एमपी चुनाव 2023: सीट हथियाने और प्रतिष्ठा बचाने की लड़ाई, डिंडौरी और शहपुरा में कांग्रेस तथा भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं को युवा प्रत्याशियों सहित गोंगपा से मिल रही चुनौती

सीट हथियाने और प्रतिष्ठा बचाने की लड़ाई, डिंडौरी और शहपुरा में कांग्रेस तथा भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं को युवा प्रत्याशियों सहित गोंगपा से मिल रही चुनौती
  • आज मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव
  • 3 दिसंबर को आएंगे नतीजे

डिजिटल डेस्क, डिंडोरी। मध्य प्रदेश में अजा (अनुसूचित जाति) वर्ग के लिए आरक्षित जिले की दोनों विधानसभा सीटों (डिंडोरी तथा शहपुरा) पर सीट हथियाने और प्रतिष्ठा बचाने की लड़ाई चल रही है। कांग्रेस अपने कब्जे वाली इन दोनों सीटों को बचाने जोर लगा रही है तो भाजपा सहित तीसरी ताकत के रूप में चुनावी समर में मौजूद गोंगपा (गोंडवाना गणतंत्र पार्टी) ये सीटें हथियाने के प्रयासों में जुटी है। मुकाबला इसलिए भी और रोचक हो गया है क्योंकि चुनाव मैदान में कांग्रेस तथा भाजपा के युवा प्रत्याशी, इन दोनों दलों के राष्ट्रीय नेताओं (ओमकार और ओमप्रकाश) के सामने कड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं।

पहले बात डिंडोरी की

कांग्रेस का गढ़ मानी जाने वाली इस सीट पर कांग्रेस ने यहां जीत की हैट्रिक लगा चुके विधायक ओमकार सिंह मरकाम को रिपीट किया है। कांग्रेस की केन्द्रीय स्क्रीनिंग कमेटी के मेंबर मरकाम प्रियंका गांधी द्वारा मंडला की सभा में छठी अनुसूची का मुद्दा उठाये जाने के बाद से चर्चा में हैं। इनका बैगा चक पर अधिक फोकस है। प्रचार के दौरान आदिवासियों के हितार्थ कमलनाथ सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाएं बंद करने का आरोप लगाते हुए भाजपा को घेर रहे हैं। मरकाम व कांग्रेस दोनों का अपना वोट बैंक है। इसमें सेंध लगाने भाजपा प्रत्याशी पंकज सिंह तेकाम और सात महीने पहले तक कांग्रेस के रहे निर्दलीय प्रत्याशी जिला पंचायत अध्यक्ष रूदेश परस्ते बराबरी से कोशिश कर रहे हैं। भाजपा के पंकज पूर्व में नगर परिषद अध्यक्ष रह चुके हैं। वे अपने अध्यक्षीय कार्यकाल की उपलब्धियों के बूते किला फतह करने का भरोसा रखते हैं। इनकी ताकत राज्य व केन्द्र सरकार की उपलब्धियां तथा योजनाएं हैं, जिन्हें लेकर ये सवा महीने से विधानसभा क्षेत्र के लगभग हर गांव तक पहुंच चुके हैं।गांव-गांव छोटी-बड़ी सभाएं तो निर्दलीय रूदेश भी कर रहे हैं और ‘जल, जंगल, जमीन पर अधिकार हमारा’ का नारा बुलंद कर रहे हैं। इनकी ताकत कांग्रेस का ओमकार विरोधी खेमा है। इस खेमे के प्रदर्शन पर ही रूदेश का परिणाम टिका है।

अब शहपुरा की बात

यहां भी कांग्रेस ने 2018 का चुनाव जीतने वाले युवा प्रत्याशी भूपेन्द्र सिंह मरावी को रिपीट किया है। भूपेन्द्र के सामने भाजपा के ओमप्रकाश धुर्वे है। उमा भारती सरकार में मंत्री रहे ध्रुर्वे परिसीमन में समाप्त हुई बजाग विधानसभा से तीन बार और शहपुरा विधानसभा से एक बार विधायक चुने जा चुके हैं। 2018 में ये करीब 14 फीसदी वोटों का नुकसान होने के कारण भूपेन्द्र से चुनाव हार गये थे। भाजपा का राष्ट्रीय सचिव बनने के बाद इनके कद में भी इजाफा हुआ धुर्वे इस बार ऑफ के साथ ऑनलाइन यानी डिजिटल कैम्पनिंग पर अधिक फोकस रखे हुए हैं। केन्द्र व राज्य सरकार की उपलब्धियां भी इनका हौसला बढाये हुए है। इसके इतर कांग्रेस के भूपेन्द्र ने अपने प्रचार की शुरुआत ही विधानसभा क्षेत्र के अंतिम छोर पर बसे गांवों से की है। वे धीरे-धीरे शहर की ओर बढ़े। इनकी ताकत अपने हालिया कार्यकाल की उपलब्धियां, सत्ता पक्ष के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ द्वारा जनता को दी जा रही, सरकार आने पर मिलने वाली, सौगातों की गारंटी है। यहां गोंगपा तीसरी ताकत के रूप में मैदान में है। इसका करीब 30 हजार का वोट बैंक है। यहां पार्टी ने अपने प्रदेश अध्यक्ष अमान सिंह पोर्ते को मैदान में उतारा है, लिहाजा त्रिकोणीय मुकाबला दिलचस्प होगा।

ये हैं मुद्दे

डिंडौरी में पलायन बड़ी समस्या है। रोजगार के साथ शिक्षा और स्वास्थ्य का पाया भी कमजोर है। यहां कृषि का रकबा कम है। इस पर भी नर्मदा नदी से सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलने से पलायन करने वालों की संख्या ज्यादा है। सिंचाई के लिए नर्मदा का पानी लाने की मांग का सालों से हल नहीं निकल सका। नर्मदा नदी के घाटों का विकास तथा समनापुर को पूर्ण तहसील का दर्जा दिये जाने की मांग भी अब मुद्दा बन चुकी है। इसी तरह से शहपुरा की जनता बिजली, सडक़, पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं को लेकर लगभग हर चुनाव में अपना प्रतिनिधि बदल देती हैं, बावजूद इसके समस्याओं का हल नहीं निकला। यहां पानी तथा रोजगार बड़ा मुद्दा है।

Created On :   16 Nov 2023 6:41 PM GMT

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