विधानसभा चुनाव 2025: बिहार वोटर्स लिस्ट रिव्यू में 12 जिंदा लोगों को बताया मरा हुआ, सर्वोच्च अदालत में चुनाव आयोग पर गरजे कपिल सिब्ब्ल

बिहार वोटर्स लिस्ट रिव्यू में 12 जिंदा लोगों को बताया मरा हुआ, सर्वोच्च अदालत में चुनाव आयोग पर गरजे कपिल सिब्ब्ल
  • चुनाव आयोग ने बताया ड्राफ्ट रोल,सुधार प्रक्रिया पर दिया जोर
  • कोर्ट ने ECI से मृत घोषित किए गए जीवित लोगों पर मांगा स्पष्टीकरण
  • गलत तरीके से हटाए गए नाम, प्रक्रिया में किया गया नियमों का उल्लंघन

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च अदालत में आज मंगलवार को बिहार एसआईआर पर सुनवाई हुई है। वोटर लिस्ट रिव्यू पर पक्ष-विपक्ष के साथ-साथ इस लड़ाई में भारतीय निर्वाचन आयोग भी है। बीजेपी नेतृत्व वाला एनडीए गठबंधन विपक्ष पर हमलावर है, वहीं विपक्ष चुनाव आयोग पर कई तरह के आरोप लगा रहा है। चुनाव आयोग ने एसआईआर में किसी भी प्रकार की खामियों से इनकार कर रहा है। जबकि विपक्ष मतदाताओं के नाम हटाने का आरोप लगा रहा है।

सिब्बल ने हर बूथ पर त्रुटियां है, सभी को कोर्ट में लेकर आएं, ये संभव नहीं है। इस पर अदालत ने कहा आप SIR के अस्तित्व पर ही सवाल उठा रहे हैं या आप सिर्फ अपनाई गई प्रक्रिया को चुनौती दे रहे हैं? इस पर उन्होंने जवाब दिया कि हम कह रहे हैं कि वोटर लिस्ट तैयार करने के चरण में आप दस्तावेज नहीं मांग सकते।

शीर्ष कोर्ट में दो जजों की बेंच जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाला बागची इस पर सुनवाई कर रहे है। बिहार एसआईआर में 65 लाख लोगों के बाहर होने पर वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायण ने कहा कि बड़े पैमाने पर बहिष्कार हुआ है। इस पर सुको ने कहा बड़े पैमाने पर हटाया जाना तथ्यों और आंकड़ों पर निर्भर करेगा।

कपिल सिब्बल ने कहा कि एक छोटे से निर्वाचन क्षेत्र में 12 लोगों को मृत दिखाया गया है, लेकिन वे जीवित हैं। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा कि ये लोग अदालत में क्यों नहीं हैं? जस्टिस सूर्यकांत ने कहा जो जीवित हैं लेकिन मृत घोषित किया गया तो उन्हें कोर्ट में लाएं।इस पर सिब्बल ने कहा कि वे कोर्ट में मौजूद हैं और कुछ याचिकाओं में शामिल हैं। सिब्बल ने कहा कि पूरी प्रक्रिया सवालों के घेरे में है। बीएलओ मनमानी से काम कर रहे है, ठीक से काम नहीं कर रहे है।

कपिल सिब्बल ने कहा कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम स्पष्ट कहता है कि मतदाता सूची से किसी का नाम हटाने के लिए सबूत देने का दायित्व उसी व्यक्ति पर है जो आपत्ति उठा रहा है। उसे मृत्यु, पता बदलने, नागरिक न होने आदि का प्रमाण देना होगा। आप मुझसे मेरे दस्तावेज नहीं मांग सकते, क्योंकि सबूत देने की जिम्मेदारी आपत्ति करने वाले की है। सिब्बल ने कहा बिना सर्वे प्रक्रिया के ही ड्राफ्ट सूची जारी कर दी गई है।

पीठ ने कहा कि नियम 10 प्रारूप वोटर लिस्ट तैयार करने के लिए है। अगर किसी का नाम शामिल नहीं किया गया है तो वह फॉर्म 6 के तहत आवेदन कर सकता है। वहां आप सही हैं कि अगर आपका नाम गलत तरीके से रिमूव कर दिया गया है, तो यह साबित करने की जिम्मेदारी प्राधिकरण की है कि आप नागरिक नहीं हैं, लेकिन क्या चुनाव आयोग ने बीएलओ के जरिए से वैध फॉर्म 4 जारी किया है? यह एक वैध तर्क का आधार हो सकता है। SIR में चुनाव आयोग आधार स्वीकार नहीं कर रहा है , इस पर टॉप कोर्ट ने कहा आधार कार्ड पहचान का दस्तावेज नहीं है।

शीर्ष कोर्ट से चुनाव आयोग की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि यह तो बस एक ड्राफ्ट रोल है। इस पर टोकते हुए सुको ने सवाल करते पूछा कि हमें आपसे पूछना है कि कितने लोगों की पहचान मृत के रूप में हुई है। आपके अधिकारियों ने जरूर कुछ गड़बड़ काम किया होगा। इस पर वकील द्विवेदी ने कहा कि इतनी बड़ी प्रक्रिया में कुछ न कुछ त्रुटियां तो हुई होंगी, लेकिन मृत को जीवित कहना ठीक नहीं है, और किसी नए आईए की ज़रूरत नहीं है।

Created On :   12 Aug 2025 5:13 PM IST

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