विष्णु,मोहन और भजन पर जाति दांव: सोशल इंजीनियरिंग में बीजेपी सबसे आगे, क्या 2024 के लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा असर?

सोशल इंजीनियरिंग में बीजेपी सबसे आगे, क्या 2024 के लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा असर?
  • मध्य प्रदेश में बुधवार को शपथ ग्रहण समारोह
  • छत्तीसगढ़ में भी बुधवार को शपथ ग्रहण समारोह
  • राजस्थान में 15 दिसंबर को शपथ ग्रहण समारोह

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में चुनाव के दौरान कांग्रेस जातिगत जनगणना को लेकर बीजेपी पर हावी दिखी। पूरे चुनाव के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी कहते हुए दिखाई दिए कि ओबीसी को उनका हक छिना जा रहा है और आदिवासी समुदाय के साथ बीजेपी सरकार भेदभाव कर रही है। कांग्रेस की कोशिश थी कि इन दोनों वोट बैंक को अपने पाले में लाया जाए। हालांकि, बीजेपी इस दौरान चुनाव जीतने में लगी रही। चुनाव खत्म हुए और इन तीनों राज्यों में बीजेपी के हक में फैसला आया। इसके बाद बीजेपी ने सोशल इंजीनियरिंग का ऐसा पासा फेंका है कि पूरा विपक्ष अब इसकी काट निकालने में लगा हुआ है।

दरअसल, बीजेपी आलाकमान ने एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री के नामों को ऐसी सेटिंग के साथ तय किया कि लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष को डर है कि कही उनका जातीय जनगणना वाला दांव उन्हीं पर ही भारी न पड़ जाए। करीब छह माह बाद देश में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद विपक्ष लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटा हुआ है। इस बीच एनडीए के खिलाफ बनी विपक्ष की इंडिया अलायंस के लिए बीजेपी ने अनसुलझे क्वेश्चन पेपर सेट कर दिए हैं।

विष्णु, मोहन और भजन पर जाति दांव

बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय, मोहन यादव को मध्य प्रदेश में और भजन लाल शर्मा को राजस्थान का सीएम चुनकर विपक्षी की टेंशन बढ़ा दी है। ये तीनों नए चेहरे हैं और अलग-अलग जातियों से आते हैं। जहां विष्णुदेव साय आदिवासी समुदाय से आते हैं। वहीं, मोहन यादव ओबीसी समाज से हैं, जबकि राजस्थान में भजन लाल शर्मा ब्राह्मण हैं। खास बात यह है कि इन तीनों राज्यों में दो-दो डिप्टी सीएम चुने गए हैं। पार्टी हर राज्य में जाति समीकरण को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग जाति के नेताओं को डिप्टी सीएम को मौका दिया है। ताकि प्रदेश में कोई समाज नाराज न हो। राजस्थान में तो बीजेपी ने महिला सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए दीया कुमारी को डिप्टी सीएम पद सौंप दिया है। बता दें कि, राजस्थान में महिला सुरक्षा का मुद्दा काफी ज्यादा हावी है।

गौर करने वाली बात यह है कि तीनों चुने गए मुख्यमंत्री नए है और ये संगठन के पुराने कार्यकर्ता भी है। विष्णु, मोहन और भजन तीनों बीजेपी साधारण वर्कर से सीएम पद का सफर तय किया है। इसके जरिए बीजेपी ने इंडिया गठबंधन में मौजूद परिवारवाद वाली पार्टियों को भी सीधा संदेश देने का काम किया है।

भजन लाल के जरिए बीजेपी का प्लान

भजन लाल शर्मा जो कि ब्राह्मण समाज के नेता हैं। केंद्रीय नेतृत्व के नेताओं की कोशिश है कि इनके जरिए राजस्थान के ब्राह्मण को साधा जाए। देशभर में 5 प्रतिशत ब्राह्मण आबादी है। वहीं, राज्यस्थान में 8 प्रतिशत ब्राह्मण हैं। ब्राह्मण बीजेपी का कोर वोटर माना जाता है। ऐसे में बीजेपी ने ब्राह्मण समाज के नेता को मुख्यमंत्री चुनकर लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा दांव चला है। बीजेपी ब्राह्मण कोर वोट बैंक को खोना नहीं चाहती है। शायद इसलिए भी लोकसभा चुनाव को मद्देनजर पार्टी ने पहली बार विधायक बने भजन लाल शर्मा पर भरोसा जताया है।

वहीं, राजस्थान में बीजेपी ने दो डिप्टी सीएम बनाकर राज्य के अन्य जाति को भी साधा है। दीया कुमारी और प्रेम चंद बैरवा राज्य के अगले डिप्टी सीएम होंगे। जहां दीया कुमारी राजघराने से आती हैं। वहीं, प्रेम चंद बैरवा दलित समाज से आते हैं। राजपूत समाज से ताल्लुक रखने वाली दीया कुमारी को बीजेपी राज्य में राजपूत नेता के तौर पर स्थापित करना चाहती है। राज्य में करीब 9 फीसदी वोटर राजपूत समाज से आते हैं। राजस्थान के कई विधानसभा सीटों पर राजपूत वोट बैंक काफी ज्यादा मायने रखता हैं। साथ ही, दीया कुमारी के जरिए पार्टी राज्य में महिला वोटरों को भी अपने पाले में लाने जुटी हुई है।

