बिहार के नतीजों को छोड़कर कोविड-19 वैक्सीन की बात कर रहे राहुल गांधी

Rahul Gandhi talking about Kovid-19 vaccine excluding Bihar results
बिहार के नतीजों को छोड़कर कोविड-19 वैक्सीन की बात कर रहे राहुल गांधी
बिहार के नतीजों को छोड़कर कोविड-19 वैक्सीन की बात कर रहे राहुल गांधी
हाईलाइट
  • बिहार के नतीजों को छोड़कर कोविड-19 वैक्सीन की बात कर रहे राहुल गांधी

नई दिल्ली, 11 नवंबर (आईएएनएस)। बिहार विधानसभा चुनाव और देश के विभिन्न राज्यों में हुए उपचुनावों के नतीजे आने के एक दिन बाद राहुल गांधी ने चुनावी मुद्दे से साफतौर पर बचते हुए कोविड-19 वैक्सीन पर फोकस किया।

जाहिर है, बिहार और उत्तर प्रदेश में देश की यह पुरानी कोई खास योगदान नहीं दे सकी। इस मसले से हटते हुए बुधवार को गांधी ने ट्वीट किया, भले ही फाइजर ने एक वैक्सीन बना लिया है, लेकिन इसे हर भारतीय तक पहुंचाने के लिए लॉजिस्टिक पर काम करना जरूरी है। भारत सरकार को वैक्सीन वितरण रणनीति बतानी होगी कि यह कैसे हर भारतीय तक पहुंचेगी।

कुछ घंटों पहले आए चुनावी नतीजों में कांग्रेस बिहार में केवल 19 सीटें ही पा सकी है। उपचुनावों में भी पार्टी को बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। हरियाणा के बरोदा विधानसभा की जीत का श्रेय भी असल में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा को दिया जा रहा है, बजाय की पार्टी के केंद्रीय नेताओं को।

गुजरात उपचुनावों की बात करें तो राहुल गांधी के करीबी और राज्य के प्रभारी माने जाने वाले नेता राजीव सातव कुछ खास नहीं कर सके। यहां सभी 8 सीटें भाजपा ने जीतीं। कर्नाटक के प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला भी उपचुनावों में दोनों सीटें भाजपा से हार गए।

मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान को पछाड़ने के लिए मैदान में उतरी कांग्रेस उपचुनाव नहीं जीत सकी, बल्कि भाजपा अब और अधिक शक्तिशाली बनकर उभर आई है। ऐसे ही हालात तेलंगाना और ओडिशा के हैं।

हालांकि छत्तीसगढ़ और झारखंड में हालात ठीक रहे, जहां कांग्रेस उपचुनाव जीतने में कामयाब रही। उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी वाड्रा प्रभारी हैं, लेकिन पार्टी यहां एक भी सीट नहीं जीत पाई। यहां भाजपा ने 6 और समाजवादी पार्टी ने 1 सीट जीती।

गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कहा, ये नतीजे आगामी स्थानीय चुनावों के लिए एक ट्रेलर हैं। कांग्रेस एक डूबता हुआ जहाज है .. उनका लोगों से संपर्क खत्म हो गया है। हर जगह नतीजे उनके खिलाफ आए हैं।

उधर, बिहार में मिली हार के लिए कांग्रेस के नेता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की आलोचना कर रहे हैं और कह रहे हैं कि कांग्रेस को सेट प्रोटोकॉल से बाहर आना होगा, ताकि दिल्ली से चुनाव लड़ा जा सके।

संकट के इस समय में केवल तीन नेता ही कुछ कर पाए हैं। जैसे- झारखंड के प्रभारी आर.पी.एन. सिंह झामुमो के साथ गठबंधन में दोनों सीटों पर भाजपा को हरा पाए हैं, इसी तरह भूपेंद्र सिंह हुड्डा बरोदा और भूपेंद्र बघेल मरवाही सीट कांग्रेस के खाते में डाल पाए हैं।

एसडीजे/एसजीके

Created On :   11 Nov 2020 11:30 AM GMT

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