विसर्जन के दौरान महिला पुलिस अधिकारी को नाचने के लिए पूछना अपराध नहीं

Asking a woman police officer to dance during immersion is not a crime
विसर्जन के दौरान महिला पुलिस अधिकारी को नाचने के लिए पूछना अपराध नहीं
एफआईआर रद्द विसर्जन के दौरान महिला पुलिस अधिकारी को नाचने के लिए पूछना अपराध नहीं

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने गणपति विसर्जन के दौरान ड्यूटी पर तैनात महिला पुलिस अधिकारी से उसके नाचने को लेकर पूछने के चलते आपराधिक मामले का सामना कर रहे एक वकील को राहत प्रदान की है। हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपी वकील पर आरोप है कि उसने साल 2013 में गणपति विसर्जन के दौरान ड्यूटी पर तैनात महिला पुलिस निरीक्षक से पूछा था कि क्या वे नाचने का इरादा रखती हैं। आरोपी का यह कथन व दूसरे शब्द महिला की मर्यादा को ठेस नहीं पहुंचाते हैं। इसलिए आरोपी वकील के खिलाफ सरकारी अधिकारी की ड्यूटी में बाधा डालने व अनादर पूर्ण शब्दों के जरिए महिला की मर्यादा को ठेस पहुंचाने के आरोप में दर्ज की गई एफआईआर को रद्द किया जाता है। 
आरोपी वकील के खिलाफ समता नगर पुलिस स्टेशन में 18  सितंबर 2013 को भारतीय दंड संहिता की धारा 353 (सरकारी अधिकारी के काम में बाधा डालना, धारा 509 (स्त्री की मर्यादा को ठेस पहुंचना) व धारा 504 के तहत मामला दर्ज किया गया था। जिसे  रद्द करने  की मांग को लेकर  आरोपी वकील ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति नीतिन सांब्रे व न्यायमूर्ति आर.एन लड्ढा की खंडपीठ के  सामने आरोपी वकील की याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान आरोपी की ओर से पैरवी कर रहे वकील एसजे मिश्रा ने कहा कि उनके मुवक्किल(आरोपी वकील) को इस मामले में फंसाया गया है। मेरे मुवक्किल ने महिला पुलिस अधिकारी के साथ न तो कोई अशिष्ट बर्ताव किया था और न ही उन पर कोई बल प्रयोग किया है। फिर भी मेरे मुवक्किल घटना को लेकर खेद व्यक्त करते हैं और प्रायश्चित स्वरुप स्वेच्छा से 11 हजार  रुपए महाराष्ट्र राज्य विधि सेवा प्राधिकरण में जमा कर दिया है। इस मामले से जुड़ी घटना से  किसी  अपराध का खुलासा नहीं होता है। 
वहीं सरकारी वकील ने आरोपी की याचिका का कड़ा विरोध  किया। सरकारी वकील के मुताबिक महिला पुलिस अधिकारी  पर  गणपति  विसर्जन के दौरान कानून-व्यवस्था को  कायम रखने की जिम्मेंदारी थी। उस पर दो हजार से अधिक लोगों की भीड़ को  नियंत्रित करने का दायित्व था। आरोपी ने इस दौरान न सिर्फ महिला पुलिस अधिकारी के निर्देशों की अनदेखी की बल्कि शराब के नशे में उसके साथ असभ्य तरीके से बर्ताव किया। आरोपी ने महिला पुलिस अधिकारी के खिलाफ अनादरपूर्ण शब्दों का इस्तेमाल किया है जो महिला की मर्यादा को ठेस पहुंचाते हैं। ऐसे में आरोपी के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करना उचित  नहीं होगा। 
मामले से जुड़े  दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि आरोपी द्वारा कथित रुप से कहे गए शब्दों  (महिला पुलिस अधिकारी से नाचने को लेकर पूछने के संबंध में) से महिला की मर्यादा को ठेस पहुंचानेवाले आशय का खुलासा नहीं होता है। इसके अलावा अभियोजन पक्ष ने दावा किया है कि जब मामले से जुड़ी घटना घटी तो उस समय आरोपी शराब के नशे में था लेकिन हमारे  सामने ऐसा कुछ भी पेश नहीं किया गया है, जिससे पता चले की आरोपी नशे में था। आरोपी ने महिला पुलिस अधिकारी से बिना शर्त माफी भी मांग ली है। इस तरह खंडपीठ ने मामले से जुड़े सभी पहलूओं पर विचार करने के बाद आरोपी वकील के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को  रद्द कर दिया। 
 

Created On :   25 Feb 2023 2:04 PM GMT

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