एक क्लास में एक स्टूडेंट को पढ़ा रहे टीचर्स, मनपा स्कूलों की हालत खराब

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एक क्लास में एक स्टूडेंट को पढ़ा रहे टीचर्स, मनपा स्कूलों की हालत खराब
एक क्लास में एक स्टूडेंट को पढ़ा रहे टीचर्स, मनपा स्कूलों की हालत खराब

डिजिटल डेस्क, नागपुर। एक क्लास में एक स्टूडेंट को बैठाकर टीचर्स  पढ़ा रहे हैं । बड़े बिकट दौर से गुजर रही है मपना की स्कूलें। मनपा स्कूलों में विद्यार्थी संख्या तेजी से घट रही है। आलम यह है कि सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों को एक साथ बैठाकर पढ़ाया जाता है। दिक्कत यह है कि पढ़ाया जा रहा पाठ्यक्रम सभी के स्तर का नहीं होता, लिहाजा समझ में नहीं आने से उनका ध्यान नहीं लगता। जैसे ही शिक्षक ब्लैकबोर्ड पर पाठ समझाने के लिए मुड़ता है, विद्यार्थियों की मस्ती शुरू हो जाती है। उनकी मस्करी से जिस कक्षा का पाठ्यक्रम पढ़ाया जा रहा है, उस कक्षा के विद्यार्थियों का ध्यान भटक जाता है। बस्तरवारी हिंदी कन्या उच्च प्राथमिक स्कूल का उदाहरण लें तो यहां आठ कक्षाएं हैं। चार कक्षाओं में एक भी विद्यार्थी नहीं है। पहली, दूसरी, तीसरी और आठवीं कक्षा में एक-एक विद्यार्थी है। 

अब हालत यह

जानकारों का मानना है कि कम विद्यार्थी संख्या वाले स्कूलों की शैक्षणिक गुणवत्ता पिछड़ जाती है। इसलिए ऐसे स्कूलों को बंद कर विद्यार्थियों का अन्य स्कूलों में समायोजन करने की नीति बनाई गई। पिछले दो वर्षों में कम विद्यार्थी संख्या वाले 35 स्कूल बंद किए जाने से शहर में मनपा के 153 स्कूल रह गए। चालू शैक्षणिक सत्र में और एक स्कूल बंद करने का मनपा द्वारा निर्णय लिए जाने की जानकारी मिली है। विद्यार्थी संख्या घटने से जहां विद्यार्थियों की शैक्षणिक गुणवत्ता पर असर हो रहा है, वहीं मनपा स्कूलों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है।

शैक्षणिक गुणवत्ता पर असर

सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों को एक साथ बैठाकर पढ़ाया जाता है। इसमें सभी कक्षाओं का पाठ्यक्रम पूरा करने में समय कम पड़ता है। नतीजा विद्यार्थियों की शैक्षणिक गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है। मनपा के 25 प्रतिशत स्कूलों में 20 से कम विद्यार्थी रहने से इन स्कूलों का यही हाल है।

नमूना-1 : पहली कक्षा में विद्यार्थी नहीं

दुर्गा नगर हिंदी प्राथमिक स्कूल पारडी। पहली कक्षा में एक भी विद्यार्थी नहीं है। दूसरी से आठवीं कक्षा में 25 विद्यार्थी हैं। दूसरी में 4, तीसरी में 6, चौथीं में 7 विद्यार्थी हैं। पांचवीं से आठवीं में 2-2 विद्यार्थी हैं। स्कूल में पांच कमरे हैं। दो कमरों में कक्षाएं लगती हैं। एक कमरे में प्राथमिक विभाग और दूसरे कमरे में उच्च प्राथमिक विभाग की सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों को एक साथ बैठाया जाता है। विद्यार्थियों को एक साथ सभी कक्षाओं के पाठ पढ़ाए जाते हैं। स्कूल में 4 शिक्षक हैं। एक समय दो शिक्षक पढ़ाते हैं। दो शिक्षकों को खाली बैठना पड़ता है। 

नमूना-2 : आठ कक्षाओं में 4 विद्यार्थी

बस्तरवारी हिंदी कन्या उच्च प्राथमिक स्कूल में और भी चौंकानेवाली जानकारी मिली। स्कूल में आठ कक्षाएं हैं। चार कक्षाओं में एक भी विद्यार्थी नहीं है। पहली, दूसरी, तीसरी और आठवीं कक्षा में एक-एक विद्यार्थी है। इसमें से आठवीं कक्षा का विद्यार्थी स्कूल शुरू होने के बाद दो दिन आया। इसके बाद से उसका भी कोई अता-पता नहीं है। चौथीं से सातवीं तक एक भी विद्यार्थी नहीं है। मंगलवार को केवल एक विद्यार्थी स्कूल पहुंचा। स्कूल में दो शिक्षिकाएं थीं। इसमें से एक का दो दिन पहले तबादला हो गया। अकेली शिक्षिका स्कूल में बैठी थी। अंग्रेजी स्कूलों की ओर रुझान बढ़ने से मनपा स्कूलों को विद्यार्थी नहीं मिलने की उन्होंने हताशा बयां की।

नमूना-3 :  8 कक्षाएं, 8 विद्यार्थी

रामनगर उच्च प्राथमिक स्कूल का यही हाल है। स्कूल में आठ कक्षाएं हैं। विद्यार्थी संख्या भी आठ ही है। 4-4 विद्यार्थियों का 2 गटों में िवभाजन कर पढ़ाया जा रहा है।

मनपा के इन स्कूलों में विद्यार्थियों की कमी नहीं

मनपा के सभी स्कूलों में विद्यार्थियों की कमी नहीं है। कुछ ऐसे भी स्कूल हैं, जहां विद्यार्थियों की संख्या अच्छी खासी है। विवेकानंद हिंदी प्राथमिक स्कूल, वर्धा रोड की विद्यार्थी संख्या 600 के पार है। सुरेंद्रगढ़ हिंदी प्राथमिक स्कूल में लगभग 500 विद्यार्थी पढ़ते हैं। जाटतरोड़ी हिंदी प्राथमिक स्कूल में 200 से अधिक विद्यार्थी हैं। पन्नालाल देवडिया हिंदी स्कूल में भी विद्यार्थी संख्या 200 के आस-पास है।
 

Created On :   12 July 2019 5:44 AM GMT

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