कर्नाटक सरकार स्थानीय निकायों में ओबीसी का प्रतिनिधित्व 31 मार्च तक तय करे

Supreme Court says Karnataka government should decide representation of OBCs in local bodies by March 31
कर्नाटक सरकार स्थानीय निकायों में ओबीसी का प्रतिनिधित्व 31 मार्च तक तय करे
सुप्रीम कोर्ट कर्नाटक सरकार स्थानीय निकायों में ओबीसी का प्रतिनिधित्व 31 मार्च तक तय करे

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कर्नाटक सरकार को स्थानीय निकायों में ओबीसी के राजनीतिक प्रतिनिधित्व को अंतिम रूप देने के लिए 31 मार्च तक का समय दिया।

कर्नाटक सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस एस. अब्दुल नजीर और हिमा कोहली की पीठ के समक्ष कहा कि प्रक्रिया शुरू करने के लिए एक आयोग का गठन किया गया है और इसमें इस उद्देश्य के लिए अनुभव संबंधी डेटा का संग्रह भी शामिल है।

कर्नाटक हाईकोर्ट ने अक्टूबर में बेंगलुरु नगर निगम के 243 वार्डो में ओबीसी के लिए 33 प्रतिशत कोटा तय करने के राज्य सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था। हाईकोर्ट ने नागरिक निकाय कोटा मैट्रिक्स की 16 अगस्त की अधिसूचना को खारिज करते हुए कहा कि निर्णय काल्पनिक आंकड़ों पर आधारित था, न कि वैज्ञानिक अभ्यास के माध्यम से।

सरकार का निर्णय कर्नाटक हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति भक्तवत्सल की अध्यक्षता वाले आयोग द्वारा की गई सिफारिश पर आधारित था।

राज्य चुनाव आयोग का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान कहा कि इससे चुनाव कराने में और देरी होगी। इस पर शीर्ष अदालत ने कहा, यह ओबीसी के प्रतिनिधित्व का अवसर है। उन्हें प्रतिनिधित्व मिलने दीजिए। उन्हें कुछ समय दीजिए।

मेहता ने यह भी तर्क दिया कि चुनाव आयोग को देरी के बारे में चिंतित नहीं होना चाहिए।

पीठ ने कहा कि अगर प्रक्रिया पूरी किए बिना चुनाव कराए जाते हैं, तो ओबीसी को प्रतिनिधित्व नहीं मिलेगा।

मेहता ने हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि ट्रिपल टेस्ट मानदंड का पालन करने के लिए एक नई कवायद की जा रही है, जिसे शीर्ष अदालत ने ओबीसी को आरक्षण देने के लिए निर्धारित किया था।

इस घटनाक्रम के बाद उम्मीद की जाती है कि स्थानीय निकाय चुनावों में और देरी होगी, जिसमें बृहत बेंगलुरु महानगर पालिके (बीबीएमपी) भी शामिल है, जिसका कार्यकाल सितंबर 2019 में समाप्त हो गया था।

हाईकोर्ट ने कहा कि आयोग द्वारा पेश की गई रिपोर्ट के आधार पर पिछड़े वर्गो को आरक्षण देने के लिए राज्य सरकार की अधिसूचना सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित ट्रिपल टेस्ट के विपरीत है।

(आईएएनएस)

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Created On :   15 Dec 2022 8:30 PM IST

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