भास्कर एक्सक्लूसिव: बीजेपी या जेडीयू... बिहार चुनाव के दौरान सीट शेयरिंग में कौन बनेगा बड़ा भाई? चिराग की पार्टी को हो सकता है बंपर फायदा

- एलजेपीआर 25-28 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है चुनाव
- जेडीयू को 12 सीटों का हो सकता है नुकसान
- बीजेपी को 8 सीटों का हो सकता है नुकसान
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। उससे पहले बिहार एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर चर्चा तेज है। इस बीच सीट बंटवारे का एक समीकरण मीडिया में भी खूब सुर्खियां बटोर रहा है। माना जा रहा है कि एनडीए के अंदरखाने सीट शेयरिंग समीकरण पर चर्चा तेज है। ऐसे में समझते हैं कि इस बार एनडीए में किस तरह से सीटों का बंटवारा हो सकता है।
इस वक्त बिहार एनडीए में पांच प्रमुख पार्टियां शामिल हैं। जिसमें बीजेपी, नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू), चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) यानी एलजेपीआर, जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय समता पार्टी (आरएसपी) शामिल हैं। हालांकि, अभी बिहार में एनडीए की कमान बीजेपी के ही हाथों में है।
कौन कितनी सीटों पर लड़ेगा चुनाव
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, बिहार चुनाव के दौरान बीजेपी 101-102 और जेडीयू 102-103 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। वहीं, एलजेपीआर 25-28 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। इसके अलावा हम 6-7 और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी 4 से 5 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है।
अगर इस तरह के समीकरण बनते हैं तो एलजेपीआर के लिए जेडीयू और बीजेपी अपनी कई सीटों को छोड़ने जा रही है। पिछले चुनाव के दौरान जेडीयू 115 और बीजेपी 110 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। ऐसे में पिछले चुनाव की तुलना में बीजेपी 8 और जेडीयू 12 सीटों पर कम चुनाव लड़ने जा रही है।
2020 के चुनाव में चिराग लड़े थे अलग चुनाव
बता दें कि, पिछले चुनाव में एलजेपीआर एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ी थी। जिसका नुकसान सबसे ज्यादा जेडीयू को पहुंचा था। क्योंकि, चिराग पासवान की पार्टी ने जेडीयू के खिलाफ सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। जिसका खामियाजा नीतीश कुमार की पार्टी को सीट नुकसान के साथ भुगतना पड़ा। पिछले चुनाव में चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी (अविभाजित) ने कुल 134 सीटों पर चुनाव लड़ा था। हालांकि, तब चिराग पासवान की पार्टी केंद्र में एनडीए के साथ थी। लेकिन विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने अलग चुनाव लड़ा था। इसके पीछे की बड़ी वजह यह थी कि एनडीए में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला सही तरीके से तैयार नहीं हुआ था। जिसके चलते चिराग पासवान को एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ना पड़ा था।
2020 बिहार चुनाव के दौरान चिराग पासवान एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ते हैं। हालांकि, चिराग की पार्टी ने तब बीजेपी के खिलाफ सॉफ्ट कॉर्नर तैयार किया था। वहीं, जेडीयू के खिलाफ चुनाव में आक्रामक तरीके से प्रचार किया था। अंदरखाने में खबर थी कि अगर चिराग पासवान ज्यादा सीटें जीतते हैं तो बीजेपी उनके साथ शिफ्ट होकर सरकार बना सकती है। हालांकि, ऐसा नहीं हुआ और चिराग पासवान की पार्टी इस चुनाव में केवल एक ही सीट पर सिमट कर रह गई।
लोकसभा चुनाव में जेडीयू ने किया है दमदार प्रदर्शन
वहीं, जेडीयू को भी इस चुनाव में काफी नुकसान हुआ। नीतीश की पार्टी कुल 115 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए केवल 43 सीटों ही जीत पाई थी। यह चुनाव नीतीश कुमार की राजनीति को ढलान के तौर पर देखा जाने लगा। हालांकि, लोकसभा चुनाव के दौरान नीतीश कुमार ने एक बार फिर साबित कर दिया कि अभी उनकी राजनीति बिहार के इर्द-गिर्द ही घूमती है। पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में जेडीयू ने 16 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए 12 सीटें हासिल की थीं। इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव को सीएम नीतीश की राजनीतिक पारी का आखिरी पड़ाव माना जा रहा है। साथ ही, यह दावा किया जा रहा है कि इसके बाद वह सियासत को अलविदा कह देंगे। हालांकि, अब आगे क्या होगा यह नीतीश कुमार ही जानते हैं क्योंकि, चुनाव और राजनीति में उनके बारे में अनुमान लगाना राजनीतिक जानकार के लिए बस की बात नहीं है।
Created On : 19 Jun 2025 6:27 PM IST