आने वाले समय में जय विलास पैलेस के इर्द गिर्द घूमेगी मध्यप्रदेश में बीजेपी की सियासत, क्या इशारा कर रहा है शाह का दौरा!

In the coming time, the politics of BJP in Madhya Pradesh will revolve around Jai Vilas Palace
आने वाले समय में जय विलास पैलेस के इर्द गिर्द घूमेगी मध्यप्रदेश में बीजेपी की सियासत, क्या इशारा कर रहा है शाह का दौरा!
महल में मीटिंग आने वाले समय में जय विलास पैलेस के इर्द गिर्द घूमेगी मध्यप्रदेश में बीजेपी की सियासत, क्या इशारा कर रहा है शाह का दौरा!
हाईलाइट
  • चुनावों को लेकर रणनीति पर चर्चा

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्यप्रदेश में एक साल बाद होने वाले चुनाव की राह ग्वालियर के जयविलास पैलेस से होकर गुजरेगी। अमित शाह के रविवार को होने वाले दौरे से इस बात के संकेत मिल रहे हैं। ये वही जयविलास पैलेस है जो ज्योतिरादित्य सिंधिया का स्थानीय निवास स्थान भी है। सिंधिया किसी भी दल में रहें, उनकी पार्टी के किसी बड़े नेता ने उनके महल के भीतर जाने से परहेज नहीं किया। 2018 के चुनाव में राहुल गांधी ने जयविलास महल से ही ग्वालियर चंबल में चुनावी बिगुल फूंका था। और, अब अमित शाह भी ग्वालियर चंबल में बीजेपी का चुनावी आगाज इसी आलीशान महल से करने जा रहे हैं। वैसे भी सिंधिया की बदौलत दोबारा सत्ता में आने वाली बीजेपी में ज्योतिरादित्य सिंधिया का कद बीजेपी में लगातार बढ़ रहा है। चाहें शिवराज कैबिनेट का विस्तार हो, मंत्रियों में विभागों का बंटवारा हो या फिर निगम मंडल में नियुक्तियों की बात हो। सभी जगहों पर सिंधिया समर्थकों को पूरी तवज्जो दी गई है।

हर मंच पर "महाराज"

बात केवल नियुक्तियों तक सीमित नहीं है। मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनने के साथ ही मध्यप्रदेश के हर मंच पर ज्योतिरादित्य सिंधिया को पूरी अहमियत दी जाती  है। 2020 में हुए उपचुनाव में सिंधिया और शिवराज कंधे से कंधा मिलाकर चुनाव प्रचार करते दिखाई दिए। उपचुनाव में बीजेपी को जीत हासिल हुई और शिवराज बरकरार रही। 

26 दिन अकेले सत्ता में रहने के बाद जब शिवराज सिंह चौहान ने पहला कैबिनेट विस्तार किया तब तीन ही विधायक मंत्री बने। जिसमें से एक नरोत्तम मिश्रा रहे, उनके अलावा दो सिंधिया समर्थक तुलसी राम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को मंत्री बनाया गया। तब से शुरू हुआ सिंधिया की पूछ परख का सिलसिला हमेशा जारी रहा।

मध्यप्रदेश से जुड़ी तकरीबन हर बैठक और कार्यक्रम में सिंधिया हमेशा नजर आते हैं। हाल ही में हुए महाकाल लोक के लोकार्पण में भी पीएम नरेंद्र मोदी के साथ शामिल होने कई नेता पहुंचे थे। खबर कैलाश विजयवर्गीय और नरोत्तम मिश्रा को तो काफी पहले ही रोक दिया गया। सिर्फ सिंधिया और शिवराज ही गर्भगृह से लेकर कार्यक्रम स्थल तक पीएम के साथ रहे। जबकि कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी शामिल हुए थे। जो सीधे मंच पर ही दिखाई दिए।

कांग्रेस का डर

वैसे तो बीजेपी ने हर मौके पर सिंधिया को अहमियत दी है। ये चुनावी रणनीति है या कोई मजबूरी है इस पर बहस होती रही है। जब भी बीजेपी ने सिंधिया को पीछे किया है कांग्रेस उन पर चुटकी लेने से नहीं चूकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब महाकाल लोक का लोकार्पण करने आए तो गर्भगृह में पूजा करने के दौरान सिंधिया को बाहर छोड़ दिया। उस बात को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी पर निशाना साधना शुरू कर दिया। उसके लिए गर्भगृह में राहुल और सिंधिया  की पोस्ट सोशल मीडिया पर खूब साझा होने लगी। सोशल मीडिया पर चल रही तस्वीरों में से एक तस्वीर में राहुल गांधी और सिंधिया पूजा करने के दौरान एक साथ गर्भगृह में नजर आ रहे, दूसरी तस्वीर में पीएम मोदी जब गर्भगृह में पूजा करने गए तो सिंधिया को गेट के बाहर छोड़ गए। जिसे लेकर कांग्रेस सिंधिया और बीजेपी की भारी किरकिरी करने में  पीछे पड़ गई है। इस दौरान कांग्रेस ये भूल गई कि महाकाल परिसर में पीएम मोदी जब पूजा करने गए थे, तब राज्यपाल और मुख्यमंत्री  के साथ सिंधिया भी थे।

 

सिंधिया को अपमानित महसूस न हो इसे भूलाने के लिए पीएम मोदी महाराज को अपने साथ महाकाल लोक से दिल्ली ले गए जबकि सिंधिया दूसरे समय पर जाने वाले थे। खैर कांग्रेस को छोड़ दे तो बीजेपी के भी कई नेता सिंधिया के मोदी के साथ जाने से खफा हो गए है।

महल में अमित शाह

आगे की बात की जाए तो 16 अक्टूबर को केंद्रीय गृहमंत्री और बीजेपी के दिग्गज नेता अमित शाह ग्वालियर आ रहे है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस दौरान शाह  जय विलास पैलेस भी पहुंचेंगे और महाराज के साथ शाही भोजन करेंगे। खबरों के मुताबिक ग्वालियर में शाह  500 करोड़ की लागत से बनने वाले राजमाता सिंधिया एयर टर्मिनल के विस्तार का शिलान्यास भी करेंगे।

शाह और सिंधिया डिनर के साथ मध्यप्रदेश में होने वाले आगामी चुनावों को लेकर रणनीति पर चर्चा कर सकते है। इस दौरान शाह चंबल-ग्वालियर में 2018 के विधानसभा चुनावों में मिली हार पर मंथन पर भी करेंगे। साथ ही जय विलास पैलेस में बैठकर चंबल के चुनावी गणित को हल करने की कोशिश करेंगे। बीजेपी के जानकारों को इस बात का डर है कि कहीं सिंधिया के समीकरण को साधते साधते पार्टी संगठन के समीकरण न गड़बड़ा जाए।

 

 

Created On :   15 Oct 2022 2:26 PM IST

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