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चाय के बहाने कांग्रेस के निलंबित नेता देशमुख से मिले फडणवीस, बावनकुले
रघुनाथ सिंह लोधी, नागपुर। कांग्रेस के निलंबित नेता आशीष देशमुख भाजपा में वापसी के प्रयास में हैं। शनिवार को उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस व भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने देशमुख के सिविल लाइन स्थित आवास पर पहुंचकर उनसे विविध विषयों पर चर्चा की। हालांकि इस भेंट को लेकर कहा गया है कि यह चाय नाश्ते तक सीमित थी। लेकिन राजनीतिक क्षेत्र में विविध चर्चाओं को बल मिल रहा है। माना जा रहा है कि देशमुख भाजपा में वापसी के प्रयास में हैं। वे विधानसभा या लोकसभा चुनाव लड़ने की मंशा के साथ भाजपा में नई पारी शुरु करना चाहते हैं। देशमुख ने कहा है कि यह सामान्य भेंट थी। रासायनिक उपक्रम से संबंधित निवेदन फडणवीस को सौंपा गया है। उपमुख्यमंत्री फडणवीस शुक्रवार को सावनेर व काटोल विधानसभा क्षेत्र के दौरे पर थे। इस दौरान उन्होंने सावनेर में प्रमुखता से कहा था कि चुनाव में बाहरी व्यक्ति नहीं लाया जाएगा। भाजपा में आनेवालों के लिए दरवाजे खुले हैं। दौरे के बाद वे दिल्ली रवाना हुए। शनिवार को जिले में उनके विविध कार्यक्रम है। इन कार्यक्रमों के पहले वे बावनकुले के साथ देशमुख के आवास पर पहुंचे। उनके भेंट कार्यक्रम की सूचना संवाद माध्यम को दी गई। लिहाजा कुछ देर बाद ही इस संबंध में समाचार प्रसारित होने लगे।
सावनेर या काटोल
2009 के चुनाव में आशीष सावनेर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार थे। कांग्रेस उम्मीदवार सुनील केदार से पराजित हुए। 2014 में भाजपा ने आशीष को काटोल क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया। वहां उन्होंने अपने चाचा अनिल देशमुख को पराजित किया। राकांपा नेता अनिल देशमुख मंत्री रहते हुए चुनाव में पराजित हुए थे। 2019 के चुनाव के पहले आशीष ने विधायक पद से इस्तीफा देकर भाजपा छोड़ दी। उसके बाद कांग्रेस की टिकट पर उन्होंने फडणवीस के विरुद्ध चुनाव लड़ा था। उस चुनाव में पराजय के बाद आशीष कांग्रेस में भी असंतुष्ट रहने लगे। अब माना जा रहा है कि वे भाजपा में वापस होकर सावनेर या काटोल से चुनाव लड़ने की तैयारी कर सकते हैं। हालांकि राजनीति में कुछ भी स्थायी या तय नहीं होता है। आशीष लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी भी व्यक्त करते रहे हैं। 2019 के चुनाव में उन्होंने नागपुर से भाजपा नेता नितीन गडकरी के विरुद्ध चुनाव लड़ने की मंशा भी व्यक्त की थी। इसके अलावा विदर्भ की किसी भी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने को तैयार दर्शा रहे थे। ऐसे में यह भी माना जा सकता है कि आशीष को लोकसभा चुनाव की चाह भाजपा की राह पर ले आया है।
भाजपा में राह कितनी आसान
आशीष देशमुख के राजनीतिक कदम देखें तो यह भी सवाल उठ सकते हैं कि भाजपा में उनकी राह कितनी आसान रहेगी। कांग्रेस में प्रदेश व राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर बड़े बोल आशीष का निलंबित करा गया। भाजपा में भी वे चर्चा में रहे हैं। 2014 में भाजपा के नेतृत्व में सरकार गठन के दौर में आशीष ने यह कहकर विधायक पद से इस्तीफे की पेशकश की थी कि वे नितीन गडकरी को मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे योग्य नेता मानते हैं। गडकरी तब विधायक नहीं थे। आशीष उनके लिए इस्तीफा देने को तैयार थे। ताकि गडकरी काटोल से विधायक बन जाए। तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस व सरकार पर वे कटाक्ष करते रहे। यही नहीं विदर्भ आत्मबल यात्रा निकालकर आशीष ने भाजपा से बगावत कर दी थी। खुलकर कह रहे थे कि सच कहना बगावत है तो मैं बागी हूं। 2019 में दक्षिण पश्चिम नागपुर विधानसभा क्षेत्र में आशीष ने बतौर कांग्रेस उम्मीदवार चुनाव लड़ा। फडणवीस ने उन्हें पराजित किया। आशीष के पिता रणजीत देशमुख भी कभी फडणवीस के बड़े राजनीतिक विरोधी रहे हैं। 2004 में फडणवीस ने रणजीत देशमुख को पश्चिम नागपुर से पराजित किया था।
नाश्ते पर चर्चा : आशीष ने काफी समय से नाश्ते के लिए आमंत्रित किया था। उनसे नाश्ते के साथ विविध विषयों पर चर्चा हुई। इस भेंट का फिलहाल कोई बड़ा कारण नहीं है। देवेंद्र फडणवीस,उपमुख्यमंत्री
निवेदन दिया : विदर्भ में रासायनिक उपक्रम से संबंधित परियोजना के लिए उपमुख्यमंत्री फडणवीस को निवेदन िदया गया। वह निवेदन सहकार मंत्री अमित शाह को भेजने को कहा गया है। आशीष देशमुख, पूर्व विधायक
Created On :   20 May 2023 6:57 PM IST