बिहार विधानसभा चुनाव 2025: विकास में पिछड़ी अलौली, लगातार गिरता वोटिंग परसेंट चिंता का विषय

विकास में पिछड़ी अलौली, लगातार गिरता वोटिंग परसेंट चिंता का विषय
1962 में स्थापित अलौली विधानसभा सीट पर पासवान ने 1969 में 23 वर्ष की उम्र में यहां चुनाव लड़ा, जीते और विधानसभा में पहुंचे। एक बार जीत के बाद भी यहां की राजनीती में उनका दबदबा दशकों तक रहा। पासवान ने 1972 में अलौली सीट हारने के बाद राष्ट्रीय राजनीति की ओर रुख किया। अलौली विधानसभा सीट से रामविलास पासवान के छोटे भाई पशुपति कुमार पारस ने 7 बार जीत दर्ज की है, इसमें 6 लगातार जीतें हैं।

डिजिटल डेस्क, पटना। 243 विधानसभा सीट बिहार में अलौली विधानसभा क्षेत्र खगड़िया जिले में आता है। अलौली का नाता दिवंगत रामविलास पासवान की राजनीतिक यात्रा से जुड़ा है। 2015 में 59.71% , 2019 के लोकसभा चुनावों में 58.2 %,2020 में 57.09 %, यहां लगातार घटता वोट परसेंट चिंता का विषय बना हुआ है।

1962 में स्थापित अलौली विधानसभा सीट पर पासवान ने 1969 में 23 वर्ष की उम्र में यहां चुनाव लड़ा, जीते और विधानसभा में पहुंचे। एक बार जीत के बाद भी यहां की राजनीती में उनका दबदबा दशकों तक रहा। पासवान ने 1972 में अलौली सीट हारने के बाद राष्ट्रीय राजनीति की ओर रुख किया। अलौली विधानसभा सीट से रामविलास पासवान के छोटे भाई पशुपति कुमार पारस ने 7 बार जीत दर्ज की है, इसमें 6 लगातार जीतें हैं।

यहां की भूमि सपाट और उपजाऊ होने से इलाके की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि है, बढ़ती बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है, औद्योगिक विकास दूर दूर तक नजर नहीं आता, इसकी कमी के चलते लोगों को मजदूरी के लिए पलायन करना पड़ता है। अलौली ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र है।

अलौली अनुसूचित जाति आरक्षित सीट है। अलौली में कुल 15 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। कांग्रेस ने 1962, 1967, 1972 और 1980 में जीत हासिल की, जनता दल, जेडीयू, आरजेडी और एलजेपी ने दो-दो बार , एसएसपी , जनता पार्टी और लोक दल को एक-एक बार सफलता मिली है। 2015 और 2020 में आरजेडी की जीत,उसके प्रभाव के कारण कम परिस्थितियों के चलते अधिक चर्चा में रही हैं।

अलौली में 25 फीसदी एससी, 7.6 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं। पूर्णतः ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र होने के कारण अलौली में शहरी मतदाता नहीं हैं, अलौली में विकास दिखाई नहीं देता। विकास न होने की वजह से वोटिंग परसेंट में गिरावट चिंता का विषय है। इसे लेकर लोगों का मानना है कि सत्ता में कोई भी पार्टी आए, उनकी स्थिति में बदलाव नहीं होता।

बिहार में दो चरणों में 6 नवंबर और 11 नवंबर को वोटिंग होगी, नतीजे 14 नवंबर को आएंगे। आज 17 नवंबर को पहले चरण के नामांकन की आखिरी तारीख है। दूसरे चरण के लिए नामांकन की अंतिम तारीख 20 अक्टूबर निकल चुकी ।

Created On :   21 Oct 2025 1:49 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story