जलवायु परिवेर्तन बन रहा किसान आत्महत्या बढ़ने बड़ा कारण

जलवायु परिवेर्तन बन रहा किसान आत्महत्या बढ़ने बड़ा कारण
रिपोर्ट में खुलासा

सुनील निमसरकर, नई दिल्ली । किसानों द्वारा की गई आत्महत्याओं का मुख्य कारण ऋणग्रस्तता माना जाता रहा है, लेकिन जलवायु परिवर्तन भी किसानों की आत्महत्या में वृद्धि का बड़ा कारण बन रहा है।.इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एनवायरमेंट एंड डेवलपमेंट (आईआईईडी) ने अपने रिसर्च रिपोर्ट में यह खुलासा किया है कि औसत से कम बारिश और उसके कारण पैदा हुई सूखे की स्थिति का सीधा संबंध किसानों की आत्महत्या में वृद्धि से है। रिपोर्ट की माने तो महाराष्ट्र के दो-तिहाई हिस्से में सूखा पड़ने की आशंका बहुत ज्यादा है।

आईआईईडी ने बारिश की भिन्नता और किसानों की आत्महत्या के बीच के संबंध को समझने के लिए पांच राज्यों जहां किसानों की आत्महत्या ज्यादा हुई है वहां के वर्षवार आंकड़े का विश्लेषण किया। इन राज्यों में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और तेलंगाना शामिल है। शोधकर्ताओं ने 2014-15 से 2020-21 के बीच इन राज्यों के बारिश के पैटर्न को देखा और पाया कि इस दौरान सामान्य से कम बारिश और उसके कारण पैदा हुई सूखे की स्थिति किसान आत्महत्याओं की संख्या में वृद्धि का कारण बनी। रिसर्च के मुताबिक जब साल में होने वाली बारिश सामान्य से 5 फीसदी कम-ज्यादा हुई तब आत्महत्या से मरने वाले किसानों की औसत संख्या 810 थी। वहीं रिग्रेशन मॉडल की मदद से पता चला है कि यदि बारिश सामान्य से 25 फीसदी कम आती है तब आत्महत्या करने वाले किसानों की औसत संख्या 1,188 थी।

अध्ययन बताता है कि जलवायु परिवर्तन ने भारत में सूखे की आवृत्ति और क्षेत्र में वृद्धि की है। वर्ष 2020-2022 में देश का दो-तिहाई हिस्सा सूखे की चपेट में था। सूखे से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में महाराष्ट्र का 62 प्रतिशत, मध्यप्रदेश का 44 प्रतिशत और छत्तीसगढ़ के 76 प्रतिशत हिस्सा सूखे की जद में है और इन राज्यों में किसानों की आत्महत्या दर काफी ज्यादा रहा। आईआईईडी की शोधकर्ता रितु भारद्वाज का कहना है कि कई देश जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को पहले से महसूस कर रहे हैं। हालांकि अपनी आय के साथ जलवायु पर बहुत अधिक निर्भर होने के कारण किसान इस संकट के अग्रिम स्थान पर है। जलवायु परिवर्तन खेती को अत्यंत जोखिम भरा और घाटे में चलने वाला प्रयास बना रहा है, जो किसानों के जोखिम को बढ़ा रहा है। एनसीआरबी के आंकडों को देखें तो 2020 में देश में खेती-किसानी से जुड़े 10,677 लोगों ने तंग होकर आत्महत्या कर ली थी। यानी हर दिन कृषि से जुड़े 29 लोग आत्महत्या कर रहे हैं।

Created On :   13 May 2023 2:28 PM GMT

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