप है कि नेताओं और कोऑपरेटिव बैंकों के पदाधिकारियों की मिलीभगत से चीनी कारखानों और सूत मिलो के संचालकों और पदाधिकारियों को नियमों को ताक पर रखकर 25 हजार करोड़ रुपए कर्ज बांटे गए।

सूत्रों के मुताबिक जांच में साफ हुआ कि कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए चीनी मिलों की आर्थिक स्थित ठीक न होने और घाटे के बावजूद बैंकों ने कर्ज दिए। कई मामलों में बिना कुछ गिरवी रखे कर्ज दिया गया और कई बार गिरवी रखी गई संपत्ति के मुकाबले काफी ज्यादा कर्ज दिया गया। गलत प्रबंधन, बढ़ते खर्च और क्षमता का पूरा इस्तेमाल न होने के चलते शक्कर कारखाने आर्थिक तंगी का शिकार हो गईं और उन्हें बेहद कम कीमत पर बेंच दिया गया। यही नहीं निर्धारित (रिजर्व) कीमत से कम में बेंचकर खरीदारों को भी फायदा पहुंचाया गया। इन मामलों में खरीदारों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के साथ राजनीतिक रिश्ते भी सामने आए हैं। बिक्री भी टेंडर निकाले बिना की गई और कम कीमत दिखाने के लिए फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया गया। गलत तरीके से कर्ज देने के लिए नाबार्ड, आरबीआई और एसएआरएफएईएसआई कानून से जुड़े नियमों का भी पालन नहीं किया गया। संपत्तियां बेहद कम कीमत पर बेंचे जाने के चलते बैंकों को भी भारी घाटा हुआ।

Created On :   25 Sep 2019 4:44 AM GMT

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