खंडवा में कांग्रेस के लिए बढ़ी मुसीबत, संभावित उम्मीदवार अरुण यादव का चुनाव लड़ने से इनकार

Trouble for Congress in Khandwa, Potential candidate Arun Yadav refuses to contest
खंडवा में कांग्रेस के लिए बढ़ी मुसीबत, संभावित उम्मीदवार अरुण यादव का चुनाव लड़ने से इनकार
मध्य प्रदेश उपचुनाव खंडवा में कांग्रेस के लिए बढ़ी मुसीबत, संभावित उम्मीदवार अरुण यादव का चुनाव लड़ने से इनकार

भोपाल । मध्यप्रदेश में आगामी समय में होने वाले विधानसभा और लोकसभा के उपचुनाव से पहले कांग्रेस के सामने मुसीबत खड़ी हो गई है क्योंकि खंडवा से संभावित उम्मीदवार और बड़े दावेदार अरुण यादव ने चुनाव लड़ने से ही इनकार कर दिया है। पार्टी के सामने अब सवाल यह है कि वह ऐन वक्त पर बेहतर और सक्षम उम्मीदवार लाए कहां से?

मध्य प्रदेश में आगामी समय में तीन विधानसभा क्षेत्रों रैगांव, जोबट और पृथ्वीपुर के अलावा खंडवा संसदीय क्षेत्र में उपचुनाव होने वाले हैं, उप चुनाव का कार्यक्रम भी घोषित हो चुका है और नामांकन भरे जा रहे हैं। खंडवा संसदीय क्षेत्र से पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव की उम्मीदवारी तय मानी जा रही थी मगर उन्होंने अचानक रविवार को चुनाव न लड़ने का ऐलान करके पार्टी के सामने मुसीबत खड़ी कर दी है।

खंडवा से सांसद रहे नंदकुमार सिंह चौहान के निधन के बाद से ही इस इलाके में अरुण यादव की सक्रियता बनी हुई है। वे लगातार कोरोना संक्रमण काल के दौरान जनता के बीच सक्रिय रहे और अभी भी सक्रिय हैं। पार्टी के भीतर से ही कुछ लोगों को ऐसे नेताओं को संरक्षण दिया जा रहा है जो अरुण यादव की उम्मीदवारी नहीं चाहते और इसको लेकर लगातार बयान भी आ रहे हैं। भले ही अरुण यादव चुनाव न लड़ने की वजह पारिवारिक बता रहे हो, मगर वास्तविकता यह है कि राज्य के बड़े नेताओं को अरुण यादव से खतरा नजर आ रहा है। वे नहीं चाहते कि यादव खंडवा से चुनाव लड़े, क्योंकि अगर उनकी जीत हो गई तो मध्यप्रदेश में कांग्रेस का बड़ा ओबीसी चेहरा सामने आ जाएगा।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता का नाम न छापने की शर्त पर कहना है कि राज्य में कांग्रेस को संगठित करने का काम कमलनाथ ने किया और उनके अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी में एकजुटता आई मगर बीते कुछ दिनों में एक बार फिर पार्टी में ऐसे लोगों की गतिविधियां बढ़ गई हैं जो जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत ही नहीं होने देना चाहती। कई बार तो ऐसा लगता है कि कांग्रेस के कुछ नेता भाजपा से मिलकर उनके लिए काम कर रहे हैं।

निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा लगातार अपनी पत्नी की पैरवी कर रहे है और यहां तक कह चुके है कि कमल नाथ के सर्वे में उनका ही नाम आगे होगा। इन बयानों को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता सैयद जाफर ने भी अपरोक्ष रुप से अरुण यादव का समर्थन करते हुए कहा था कि जो निर्दलीय विधायक कांग्रेस की रीति-नीतियों के साथ नहीं है, उन्हें कांग्रेस से टिकट मांगने के पहले अपनी विचारधारा स्पष्ट करना चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि, कांग्रेस पार्टी को ऐसे ही व्यक्तियों को टिकट देना चाहिए, जो सदैव कांग्रेस पार्टी के विचारों के साथ जनता के लिए खड़ा है।

अरुण यादव ने चुनाव लड़ने से इनकार करने से पहले ही एक ट्वीट रिट्वीट किया था जिसमें एक शेर कहा गया था, मुझे भी यकीन था हर शख्स की तरह यही। मेरी बर्बादी के पीछे हाथ मेरे दुश्मनों का था। पलट कर देखा जो मैंने बदन पर खाकर जख्म, फेंका हुआ तीर मेरे दोस्तों का था।

इस रिट्वीट के बाद से ही लोगों का अनुमान था कि पार्टी के लोग हैं उन्हें पीछे धकेलने की कोशिश कर रहे हैं। इससे वे आहत है। अब उन्होंने जो चुनाव न लड़ने का ऐलान किया है, इसकी वजह भी पार्टी के भीतर के घमासान केा माना जा रहा है।

(आईएएनएस)

 

Created On :   4 Oct 2021 8:30 AM GMT

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