Bihar SIR: 'वेबसाइट पर डालें 65 लाख नामों की सूची', सुप्रीम कोर्ट का चुनाव आयोग को आदेश, तेजस्वी यादव ने बताया 'लोकतंत्र की जीत'

- बिहार में एसआईआर को लेकर मचा सियासी घमासान
- SC ने वोटर लिस्ट से हटाए गए लोगों के नाम सार्वजनिक करने का आदेश दिया
- पहचान पत्र के रूप में आधार कार्ड को मान्य किये जाने का दिया आदेश
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बिहार में चल रही स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि जिन 65 लाख मतदाताओं का नाम ड्राफ्ट लिस्ट में नहीं है। उनका नाम 48 घंटे के भीतर जिला निर्वाचन अधिकारी के वेबसाइट पर शेयर किया जाएगा। उनका नाम लिस्ट से क्यों हटाया गया इसका कारण भी बताया जाए। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच में ये गुरुवार को सुनवाई हुई।
कोर्ट ने कहा कि हटाए गए वोटर्स की लिस्ट बीएलओ के दफ्तर के बाहर, पंचायत भवन और बीडीओ के दफ्तर के बाहर भी लगाई जाए। इसकी सूचना सभी प्रमुख समाचार पत्रों, टीवी, रेडियो के माध्यम से दी जाए। इसके साथ ही जिनका नाम लिस्ट में नहीं है उनके पहचान पत्र के रूप में आधार कार्ड को स्वीकार किया जाए।
तेजस्वी ने बताया लोकतंत्र की जीत
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को राजद नेता तेजस्वी यादव ने लोकतंत्र की जीत बताया। उन्होंने पटना में पत्रकारों से कहा, "SIR को लेकर हम सभी विपक्षी दलों ने संसद से लेकर विधानसभा, सड़क तक या किसी भी मंच पर लड़ाई लड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी। आज सुप्रीम कोर्ट में बहस के बाद जो अंतरिम फैसला आया है, हम कह सकते हैं कि लोकतंत्र की जीत हुई है। SIR की प्रक्रिया को लेकर हमारी जो मांगें रही हैं, आज सुप्रीम कोर्ट ने हमारी उन मांगों पर मुहर लगाने का काम किया है।"
उन्होंने आगे कहा, "हम शुरूआत से ही SIR का विरोध नहीं कर रहे थे बल्कि उसकी प्रक्रिया और जिस जानकारी को चुनाव आयोग छिपाने का काम कर रहा था, उसे लेकर हमारा विरोध था। आदेश दिया गया है कि आधार कार्ड को मान्य किया जाएगा, दूसरा जिन 65 लाख मतदाताओं का नाम काटा गया है उनके नाम की सूची को कारण बताते हुए बूथ स्तर पर लगाया जाएगा। तीसरा विज्ञापन जारी करके लोगों को इस बारे में बताया भी जाएगा।"
Created On :   14 Aug 2025 6:26 PM IST