MP By-Election Results: 19 जिला मुख्यालयों पर आज तय होगा शिवराज, सिंधिया और कमलनाथ का भविष्य, चुनाव आयोग की तैयारियां पूरी

MP By-Election Results: 19 जिला मुख्यालयों पर आज तय होगा शिवराज, सिंधिया और कमलनाथ का भविष्य, चुनाव आयोग की तैयारियां पूरी

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्यप्रदेश में 28 विधानसभा क्षेत्रों के लिए हुए उपचुनाव की मतगणना आज (मंगलवार 10 नवंबर) 19 जिला मुख्यालयों में होगी। कोरोना संक्रमण के लिए तय की गई गाइड लाइन का पालन करते हुए मतगणना की जाएगी। चुनाव आयोग ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। आज आने वाले परिणामों के बाद राज्य में सीएम शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया और पूर्व सीएम कमलनाथ के भविष्य तय हो जाएगा। 

उप मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी प्रमोद शुक्ला ने बताया कि इस बार कोविड-19 की गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग बनाये रखने के उद्देश्य से प्रत्येक राउंड में 14-14 टेबिल होंगी। राजगढ़ में एक हॉल में 14 टेबिल, गुना में तीन हॉल में से एक हॉल में छह और दो हॉल में चार-चार टेबिल और शेष 17 जिलों में सात-सात टेबिल के दो हॉल में मतगणना की जाएगी। प्रत्येक हॉल की प्रत्येक राउण्ड से की गई दो टेबिल की मतगणना की जांच आयोग के प्रेक्षक द्वारा की जाएगी।

सुबह 8 बजे से शुरू होगी मतगणना
मतगणना सुबह 8 बजे डाक मतपत्रों की गणना के साथ शुरू होगी। ईवीएम मशीनों की मतगणना सुबह साढ़े 8 बजे शुरू होगी। पहले डाक मतपत्रों की मतगणना पूरी नहीं होने पर ईवीएम मशीनों की मतगणना का अंतिम राउंड रोक दिया जाता था, लेकिन इस बार यह नियम हटा दिया गया है और डाक मतपत्रों एवं ईवीएम मशीनों की मतगणना लगातार चलती रहेगी। मतगणना में ऐसी मशीनें जिनका कंट्रोल यूनिट डिस्प्ले नहीं कर रहा है तो ऐसी मशीनों को रिटनिर्ंग अधिकारी द्वारा एक तरफ रखा जाकर बाकी मशीनों की मतगणना जारी रहेगी। यदि प्रत्याशियों की जीत-हार का अंतर डिस्प्ले नहीं होने वाली कंट्रोल यूनिट के मतों से अधिक है तो उसे मतगणना में नहीं लिया जाकर परिणाम घोषित किया जायेगा। इसी तरह यदि अंतर कम है या बराबर है तो मतों की गणना वीवीपेट से नियमानुसार की जायेगी।

कोरोना प्रोटोकॉल के नियमों का पालन किया जाएगा 
मतगणना केन्द्र पर सैनिटाइजर की व्यवस्था जिला प्रशासन द्वारा की जायेगी एवं कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन किया जायेगा। मतगणना के पूर्व अभ्यर्थियों की उपस्थिति में स्ट्रॉन्ग रूम खोला जायेगा। स्ट्रॉन्ग रूम खोलने, मशीनों को निकालते समय कॉरिडोर एवं मतगणना कक्ष का लगातार सीसीटीवी कवरेज होगा। मतगणना के पश्चात मेन्डेटरी वीवीपेट की गणना में रेण्डमली चयनित पांच-पांच वीवीपेट की स्लिप की भी गणना कर सत्यापन किया जायेगा।

लोधी के इस्तीफे के बाद बहुमत का आंकड़ा 115
विधानसभा में कुल 230 सीटें हैं। उपचुनाव के दौरान ही दमोह से कांग्रेस विधायक राहुल लोधी इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए। अब विधायकों की संख्या 229 रह गई है। मौजूदा विधानसभा में 201 सदस्य हैं। इसमें भाजपा के 107, कांग्रेस के 87, BSP के 2, SP का 1 और 4 निर्दलीय विधायक हैं। बहुमत के लिए 115 विधायकों की जरुरत होगी। ऐसे में भाजपा को 8 और कांग्रेस को 28 सीटें जीतनी होंगी।

