कर्नाटक हाईकोर्ट ने धर्मांतरण-रोधी कानून को लेकर भाजपा को भेजा नोटिस

Karnataka High Court sends notice to BJP regarding anti-conversion law
कर्नाटक हाईकोर्ट ने धर्मांतरण-रोधी कानून को लेकर भाजपा को भेजा नोटिस
कर्नाटक कर्नाटक हाईकोर्ट ने धर्मांतरण-रोधी कानून को लेकर भाजपा को भेजा नोटिस

डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। धर्मातरण विरोधी विधेयक पर कर्नाटक में बहस फिर से शुरू हो गई है, क्योंकि उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका को स्वीकार कर लिया है और एक अध्यादेश जारी करके कानून के कार्यान्वयन पर सत्तारूढ़ भाजपा को नोटिस जारी किया है।

शुक्रवार को हाईकोर्ट ने सरकार के इस कदम को चुनौती देने वाली जनहित याचिका (पीआईएल) के संबंध में सरकार को आपत्ति दर्ज करने का निर्देश दिया।

याचिका में दावा किया गया है कि धर्मातरण-रोधी कानून ने असहिष्णुता का प्रदर्शन किया और इसकी संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाया।

नई दिल्ली से ऑल कर्नाटक यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम फॉर ह्यूमन राइट्स एंड इवेंजेलिकल फेलोशिप ऑफ इंडिया द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि यह बिल देश को एकजुट करने वाले लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति जेएम खाजी की अध्यक्षता वाली पीठ ने गृह विभाग के सचिव और कानून विभाग के प्रधान सचिव को नोटिस जारी किया। पीठ ने उनसे चार सप्ताह के भीतर आपत्तियां दर्ज करने को कहा है।

धर्मातरण-रोधी विधेयक के तहत बनाए गए कानून किसी व्यक्ति की पसंद के अधिकार, स्वतंत्रता के अधिकार और धर्म का पालन करने के अधिकार का उल्लंघन करते हैं।

याचिका में दावा किया गया है कि अध्यादेश के प्रावधान भारतीय संविधान की धारा 21 का उल्लंघन करते हैं, क्योंकि यह राज्य के नागरिकों के व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार देता है।

राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा एक अध्यादेश जारी करके धर्मातरण विरोधी कानून लागू करने के बाद राज्य कांग्रेस ने इसके खिलाफ जन आंदोलन शुरू करने की घोषणा की थी।

कांग्रेस ने कहा कि वह धर्म की स्वतंत्रता के अधिकारों के कर्नाटक संरक्षण के दुरुपयोग की अनुमति कभी नहीं देगी। पार्टी ने कहा, हमारी पार्टी अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित प्रत्येक व्यक्ति के साथ मजबूती से खड़ी होगी, जिन्हें सरकार ने धमकी दी है। पार्टी प्रस्तावित विधेयक के खिलाफ जन आंदोलन शुरू करेगी।

कर्नाटक सरकार ने 21 दिसंबर, 2021 को विधानसभा में प्रस्तावित विवादास्पद कर्नाटक धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार विधेयक, 2021 को धर्मातरण-रोधी बिल के रूप में जाना जाता है। हालांकि, यह अभी तक सामने नहीं आया है।

नए कानून के अनुसार, कोई भी परिवर्तित व्यक्ति, उसके माता-पिता, भाई, बहन या कोई अन्य व्यक्ति जो उससे रक्त, विवाह या गोद लेने या किसी भी रूप में संबद्ध या सहकर्मी से संबंधित है, ऐसे रूपांतरण की शिकायत दर्ज करा सकता है जो प्रावधानों का उल्लंघन करता है। अपराध को गैरजमानती और सं™ोय अपराध बनाया गया है।

 

आईएएनएस

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Created On :   23 July 2022 5:30 AM GMT

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