शुभेंदु अधिकारी पर कुणाल घोष की समलैंगिकता वाले मजाक से क्वीर कार्यकर्ताओं में नाराजगी

Queer activists outraged by Kunal Ghoshs homosexual joke on Shubhendu Adhikari
शुभेंदु अधिकारी पर कुणाल घोष की समलैंगिकता वाले मजाक से क्वीर कार्यकर्ताओं में नाराजगी
पश्चिम बंगाल शुभेंदु अधिकारी पर कुणाल घोष की समलैंगिकता वाले मजाक से क्वीर कार्यकर्ताओं में नाराजगी

 डिजिटल डेस्क, कोलकाता। पश्चिम बंगाल सचिवालय नबन्ना पर मंगलवार को हुए भाजपा के विरोध मार्च के दौरान विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के महिला पुलिसकर्मियों द्वारा संभालने से इनकार करने के बाद राज्य में राजनीति ने एक बुरा मोड़ ले लिया है, यहां तक कि किसी के यौन अभिविन्यास पर भी सवाल उठाया जाने लगा है।

शुभेंदु अधिकारी ने एक महिला पुलिस अधिकारी से कहा था, मेरे शरीर को मत छुओ। आप महिला हैं और मैं पुरुष हूं - इसका क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद से तृणमूल कांग्रेस के नेता इस बयान का इस्तेमाल शुभेंदु अधिकारी पर हमला करने के लिए कर रहे हैं।

सबसे पहले तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने बुधवार को कहा कि शायद विपक्ष के नेता का पुरुषों के प्रति आकर्षण है।

इसके बाद गुरुवार को तृणमूल प्रवक्ता कुणाल घोष ने अधिकारी का नाम लिए बिना उनके खिलाफ एक अभूतपूर्व व्यक्तिगत हमला किया, लेकिन यह स्पष्ट कर दिया कि वह किसकी ओर इशारा कर रहे थे।

उन्होंने कहा, एक नेता, हालांकि मैं उसका नाम नहीं ले रहा हूं और इसका मतलब शुभेंदु नहीं हैं, एक समलैंगिक और विकृत है। उन्होंने अपने एक अंगरक्षक से शारीरिक संपर्क करने की कोशिश की। मामले में पुलिस की जांच कोर्ट में अटकी हुई है, लेकिन हमने पुलिस को निर्देश दिया है कि बॉडीगार्ड के परिवार को इंसाफ मिले।

घोष की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि एक भतीजे (मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी) के वैतनिक नौकर की ऐसी टिप्पणियों का जवाब देना उनकी गरिमा के नीचे है। घोष को सारदा चिटफंड घोटाले में उनकी कथित संलिप्तता के कारण तीन साल जेल में भी रखा गया था।

अधिकारी ने कहा, मुझे तीन साल की कैद की गटर सामग्री का जवाब देने से नफरत है।

बंगाल भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि इस तरह की टिप्पणियां घोष की दयनीय सांस्कृतिक पृष्ठभूमि को दर्शाती हैं।

इस बीच, शहर में क्वीर कार्यकर्ताओं और कुछ वकीलों ने घोष की टिप्पणियों पर कड़ी आपत्ति जताई है, क्योंकि उन्होंने समलैंगिकता को विकृति से जोड़ा।

कलकत्ता हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील कौशिक गुप्ता ने कहा, घोष को पूरे समुदाय को जोड़ने वाली ऐसी अपमानजनक टिप्पणी करने से पहले दो बार सोचना चाहिए। मैं इस मामले की राजनीतिक बारीकियों में नहीं पड़ना चाहता। वह समलैंगिकता को विकृति से कैसे जोड़ सकते हैं, खासकर जब सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को आंशिक रूप से रद्द कर दिया है।

क्वीर समुदाय के लोगों को समर्पित एक अखिल भारतीय कोविड-19 सेवा लोकेटर चलाने वाले वार्ता ट्रस्ट के संस्थापक ट्रस्टी पवन ढल ने आईएएनएस से कहा कि समलैंगिकता पर इस तरह की टिप्पणियां कुणाल घोष की शिक्षा के स्तर के बारे में संदेह पैदा करती है।

(आईएएनएस)

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Created On :   15 Sep 2022 7:00 PM GMT

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