भास्कर एक्सक्लूसिव: बिहार की सत्ता में आते ही बीजेपी ने की लोकसभा चुनाव को लेकर प्लानिंग, सीट शेयरिंग में रहेगा सख्त रुख!

बिहार की सत्ता में आते ही बीजेपी ने की लोकसभा चुनाव को लेकर प्लानिंग, सीट शेयरिंग में रहेगा सख्त रुख!
  • बिहार में एनडीए लोकसभा चुनाव के लिए तैयारियां की तेज
  • बिहार में जारी है सीट शेयरिंग को लेकर एनडीए में घमासान
  • छोटी पार्टियों के लिए बीजेपी ने तैयार किया प्लान-B

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बिहार में एनडीए गठबंधन ने लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। राज्य में बीजेपी और जनता दल यूनाइडेट (जेडीयू) में 17-17 सीटों को लेकर लगभग सहमति बन गई है। इस बात की पुष्टि जेडीयू के सूत्र ने की है। माना जा रहा है कि फरवरी के आखिर तक सीट बंटवारे को लेकर ऐलान हो सकता है।

40 लोकसभा सीटों वाले बिहार में 17-17 सीटों पर बीजेपी और नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू चुनाव लड़ेगी। साथ ही, बची हुई 6 सीटों को चिराग पासवन, पशुपति पारस, उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी के बीच बांटा जाएगा।

सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी और जेडीयू एनडीए शामिल छोटी पार्टियों को साधने के लिए राज्यसभा की कुछ सीटों की पेशकश कर सकती है। पिछले लोकसभा चुनाव की बात करें तो जेडीयू और बीजेपी ने 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इसके अलावा रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा ने कुल 6 सीटों पर चुनाव लड़ा था। ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी और जेडीयू अपने पिछले चुनाव के ही फॉर्मूले पर काम करेंगी।

पिछले चुनाव के दौरान रामविलास पासवान को बीजेपी ने अपने कोटे से राज्यसभा भेजा था। हालांकि, इस बार के चुनाव में रामविलास की पार्टी लोजपा में फूट के चलते राज्य के सियासी समीकरण बदल गए हैं। रामविलास पासवान के देहांत के बाद उनकी पार्टी दो धड़ों में टूट गई है। पासवान के बेटे चिराग पासवान और उनके भाई पशुपति पारस अब अलग हो गए हैं। साथ ही, राज्य में अब एनडीए में कुछ अन्य छोटी पार्टी भी शामिल हो गई है। जिसके चलते चिराग पासवान और पशुपति पारस का एनडीए गठबंधन में दबदबा भी घटा है।

एक तरफ एनडीए में जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा लोकसभा चुनाव के लिए सीटों की जुगाड़ लगा रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर लोजपा गठबंधन में अपनी पकड़ खोती जा रही है।

2019 में था कुछ इस प्रकार का हाल

पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने पटना साहिब, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, मधुबनी, दरभंगा, बेगूसराय, पाटलीपुत्रा, आरा, बक्सर, औरंगाबाद,अररिया, मुजफ्फरपुर, शिवहर, सारण, उजियारपुर, महाराजगंज और सासाराम सीट से अपने उम्मीदवार उतारे थे। इस दौरान जेडीयू ने नालंदा, जहानाबाद, काराकाट, सीवान, गोपालगंज, सुपौल, झंझारपुर, सीतामढ़ी, वाल्मीकिनगर, भागलपुर, मुंगेर, बांका, पूर्णिया, मधेपुरा, कटिहार, किशनगंज और गया सीट से अपने प्रत्याशी उतारे थे। वहीं, लोजपा को एनडीए की ओर से हाजीपुर, वैशाली, जमुई, समस्तीपुर, नवादा और खगड़िया जैसी सीटें मिलीं। हालांकि, इस दौरान किशनगंज को छोड़कर एनडीए ने 40 में से 39 सीटों पर अपना परचम लहराया।

पिछले आम चुनाव में कांग्रेस और आरजेडी ने 5 दलों के साथ एनडीए के खिलाफ चुनाव लड़ा था। इनमें आरजेडी 19, कांग्रेस 9, आरएलएसपी 5, हम और वीआईपी 3-3 सीटों पर चुनाव लड़ा था। जिसमें केवल यूपीए गठबंधन की ओर से कांग्रेस ने महज एक सीट किशनगंज के रूप में जीता।

