सियासत के अखाड़े के सूरमा मुलायम सिंह पहले थे पहलवान, फिर बने राजनीति के धुरंधर

How Mulayam Singh Yadav become a Big face in Indian Politics
सियासत के अखाड़े के सूरमा मुलायम सिंह पहले थे पहलवान, फिर बने राजनीति के धुरंधर
सियासत के पहलवान सियासत के अखाड़े के सूरमा मुलायम सिंह पहले थे पहलवान, फिर बने राजनीति के धुरंधर

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। "नेताजी" के नाम से मशहूर मुलायम सिंह यादव को राजनीती के सूरमाओं में से एक माना जाता है। पहलवानी के अखाड़े से राजनीतिक अखाड़े में कदम रखने वाले मुलायम सिंह यादव ने सियासी मैदान में अपने विपक्षियों को जमकर धूल चटाई है। भारत के सबसे बड़े प्रदेश "उत्तर प्रदेश" में एक कामयाब राजनीतिक पार्टी "समाजवादी पार्टी" खड़ी करने वाले नेताजी ने तीन बार इस प्रदेश की कमान संभाली है। उन्हें राजनीति का माहिर खिलाड़ी माना जाता है क्योंकि उन्होंने पहलवानी, शिक्षक से लेकर सियासत की लंबी पारी खेली। देश के असाधारण राजनेता के रूप में अपनी छवि बनाने वाले मुलायम सिंह यादव ने जमीनी राजनीति से शीर्ष तक अपना बड़ा मुकाम बनाया। आइये एक नजर डालते है उस किसान के बेटे के असाधारण जीवन पर जिसने अपने सटीक सियासी दांव-पेचों से राजनीती की परिभाषा को ही बदल दिया -

MULAYAM

समाजवादी आंदोलन से हुई राजनीति में शुरुआत 

22 नवंबर 1939 को सैफई में जन्मे मुलायम सिंह यादव की पढ़ाई-लिखाई इटावा, फतेहाबाद और आगरा में हुई। मुलायम कुछ दिन तक मैनपुरी के करहल में जैन इंटर कॉलेज में प्राध्यापक भी रहे। इसके बाद उन्होंने राम मनोहर लोहिया के साथ समाजवाद की राह पकड़ ली। मुलायम सिंह यादव ने चौधरी चरण सिंह के सहारे सियासी बुलंदी हासिल की। वह 1967 से लेकर 1996 तक 8 बार उत्तर प्रदेश में विधानसभा के लिए चुने गए। 1996 में ही उन्होंने लोकसभा का पहला चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।इसके बाद से अब तक 7 बार लोकसभा में पहुंचे, निधन के वक्त भी लोकसभा सदस्य थे। 

तीन बार संभाली सीएम की कुर्सी 

तीन बार उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने वाले मुलायम 1989 में पहली बार यूपी के मुख्यमंत्री बने थे। इसके बाद 1993-95 में दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। आखिरी बार उन्होंने 2003 में सीएम की कुर्सी संभाली थी और वह चार साल तक गद्दी पर रहे थे। 

अयोध्या में गोलीकांड के बाद बने "मुल्ला मुलायम"

1990 में हिंदू साधु-संत अयोध्या की तरफ कूच कर रहे थे। उन दिनों अयोध्या में भक्तों की भारी भीड़ पहुंचने लगी थी। प्रशासन ने अयोध्या में कर्फ्यू लगा दिया था, जिसके चलते श्रद्धालुओं को प्रवेश नहीं दिया जा रहा था. पुलिस ने बाबरी मस्जिद के 1.5 किमी के दायरे में बैरिकेडिंग की थी। इस दौरान कारसेवकों की भीड़ बेकाबू हो गई थी और बाबरी मस्जिद के ढांचे को गिराने के लिए उसके नजदीक पहुंच गई थी। इसको कंट्रोल करने के लिए मुलायम सिंह यादव ने कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश दिया, जिसमें 5 लोगों की मौत हुई थीं। इस घटना के बाद अयोध्या से लेकर देश का माहौल पूरी तरह से गर्म हो गया था। 

1990 की फायरिंग के बाद हुए विधानसभा चुनाव में मुलायम सिंह बुरी तरह हार गए और कल्याण सिंह राज्य के नए मुख्यमंत्री बने। तब मुलायम को "मुल्ला मुलायम" भी कहा जाता था क्योंकि उन्होंने कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश दिया था। इस दौरान मुलायम सिंह ने समाजवादी पार्टी भी बनाई और उन्हें मुसलमानों का नेता कहा जाने लगा। 

 

 

 

Created On :   10 Oct 2022 1:08 PM IST

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