बिहार विधानसभा चुनाव 2025: नो एंट्री के बाद भी राजनीति के जादूगर नीतीश कुमार अपनी जगह बना ही लेते है, आरजेडी हो या बीजेपी उनके लिए दरवाजे हमेशा खुला रहते है

- आपातकाल के आज पचास वर्ष पूरे
- बिहार की राजनीति के दो दोस्त नीतीश -लालू यादव
- दोनों ही आपातकाल की उपज
डिजिटल डेस्क, पटना। आपातकाल के आज पचास वर्ष पूरे हो गए है, बिहार के मौजूदा सीएम नीतीश कुमार और पूर्व सीएम लालू यादव दोनों ही आपातकाल की उपज हैं। दोनों ही नेताओं ने अपनी राजनीति की शुरुआत छात्र राजनीति से की। दोनों ही नेता समय समय पर एक-दूसरे पर कीचड़ उछालने के बावजूद कई मौकों पर एक-दूसरे के मददगार भी रहे हैं। बीते तीन दशक से बिहार की राजनीति भी दोनों ही नेताओं के इर्द गिर्द घूमती रही है। भले ही किन्हीं कारणों से लालू की राजनीति थोड़ी से फीकी पड़ी है। और उनकी राजनीति में परिवार के अन्य सदस्य भी शामिल हुए है, लेकिन नीतीश कुमार अब भी बिहार में अंगद के पैर की तरह जमे हुए है। नीतीश कुमार को तभी तो राजनीति के जादूगर कहा जाता है। वे कब किसको पक्ष- विपक्ष में बैठा दें उनके आने जाने से तय होता है। वे अपने लिए जगह बना ही लेते है।
नीतीश कुमार जब से देश की राजधानी दिल्ली से बिहार की राजधानी पटना पहुंचे है तब से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर जमे हुए हैं। और अपनी कुर्सी पर बने रहने के लिए कभी लालू की आरजेडी तो कभी बीजेपी के साथ बारी बारी से पाला बदलते रहते है। नीतीश अपने हिसाब से दोनों दलों का इस्तेमाल करते रहते हैं। नीतीश कुमार ने जब महागठबंधन छोड़कर बीजेपी के साथ सत्ता संभाली तब लालू परिवार की ओर से कहा जाना लगा कि उनके लिए वापसी के रास्ते बंद हो चुके हैं। लेकिन 2022 में नीतीश कुमार एनडीए छोड़कर फिर से लालू यादव के पास आ गये, तब बीजेपी ने कहा नीतीश कुमार के लिए दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो चुके हैं। लेकिन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नीतीश कुमार ने ऐसी परिस्थितियां पैदा कर दी कि बीजेपी को उनके लिए दरवाजे खोलने पड़े। मौजूदा वक्त में नीतीश कुमार वाली जेडीयू बीजेपी नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की बैसाखी बने हुए हैं। यूं कहे कि जब कोई साथ लेने को तैयार नहीं होता, तब नीतीश कुमार नया मार्ग बना लेते हैं। लेकिन आपको बता दें जब लोगों को लगता है कि नीतीश कुमार पूरी तरह चूक गये हैं, तब कहीं नीतीश कुमार किसी न किसी तरह जादू दिखा देते हैं। और पाला बदल लेते है। हालांकि इस दौरान वो कुर्सी पर भी बैठे रहते है। बस उन्हें राजभवन में नई शपथ लेनी होती है।
आपको बता दें बिहार में साल के अंत में विधानसभा चुनाव है , ऐसे में एनडीए और लालू के लिए नीतीश भारी महत्व रखते है। चुनाव से पहले तेजस्वी यादव भी नीतीश कुमार को लेकर लहजा बदलते हुए संभल कर बोल रहे है। नीतीश भी तेजस्वी यादव को घेरते हुए उनको अपने भाई जैसे दोस्त का बेटा बताते हैं। दूसरी तरफ लालू भी एक साक्षात्कार में कह चुके है कि नीतीश कुमार के लिए दरवाजे हमेशा खुले है। नीतीश को भी खोलकर रखना चाहिए। नीतीश आते हैं तो साथ काहे नहीं लेंगे? ले लेंगे साथ, नीतीश कुमार भाग जाते हैं, हम माफ कर देंगे। नीतीश भी लालू यादव को भी मैसेज दे चुके हैं कि वो तो ललन सिंह के कारण महागठबंधन छोड़े थे, फिर दरवाजा कैसे बंद किया जा सकता है?
इससे पहले तेजस्वी उनके आरजेडी के साथ आने के रास्ते बंद होने की बात कह चुके है। इस बात को तेजस्वी यादव ये बात फिर से दोहरा रहे है। भले ही बीजेपी से नीतीश कुमार कह चुके है कि अब कहीं नहीं जाएंगे… चले गये थे, गलती हो गई थी. अब गलती नहीं करेंगे।
Created On :   25 Jun 2025 5:19 PM IST