बिहार विधानसभा चुनाव 2025: जानिए मांझी विधानसभा सीट का सियासी गणित, सीपीआई एम को चुनौती दे पाएंगा एनडीए

जानिए मांझी विधानसभा सीट का सियासी गणित, सीपीआई एम को चुनौती दे पाएंगा एनडीए
2020 के विधानसभा चुनावों में मांझी विधानसभा सीट से पहली बार कम्‍युनिस्‍ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्‍सवादी) के उम्मीदवार डॉ सतेंद्र यादव निर्वाचित हुए। 2015 में कांग्रेस के विजय शंकर दुबे ,जबकि 2010 में जेडीयू के गौतम सिंह और 2005 में आरजेडी के महेंद्र नारायण सरदार और 2000 में आरजेडी की गीता देवी ने यहां से जीत हासिल की थी।

डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार के सारण जिले की मांझी विधानसभा सीट एक प्रमुख विधानसभा क्षेत्र है, मांझी सीट अनारक्षित है। गंगा और घाघरा नदियों के संगम पर स्थित मांझी विधानसभा सीट उपजाऊ भूमि होने के बावजूद बाढ़ से अधिक प्रभावित होती है। यहां की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि आधारित है। ग्रामीण क्षेत्र होने की वजह से पूरा इलाका विकास से कोसों दूर है।

2020 के विधानसभा चुनावों में मांझी विधानसभा सीट से पहली बार कम्‍युनिस्‍ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्‍सवादी) के उम्मीदवार डॉ सतेंद्र यादव निर्वाचित हुए। 2015 में कांग्रेस के विजय शंकर दुबे ,जबकि 2010 में जेडीयू के गौतम सिंह और 2005 में आरजेडी के महेंद्र नारायण सरदार और 2000 में आरजेडी की गीता देवी ने यहां से जीत हासिल की थी।

यहां 12.64 फीसदी एससी वोटर, एसटी 3.61 फीसदी, मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 8.9 फीसदी है। विधानसभा क्षेत्र में हर समुदाय के लोग रहते है, लेकिन इलाके में राजपूत सबसे बड़ी जाति है। चुनाव में एससी मतदाता निर्णायक भूमिका में होते है। यहीं वजह रही कि सीपीआई एम के प्रत्याशी ने पिछले चुनाव में जीत दर्ज की ,क्योंकि महागठबंधन में आरजेडी और कांग्रेस ने ये सीट सीपीआईएम को सौंपी चुनाव में पिछड़े और वंचित समुदाय की एकजुटता ने सीपीआई एम को विजय दिलवाई। मौजूदा चुनाव में माकपा अपनी सीट बचाने की कोशिश में जुटी है, वहीं एनडीए सीट पर अपनी ताकत दिखाने की कोशिश में है।

Created On :   10 Oct 2025 4:13 PM IST

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