इधर, प्रेम चंद बैरवा को उपमुख्यमंत्री बनाना भी राज्य में बीजेपी की रणनीति का अहम हिस्सा है। बैरवा दूदू (पूर्व जयपुर) सीट से चुनाव जीतकर दूसरी बार विधायक बने हैं। 54 साल के बैरवा दलित समुदाय से आते हैं। राज्य में दलित की आबादी 18 फीसदी है। पार्टी ने बैरवा के जरिए न केवल राजस्थान में दलित वोट बैंक को साधने की कोशिश की है बल्कि इसका भी असर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और यूपी में देखने को मिलेगा। प्रेम चंद बैरवा राजस्थान के बड़े दलित नेता के रूप में भी जाने जाते हैं।

मोहन यादव के जरिए यूपी-बिहार को संदेश

बीजेपी संगठन से जुड़े मोहन यादव मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के तौर पर चुने गए हैं। मोहन यादव समाज से आते हैं। तीसरी बार एमएलए बने और अब सीएम बनने जा रहे मोहन यादव के बीजेपी ने यूपी-बिहार के यादवों को संदेश दिया है। यूपी में समाजवादी पार्टी (सपा) और बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के चलते यादवों का वोट बीजेपी को नहीं मिलता है। ये दोनों पार्टी इन दोनों राज्यों में यादव वोट बैंक पर अच्छी खासी पकड़ रखते हैं। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, बीजेपी ने मोहन यादव को मध्य प्रदेश में सीएम बनाने का फैसला करके यूपी-बिहार के यादव समाज को साफ संदेश दिया है कि जिसे पार्टी को यादव वोटर वोट करते हैं उससे केवल अखिलेश यादव और तेजस्वी यादव को भला हो सकता है। किसी स्थानीय नेता या कार्यकर्ता का नहीं। उत्तर प्रदेश और बिहार इन दोनों राज्यों में करीब 10 से 12 फीसदी आबादी यादव हैं। इसके अलावा हरियाणा में भी यादव समाज के वोटर्स अधिक है। यादव ओबीसी समाज से आते हैं इसलिए पार्टी मोहन यादव पर भरोसा जताया है।

मध्य प्रदेश में जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ला को डिप्टी सीएम चुने गए हैं। राजेंद्र शुक्ला ब्राह्मण और जगदीश देवड़ा दलित समुदाय से आते हैं। राज्य में करीबी छह फीसदी आबादी ब्राह्मण और करीब 17 फीसदी आबादी दलित समुदाय से आते हैं। एमपी के विंध्य रीजन में विधानसभा की 30 सीटें आती हैं। जहां ब्राह्मण समाज काफी ज्यादा प्रभावी हैं। इसके अलावा दलित समुदाय राज्य की राजनीति में काफी योगदान देते हैं। अगर एमपी में सत्ता हासिल करनी है तो इन दोनों समाज का वोट काफी जरूरी हो जाता है। बीजेपी ने इसे ध्यान रखते हुए इन दोनों डिप्टी सीएम को चुना है। इसका असर भी छत्तीसगढ़, यूपी और बिहार में देखने को मिलेगा।

विष्णुदेव साय के जरिए आदिवासी समुदाय पर नजर

छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय मुख्यमंत्री के रूप में चुने गए हैं। वे आदिवासी समाज से आते हैं। छत्तीसगढ़ की सियासत आदिवासी वोट बैंक से होकर ही गुजरती है। राज्य में किसी भी पार्टी को बहुमत हासिल करना है तो उसे आदिवासी वोटरों का साथ मिलना जरूरी है। क्योंकि, प्रदेश की 34 फीसदी आबादी आदिवासी समुदाय से आती है। इसके अलावा विधानसभा में 29 सीटें अनुसूचित जनजाति(ST) के लिए आरक्षित है।

इस बार के चुनाव में बीजेपी ने इन 29 सीटों में से 17 पर जीत हासिल की है। पिछले चुनाव के दौरान राज्य में बीजेपी की सरकार नहीं बनने के पीछे की भी वजह आदिवासी ही बने थे। इस बार बीजेपी ने इस वोट बैंक को टारगेट करने के लिए विष्णुदेव साय को बतौर मुख्यमंत्री के रूप में चुना है।

पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस आदिवासी के लिए आरक्षित कुल 29 सीटों में से 27 पर जीत हासिल की थी। खास बात यह है कि कांग्रेस ने इन सीटों पर 50 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल की थी। हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने राज्य की कुल 11 लोकसभा सीटों में से 8 पर जीत हासिल की थी। जिनमें आदिवासियों के लिए आरक्षित 3 सीटें भी शामिल रहीं। बता दें कि राज्य में लोकसभा चुनाव के लिए आदिवासी समुदाय के लिए चार सीटें आरक्षित है। देश में अनुसूचित जनजाति यानी आदिवासियों की आबादी करीब 9 फीसदी है। जो कि आबादी लिहाज से काफी ज्यादा है।

छत्तीसगढ़ में भी बीजेपी ने दो डिप्टी सीएम बनाए हैं। यहां पार्टी ने विजय शर्मा और अरुण साव को डिप्टी सीएम बनाया गया है। अरुण साव साहू जाति से आते हैं और राज्य में साहू समाज यानी ओबीसी वर्ग की आबादी करीब 20 से 22 फीसदी है। वहीं विजय शर्मा के जरिए पार्टी ने ब्राह्मणों को साधा है।

Created On :   12 Dec 2023 4:51 PM GMT

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