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म.प्र. में महिला सशक्तिकरण: महिलाओं में है खूब हुनर, जरूरत है तो बस पहचानने की, चटाइयां बना कर आर्थिक मजबूती की ओर बढ़ रही महिलाएं, मिला आजीविका मिशन का सहारा

- आर्थिक मजबूती की तरफ जा रहीं बुरहानपुर की महिलाएं
- केले के तने के शेरे से बनाती हैं चटाइयां
- विविंग मशीन ने आसान किया काम
डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए जोरों पर काम कर रही है। कपड़ा उद्योगों के लिए प्रसिद्ध बुरहानपुर में स्व-सहायता समूह (SHG) की महिलाओं को और भी ज्यादा मजबूत बनाने पर जोर दिया जा रहा है। ग्रामीण आजीविका मिशन महिलाओं को अपनी कला पहचानने और निखारने में मदद करने की भूमिका निभा रहा है। उन्हें केले के तने के रेशों ने अलग-अलग प्रकार की चीजें बनाना सिखाया जा रहा है। दरअसल, बुरहानपुर अपने इतिहास के साथ-साथ केलों के लिए भी पहचाना जाता है। जिले में केले की भरपूर फसल है। बता दें कि, बुरहानपुर में 25,000 से भी ज्यादा हैक्टेयर क्षेत्रफल है। इन फसलों को 18,000 से भी अधिक कृषि लगाते हैं।
ग्रामीण आजीविका मिशन बना महिलाओं का सहारा
हमेशा ऐसा कहा जाता है कि महिलाओं के हाथों में जादू होता है। वह कोई भी काम बड़ी जल्दी सीख लेती हैं बस एक बार उनके अंदर की कला पर धार देने की जरूरत है। ग्रामीण आजीविका मिशन, बुरहानपुर की महिलाओं को यही अवसर दे रहा है ताकि वह अपने पैरों पर खड़ी हो सकें और ऊंची उड़ान भर सकें। यह मिशन गरीबों के लिए रोजगार का अवसर बढ़ाता है।
महिलाओं ने भरी उड़ान
बुरहानपुर जिले में केले के तने के रेशों से अलग-अलग चीजें बनाई जा रही हैं। स्व- सहायता समूह की महिलाओं को इन रेशों से कई प्रकार की चीजें बनाना सिखाया जा रहा है। साथ ही, वह केले के तने के रेशों ने पर्स, टोकरियां, झाडू़, फाईल फोल्डर, पेन स्टैण्ड, झूमर, तोरण, टोपियां, की-रिंग सहित कई चीजें बनाने का भी काम करती हैं। सभी चीजों को बेच कर महिलाएं पैसा कमाती हैं और आर्थिक रूप से मजबूत हो रही हैं। आपको जान कर खुशी होगी कि महिलाएं चटाई भी बना लेती हैं। वह विविंग मशीन का आसानी से इस्तेमाल कर पा रही हैं।
चटाई बनाने में कितना समय लगता है?
काम में जुटी महिलाओं ने बताया कि विविंग मशीन से चटाई बनाने में उन्हें कम समय लगता है। साथ ही, अच्छी फिनिशिंग भी आती है। विविंग मशीन तमिलनाडु़ से बुलाई गई है। महिलाओं का कहना है कि 1 मीटर चटाई बनाने में दो घंटे लगते हैं जिससे 200 रुपये की कमाई होती है। मांग को देखते हुए चटाई की संख्या घटाई-बढ़ाई जाती है। SHG की महिलाओं को केले के तने से फाईबर निकालने के लिए फाइबर एक्सट्रेक्टर मशीनें भी दी गई है। मशीन की मदद से तने से रेशा बहुत आसानी से निकल जाता है, इसमें ज्यादा मेहनत नहीं लगती।
Created On :   24 May 2025 6:06 PM IST