नारी शक्ति: आगामी चुनावों का एजेंडा महिला आरक्षण, कांग्रेस की लेटलतीफी का बीजेपी को मिल सकता है लाभ
- महिला आरक्षण नारी शक्ति वंदन अधिनियम
- लोकसभा में चर्चा के बाद भारी बहुमत से पास
- राज्यसभा में आज होगा पेश
- महिला आरक्षण में ओबीसी महिला आरक्षण की मांग तेज
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम लाकर इस साल के अंत में होने वाले पांच राज्यों के चुनाव का एजेंडा फिक्स कर दिया है। मध्यप्रदेश की बीजेपी सरकार ने चुनावी समीकरण के लिहाज से लाड़ली बहना योजना लाकर प्रदेश में महिलाओं मतदाताओं को सीधा लाभ पहुंचाया। हर चुनाव में महिला मतदाताओं की आबादी आधी है। इस समीकरण को ध्यान में रखते हुए बीजेपी और कांग्रेस महिलाओं से लोकलुभावन वादे कर रही है।
महिला वोट की लड़ाई के बीच बीजेपी ने अब बड़ा दांव चल दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र की बीजेपी सरकार ने संसद के विशेष सत्र में लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिला आरक्षण से संबंधित नारी शक्ति वंदन विधेयक पेश किया,लोकसभा में लंबी चर्चा के बाद ये विधेयक पारित भी हो गया । इस बिल के कानून बन जाने से महिलाओं के लिए लोकसभा और विधानसभाओं में 33 फीसदी सीटें आरक्षित कर दी जाएगी। मोदी सरकार के इस कदम को 2024 चुनाव से पहले मास्टर स्ट्रोक बताया जा रहा है। वहीं कुछ राजनीतिक विश्लेषक इसे पांच राज्यों के चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं।
नारी शक्ति वंदन विधेयक सीधे-सीधे महिलाओं से जुड़ा है साथ ही राज्यों से भी जुड़ा है। महंगाई की वजह से बीजेपी सरकार के खिलाफ जो नाराजगी देखने को मिल रही थी। महिला आरक्षण के दांव से महिलाओं के बीच से इस नाराजगी को दूर करने में सहूलियत मिलेगी।
हालांकि भले ही बिल के जरिए बीजेपी अपने पक्ष में महिला मतदाताओं को भुनाने की कोशिश कर सकती है, लेकिन महिला आरक्षण में कोटे के भीतर कोटे की मांग को लेकर ओबीसी नेताओं में नाराजगी है। जिसकी वजह से ये बिल ढ़ाई दशक से अधिक समय से सदन में अटका पड़ा था। इन नेताओं में पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती,पूर्व सीएम मायावती,पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव, पूर्व सीएम अखिलेश यादव समेत तमाम नेता और पार्टी महिला आरक्षण में ओबीसी महिला आरक्षण की मांग कर रहे है। बिल को कांग्रेस भले ही अपना बताकर सुर्खियां बंटोर रही है। लेकिन जिसकी वजह से कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में ये बिल पेंडिंग में चला गया। उसे लेकर यदि अब ओबीसी महिलाओं में नाराजगी देखी गई तो कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है।और क्षेत्रीय दलों को इसका लाभ मिल सकता है। खबरों के मुताबिक चर्चा ये है कि जनगणना और परिसीमन के बाद ये बिल लागू होगा। जिसमें काफी वक्त लग सकता है। बताया जा रहा है कि ये सब हो जाने के बाद 2029 में महिला आरक्षण लागू हो पाएगा। जनगणना में यदि ओबीसी वर्ग की जनगणना हुई जिसकी मांग वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में बलवत होती जा रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी सदन में चर्चा के दौरान ओबीसी जनगणना की मांग कर चुके है। ओबीसी महिला आरक्षण और ओबीसी जनगणना से आने वाले राजनीतिक परिदृश्य की रूप रेखा किस ओर जाएगी ये आने वाले वक्त ही बता सकेगा।
Created On :   21 Sept 2023 10:24 AM IST