लोकसभा चुनाव 2024: आगामी आम चुनाव को लेकर राजनैतिक दलों की जमीनी स्तर की जमावट पर जोर
- आम चुनावों में भाजपा की राह आसान नहीं
- कांग्रेस ने नए युवा नेताओं के हाथों में कमान सौंपी
- रणनीतियां बनाने में जुटे राजनीतिक दल
डिजिटल डेस्क, भोपाल। आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर मध्यप्रदेश में राजनीतिक दलों ने रणनीतियां बनाने में जुट गए है। एक तरफ सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव में किसी भी तरह की चूक करने के मूड़ में नहीं है। राजनैतिक दल जमीनी स्तर की जमावट पर जोर दे रहे हैं। विधानसभा चुनाव ने कांग्रेस में उम्मीद जगा दी है तो वहीं भाजपा संभावित खतरों को भांप चुकी है।
इसके लिए बीजेपी ने हाल ही में विधानसभा चुनाव में जिन सीटों पर हार मिली उन पर गुणा भाग लगाना शुरु कर दिया है। एवं बूथ स्तर को और अधिक मजबूत करने के लिए कार्यकर्ताओं और मतदाताओं के बीच जमावट बैठाना आरंभ कर दिया है। विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद बीजेपी ने जहां चुनाव हारने वाले उम्मीदवारों की बैठक बुलाई, वहीं पदाधिकारी से संवाद किया।बीजेपी ने अब उन बूथ पर जोर देना शुरू कर दिया है, जहां उसे हार का सामना करना पड़ा था। प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा एक तरफ जहां बैठक कर रहे हैं और भोपाल में ही प्रवास कर रहे हैं, दूसरी ओर मुख्यमंत्री मोहन यादव क्षेत्रीय इलाकों का दौरा कर रहे हैं।
वहीं बात विपक्षी पार्टी कांग्रेस की जाए तो हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी को मनमुताबिक नतीजे नहीं मिले। कांग्रेस आलाकमान ने नए युवा नेताओं के हाथों में कमान सौंपी। नव नियुक्त प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी कार्यकर्ताओं के बीच और संगठन मजबूती पर फोकस कर रहे है। इसके लिए उन्होंने विधानसभा प्रभारियों और पदाधिकारियों की मीटिंग ली। हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने लोकसभा समन्वयकर्ताओं के साथ बैठक की। प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे के साथ मिलकर दौरे पर निकल पड़े हैं।
आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए बहुजन समाज पार्टी ने भी तैयारियां शुरु कर दी है। इसे इस तरह से समझ सकते है कि आने वाला कल का दिन बीएसपी कार्यकर्ताओं के लिए खास है। कल बीएसपी प्रमुख मायावती का जन्मदिन है। जन्मदिन को धूमधाम से बनाने के लिए बसपा ने हर जिले में वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदारी दी है। जन्मदिन के जरिए बीएसपी अपने कार्यकर्ताओं में जोश भरना चाहती है। ताकि आने वाले आम चुनाव में इसका लाभ पार्टी को मिल सके है। आपको बता दें मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों में बीएसपी शून्य सीट पर सिमटकर रह गई। बीएसपी चीफ मायावती के जन्मदिन के मौके पर मध्यप्रदेश बीएसपी प्रदेशाध्यक्ष इंजी रमाकांत पिप्पल अपने गृह जिले मुरैना में बसपा कार्यकर्ताओं के बीच पार्टी अध्यक्ष व यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के जीवन संघर्ष पर प्रकाश डालते हुए आगामी आम चुनाव की रणनीति को लेकर संवाद करेंगे।
राजनीतिक जानकारों का मानना है मध्य प्रदेश में अबकी बार लोकसभा चुनाव 2019 के लोकसभा चुनाव से हटकर होंगे। इन चुनावों में बीजेपी के लिए राह आसान नहीं होगी। भले ही राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को भारी बढ़त मिली। 230 विधानसभा सीटों में से 163 पर भाजपा के उम्मीदवार जीते, बीजेपी ने भारी बढ़त बनाते हुए बंपर जीत हासिल की। जबकि कांग्रेस 66 सीटों पर सिमटकर रह गई थी। सीटों के लिहाज से देखें तो भाजपा और कांग्रेस में बड़ा अंतर है, मगर इन सीटों को हम लोकसभा के लिहाज से देखते हैं तो नतीजा भाजपा की चिंता बढ़ा देने वाले हैं।
आपक बतो दें 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 29 में से 28 सीटें मिली थी। जबकि केवल एक छिंदवाड़ा सीट कांग्रेस के खाते में गई। लोकसभा संसदीय क्षेत्र की विधानसभा सीटों पर गौर करें तो एक बात साफ नजर आती है कि मुरैना संसदीय क्षेत्र की 5 सीटों पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा, इसी तरह भिंड की चार, ग्वालियर की चार, टीकमगढ़ की तीन, मंडला की पांच, बालाघाट की चार, रतलाम की चार, धार की पांच और खरगोन की पांच सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। छिंदवाड़ा एक ऐसी संसदीय सीट है जहां पर भाजपा एक भी स्थान पर विधानसभा में नहीं जीत सकी। इन संसदीय क्षेत्र की विधानसभा सीटों के कुल मतों की गणना करें तो एक बात साफ होती है कि मुरैना, ग्वालियर, मंडला, भिंड, बालाघाट, छिंदवाड़ा, धार में भाजपा को पिछड़ना पड़ा है।
Created On :   14 Jan 2024 12:16 PM IST