पंजाब में चेहरे को लेकर आप पार्टी असमंजस में क्यों?

Why is the AAP party confused about the face in Punjab?
पंजाब में चेहरे को लेकर आप पार्टी असमंजस में क्यों?
पंजाब चुनाव 2022 पंजाब में चेहरे को लेकर आप पार्टी असमंजस में क्यों?

डिजिटल डेस्क, चंडीगढ़। अगले साल पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सभी राजनीतिक पार्टियों में उठापटक की स्थिति बनीं हुई है। आम आदमी पार्टी के हालात भी कुछ इसी तरह के है। आम आदमी पार्टी के सामने भी बड़ी चुनौती ये है कि साल 2017 के विधानसभा चुनाव की तरह ही कोई भी नेता राज्य में चेहरा नहीं बन पाया है। बीते चुनाव में अरविंद केजरीवाल के चेहरे के दम पर चुनाव लड़ा गया था लेकिन उसका खासा नुकसान उठाना पड़ा। 

2017 में संतोषजनक नतीजा नहीं आया

उस चुनाव में जहां सत्ता पर काबिज अकाली दल भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी हुई थी तो कैप्टन अमरिंदर की अगुवाई में लड़ रही कांग्रेस के पक्ष में भी कोई खास झुकाव लोगों का नहीं था। लेकिन आम आदमी पार्टी ने एक बड़ी गलती कर दी। बादल और कैप्टन के खिलाफ पार्टी कोई मजबूत चेहरा नहीं उतार पाई। नतीजा ये रहा कि विधानसभा की 117 सीटों के चुनाव में कांग्रेस को 72 सीटें मिल गईं वहीं आप सिर्फ 20 सीटों पर ही सिमट गई।

मुफ्त बिजली देकर बनेंगी सरकार!

आपको बता दें कि राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तीन सौ यूनिट तक मुफ्त बिजली देने और किसी सिख चेहरे को मुख्यमंत्री बनाने के वायदे के साथ केजरीवाल ने इस बार फिर चुनावी अभियान शुरू किया है। दिल्ली में फ्री पानी व बिजली की राजनीति सफल होने के बाद  लेकिन वो चेहरा कौन होगा यह तय नहीं किया गया है। बीते चुनाव में भी सिखों से जुड़े मुद्दों पर काम करते हुए आम आदमी पार्टी ने पंजाब में काफी समर्थन हासिल कर लिया था। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को लेकर आगे आए केजरीवाल तथा अन्ना हजारे के लोकपाल आंदोलन की कोख से जन्मे केजरीवाल के राजनीतिक एजेंडे पर भरोसा कर एनआरआई ने भी आर्थिक मदद की थी। लेकिन आम आदमी पार्टी ने यह भरोसा कायम नहीं रख सकी। 

 सिख चेहरा सामने लाना पड़ेगा!

आपको बता दें कि अगर अरविंद केजरीवाल पंजाब में सरकार बनाने का सपना देख रहे हैं तो उनको सत्ता में आने के लिए सिख चेहरा सामने लाना  पड़ेगा। इसकी वजह है कि पार्टी को खोए हुए विश्वास हासिल करने के लिए पार्टी के गुटबाजी की आशंकाओं को छोड़कर पार्टी को मुख्यमंत्री पद का सिख चेहरा घोषित करना होगा। बता दें कि अगर मजबूत सिख नेता है तो गुटबाजी खत्म हो जाएगी। केजरीवाल को मेरे आगे कोई नहीं है, ये भाव छोड़ना पड़ेगा। हालांकि गुटबाजी हर पार्टी में होती है लेकिन गुटबाजी न हो इसके लिए नेतृत्व को बड़े फैसले लेने पड़ते हैं। अक्सर बीजेपी नेतृत्व को लेकर इसीलिए लोग तारीफ भी करते हैं। 

मुख्यमंत्री चेहरे पर चुप्पी क्यों?

आपको बता दें कि आप पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर छाई चुप्पी को लेकर राजनीति की अच्छी समझ रखने वालों का कहना है कि इस समय आप पार्टी की तरफ से दो नेता खुद को सीएम पद का दावेदार समझते हैं। जिसमें सांसद भगवंत मान तथा हरपाल चीमा हैं, हालांकि इन दोनों का कद उतना बड़ा नहीं है। जैसे सुखबीर बादल और कैप्टन अमरिंदर सिंह का मुकाबला कर सकें। आपको बता दें कि आप पार्टी को सिखों से ज्यादा हिंदुओं का समर्थन मिला था। सिखों में उन्हीं का वोट मिला था जिनका कम्युनिस्ट विचारधारा के प्रति झुकाव था। कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम बनाकर दलितों के बीच खासी बढ़त हासिल कर ली है। पंजाब में दलित मतदाता करीब 32 फीसदी हैं। लेकिन कांग्रेस की सारी कवायद पर नवजोत सिंह सिद्धू पानी फेरने का काम कर रहे हैं।


 

Created On :   11 Nov 2021 2:06 PM GMT

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