शिवराज, सिंधिया और कमलनाथ का भविष्य तय होगा
मध्यप्रदेश उपचुनाव की 28 सीटें सिर्फ भाजपा सरकार बचाने के लिहाज से ही अहम नहीं है, बल्कि इनसे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया का राजनीतिक भविष्य भी तय होगा। सीटों की संख्या से तय होगा कि भाजपा में सिंधिया की ताकत बढ़ेगी या घटेगी? यह भी पता चलेगा कि दलबदल कानून से बचने के लिए इस्तीफा देकर पार्टी बदलने का फॉर्मूला कितना कामयाब हुआ? लोगों ने थोक में दलबदल करने वाले विधायकों को स्वीकार किया या नहीं?

परिणामों का सबसे ज्यादा असर सिंधिया खेमे के मंत्रियों पर होगा
उप चुनाव के नतीजों का सबसे ज्यादा असर उन पूर्व मंत्रियों पर पड़ने वाला है, जो सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। मुख्य रूप से तुलसी सिलावट, गोविंद सिंह राजपूत, इमरती देवी, प्रद्युम्न सिंह तोमर, डाॅ. प्रभुराम चौधरी और राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव का राजनीतिक करियर दांव पर है। अगर ये लोग चुनाव हारते हैं, तो भविष्य में इन्हें भाजपा से टिकट मिलना मुश्किल हो जाएगा। भाजपा के पास तर्क भी रहेगा कि हारे हुए को टिकट कैसे दिया जा सकता है? कांग्रेस से इनका नाता खत्म हो ही चुका है। ऐसे में इनके लिए राजनीतिक तौर पर खड़ा होना मुश्किल हो जाएगा।

28 सीटों पर 14 मंत्री
शिवराज सरकार के 14 मंत्रियों (तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत पद से इस्तीफा दे चुके) की किस्मत का फैसला भी आज होने वाला है। जानकार मानते हैं कि यदि मंत्री को हार का सामना करना पड़ा, तो भाजपा में उनकी राह आसान नहीं होगी। अनुमान इससे भी लगाया जा सकता है कि इससे पहले चौधरी राकेश सिंह और प्रेमचंद गुड्‌डू को राजनीतिक भविष्य बचाने के लिए कांग्रेस में वापसी करना पड़ी।

सीटों की संख्या के मायने

शिवराज सिंह चौहान : भाजपा को 20 से ज्यादा सीटें मिलती हैं, तो शिवराज का कद तो बढ़ेगा, लेकिन सत्ता और संगठन में सिंधिया का दखल ज्यादा होने से उन्हें फैसले लेने की पूरी आजादी नहीं होगी। 10 से 15 के बीच सीटें आती हैं, तो सरकार में फैसले करने में शिवराज पर संगठन का ज्यादा दबाव रहेगा।

ज्योतिरादित्य सिंधिया : भाजपा के खाते में 20 से अधिक सीटें आती हैं, तो सिंधिया की प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर धमाकेदार एंट्री होगी और भाजपा में बड़े नेता के तौर पर उभर सकते हैं। यदि 10 से 15 के बीच सीटें आती हैं, तो प्रदेश की राजनीति में कम, केंद्र में सक्रियता ज्यादा रहेगी।

कमलनाथ : कांग्रेस यदि सिंधिया के गढ़ को धराशायी कर 20 से ज्यादा सीटें हासिल कर लेती है, तो कमलनाथ का कद कांग्रेस में और बढ़ जाएगा। दूसरा पहलू यह है कि यदि वे सरकार बनाने में कामयाब न हो सके और 10 से 15 सीटें ही मिलीं, तो प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष में से एक पद छोड़ने का दबाव बढ़ जाएगा।

Created On :   9 Nov 2020 7:55 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story