गठबंधन के चलते घटी महिला उम्मीदवारों की संख्या, 2014 में अधिक थी महिला उम्मीदवार

Number of female candidates decreased due to the alliance,2014 there were more female candidates
गठबंधन के चलते घटी महिला उम्मीदवारों की संख्या, 2014 में अधिक थी महिला उम्मीदवार
गठबंधन के चलते घटी महिला उम्मीदवारों की संख्या, 2014 में अधिक थी महिला उम्मीदवार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। हर चुनाव की तरह इस विधानसभा चुनाव में भी आधी आबादी यानी महिला उम्मीदवारों को उम्मीदवारी देने में सभी दलों ने कंजूसी की है। सत्ताधारी भाजपा ने सर्वाधिक 17 महिलाओं को उम्मीदवारी दी है। भाजपा की अधिकांश महिला उम्मीदवारों को राजनीतिक वंशवाद के चलते टिकट मिला है। 

चार दलों के दो होने का असर 

पिछले विधानसभा चुनाव में चार प्रमुख दल भाजपा, शिवसेना, कांग्रेस व राकांपा अलग-अलग चुनाव मैदान में उतरे थे, पर इस बार भाजपा-शिवसेना और कांग्रेस-राकांपा गठबंधन का असर महिलाओं की उम्मीदवारी पर पड़ा है। 2014 के विधानसभा चुनाव में चारों प्रमुख दलों भाजपा, शिवसेना, कांग्रेस, राकांपा ने कुल 74 महिलाओं को उम्मीदवारी दी थी। पिछली बार भाजपा अकेले चुनाव मैदान में थीं, तो पार्टी ने 21 महिलाओं की उम्मीदवारी दी थी, जिसमें से 12 चुनाव जीत कर विधानसभा पहुची थीं। इस बार विधानसभा की 164 सीटों पर चुनाव लड़ रही भाजपा ने 17 महिलाओं को उम्मीदवारी दी है। जबकि कांग्रेस ने सिर्फ 8, शिवसेना ने 8 और राकांपा ने 6 महिलाओं को अपना उम्मीदवार बनाया है। 

कम जिताऊ हैं महिला उम्मीदवार

पुरुष प्रधान भारतीय राजनीति में बगैर आरक्षण के महिला जनप्रतिनिधियों को स्वीकार करना लोगों के लिए मुश्किल होता है। 2014 के विधानसभा चुनाव मैदान में उतरीं कुल 277 महिला उम्मीदवारों में से 20 ही विधानसभा पहुंच सकी थीं। इनमें से अधिकांश बड़े नेताओं की रिश्तेदारी के चलते चुनाव जीत सकी थीं। 2009 के विधानसभा चुनाव में कुल 211 महिला उम्मीदवारों में से केवल 11 चुनाव जीत सकी थीं। इसी तरह 2004 और 1999 में 12-12 महिला विधायक चुनी गई थीं। इन चुनावों में केवल 5 फीसदी महिला उम्मीदवारों पर मतदाताओं ने विश्वास जताया। 

वास्तविकता से दूर कांग्रेस-राकांपा घोषणा-पत्र 

विधानसभा चुनाव के लिए जारी कांग्रेस-राकांपा गठबंधन के संयुक्त घोषणा-पत्र में 33 फीसदी महिला आरक्षण के लिए संसद व विधानमंडल में प्रयास करने का वादा किया गया है, लेकिन वास्तव में दोनों दलों ने इस चुनाव में महिलाओं को उम्मीदवारी देने में बेहद कंजूसी की है। 147 सीटों पर चुनाव लड़ रहीं कांग्रेस ने केवल 8 महिलाओं को उम्मीदवारी दी है, जबकि राकांपा के 117 उम्मीदवारों में से केवल 6 महिलाएं हैं। प्रकाश आंबेडकर के नेतृत्व वाले वंचित बहुजन आघाड़ी (वीबीए) ने 6 महिलाओं को उम्मीदवारी दी है, जबकि 120 सीटों पर चुनाव लड़ रही महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने 8 महिलाओं को उम्मीदवारी दी है।   

आमने-सामने  मुकाबले से भी वंचित 
बीते विधानसभा चुनाव में राज्य की कई विधानसभा सीटों पर  प्रमुख दलों की महिला उम्मीदवार आमने-सामने थीं, लेकिन इस बार महिला उम्मीदवारों का ऐसा मौका भी नसीब नहीं हुआ। केवल एक सीट पर्वती पर भाजपा कि माधुरी मिसाल का मुकाबला राकांपा की अश्विनी कदम से है।  2014 में केज (बीड), तिवसी (अमरावती), सोलापुर,  दहिसर (मुंबई) व धारावी (मुंबई) सीट पर महिला उम्मीदवारों के बीच मुकाबला था। 

नेताओं की बेटियों व पत्नियों को ज्यादा मौका

चारों प्रमुख दलों की महिला उम्मीदवारों में अधिकांश ऐसी हैं, जिन्हें अपने परिवार के रसूख के चलते उम्मीदवारी मिली है। इनमें दिवंगत भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे की पुत्री पंकजा मुंडे, पूर्व मंत्री विमला मुंदड़ा की बहू नमिता मुंदड़ा (भाजपा), पूर्व केंद्रीय मंत्री सुशील कुमार की बेटी प्रणीति शिंदे (कांग्रेस), पूर्व गृहमंत्री आर आर पाटील की पत्नी सुमन पाटील (राकांपा), भाजपा के वरिष्ठ नेता एकनाथ खड़से की बेटी रोहिणी खड़से (भाजपा), मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष एकनाथ गायकवाड़ की बेटी वर्षा गायकवाड़ (कांग्रेस), राकांपा के पूर्व विधायक दिगम्बर बागल की बेटी रश्मि बागल (शिवसेना), कांग्रेस के वरिष्ठ नेता माणिकराव गावित की बेटी निर्मला गावित (शिवसेना), मुंबई महानगरपालिका के स्थायी समिति के अध्यक्ष यशवंत जाधव (शिवसेना) की पत्नी यामिनी जाधव, हिंगोली के शिवसेना सांसद  हेमंत पाटील की पत्नी राजश्री पाटील, प्रदेश कांग्रेस के पदाधिकारी संजय खोडके की पत्नी सुलभा खोडके (कांग्रेस-अमरावती), चंद्रपुर के कांग्रेस सांसद सुरेश धानोरकर की पत्नी प्रतिभा धानोरकर, विधान परिषद के पूर्व सभापति ना.स. फरांदे की बहू देवयानी फरांदे शामिल हैं।     
 

Created On :   10 Oct 2019 6:18 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story