जेडीयू की चुनाव के लिए प्लानिंग

एनडीए में इस वक्त अलग-अलग पार्टी अपने हिसाब से रणनीति तैयार कर रही है। सूत्रों के मुताबिक, जेडीयू लगभग उन सभी सीटों पर ही चुनाव लड़ेगी, जहां उसने पिछली बार चुनाव लड़ा था। हालांकि, कुछ सीटों को जेडीयू एनडीए के सहयोगी दलों के साथ बदलने की फिराक में है। जेडीयू की कोशिश है कि वह शिवहर, खगड़िया और समस्तीपुर सीट पर इस बार चुनाव लड़े।

हालांकि, शिवहर सीट इस वक्त बीजेपी के खाते में हैं। वहीं, खगड़िया और समस्तीपुर सीट लोजपा के पास है। जेडीयू दावा कर रही है कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी का परफॉर्मेंस बेहतर था। ऐसे में वह इन सीटों को बदले किशनगंज, बांका और गया जैसी सीटों को छोड़ने के लिए तैयार है। बता दें कि, गया में जीतन राम मांझी की पकड़ काफी मजबूत मानी जाती है। ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले वे इस सीटों को लेकर अपनी दावेदारी पेश कर सकते हैं। वे यहां से लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं।

इन सीटों पर टेंशन बरकरार

बिहार में सीतामढ़ी सीट पर 4 दल एक साथ दावेदारी पेश कर रहे हैं। हालांकि, अभी यह जेडीयू के पाले में है। बीजेपी, चिराग पासवान की लोजपा और उपेंद्र कुशवाहा की आरएलजेडी यहां से दावेदारी पेश कर रही है। 2014 के चुनाव के दौरान उपेंद्र कुशवाहा के उम्मीदवार ने इस सीट पर जीत हासिल की थी। ऐसे में उपेंद्र कुशवाहा इस सीट को लेकर अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं।

जहानाबाद सीट पर उपेंद्र कुशवाहा और चिराग पासवान अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। हालांकि, अभी यह सीट नीतीश कुमार की पार्टी के पास है। नीतीश कुमार भी इस सीट को छोड़ने को तैयार नहीं

बीजेपी की प्लानिंग

एक समय बिहार में बीजेपी केवल शहरी सीटों पर जीतती थी। बीजेपी आगामी लोकसभा चुनाव के लिए भी इन शहरी सीटों पर अपनी दावेदारी पेश कर रही है। शहरी क्षेत्र की सीटों को बीजेपी अपने सहयोगी दलों को किसी भी कीमत पर नहीं देना चाहती है।

पटना और चंपारण की दोनों सीट पर बीजेपी किसी के साथ शेयर करने के मूड में नहीं है। इसके अलावा दरभंगा, मुजफ्फरपुर, मधुबनी और सारण सीट को लेकर बीजेपी किसी भी पार्टी से समौझाता नहीं करेगी। ऐसे में पार्टी इन सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने के लिए रणनीति तैयार कर रही है।

शहरी सीटों पर बीजेपी की प्लानिंग

पिछले दो लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उत्तर भारत की शहरी सीटों पर एकतरफा जीत हासिल की है। शहरी सीट बीजेपी के लिए हमेशा से सेफ सीट मानी जाती है। ऐसे में बीजेपी इन सीटों को अपने सहयोगी दलों को देकर रिस्क नहीं लेना चाहती है। साथ ही, बीजेपी जानती है कि अगर एक बार फिर शहरी सीटों से पार्टी का जनाधार खत्म हुआ तो उसे इन सीटों पर दबदबा बनाने में काफी लंबा वक्त लग जाएगा।

वैसे भी बिहार की सियासत में कब छोटी पार्टी किसके साथ मिल जाए। यह भी कहा नहीं जा सकता है। रामविलास की पार्टी लोजपा, कुशवाहा की आरएलएसपी और जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) हर एक दो चुनाव के बाद अपना पाला बदल लेती है। इसलिए भी बीजेपी शहरी सीटों पर समौझाता नहीं करना चाहती है।

Created On :   6 Feb 2024 1:23 PM GMT

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