अकबर ने नहीं विग्रहराज ने बनवाई थी श्रीराम की तस्वीर वाली पहली स्वर्ण मुद्रा

Not Akbar, Vigraharaj had made a golden currency with the picture of Shri Ram
अकबर ने नहीं विग्रहराज ने बनवाई थी श्रीराम की तस्वीर वाली पहली स्वर्ण मुद्रा
अकबर ने नहीं विग्रहराज ने बनवाई थी श्रीराम की तस्वीर वाली पहली स्वर्ण मुद्रा

डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर।  अकबर ने राम-सीता की स्वर्ण मुद्रा ईसा 1585 में जारी किया था।  धारणा है कि यही सिक्का भारत में प्रथम स्वर्ण मुद्रा है। लेकिन इससे भी पूर्व अर्थात 12 वीं सदी में प्रभु रामचंद्र अंकित दुर्लभ स्वर्ण मुद्रा जारी किए जाने का प्रमाण मिला है।  1153  से 1163 के दौरान राज करने वाले साकंबरी चहमान नामक राजवंश के विग्रहराज-4  नामक राजा ने 4.02  ग्राम की स्वर्ण मुद्रा जारी की थी। देश में सबसे पुरातन केवल 2 ही स्वर्ण मुद्राएं मिली हैं। इसमें से एक स्वर्ण मुद्रा चंद्रपुर के इतिहास अनुसंधानकर्ता अशोक सिंह ठाकुर के पास उपलब्ध है।

उत्तरप्रदेश के अयोध्या में प्रभु श्रीराम मंदिर का भूमिपूजन होने जा रहा है। इस पृष्ठभूमि पर चंद्रपुर के ऐतिहासिक सिक्का संकलनकर्ता व इतिहास के जानकार अशोकसिंह ठाकुर ने बताया है कि 12 वीं सदी का प्रभु रामचंद्र अंकित दुर्लभ सिक्का उनके संकलन में है। यह सिक्का एक स्वर्णमुद्रा है। इसमें एक तरफ प्रभु श्रीराम का चित्र अंकित है। श्रीराम के एक हाथ में धनुष तो दूसरे हाथ में बाण अंकित है। साथ ही श्री राम लिखा हुआ है। जिसमें फूलों  की सजावट दी गई है। यहां कमल के फूल भी अंकित है। साथ ही एक हंस भी दिखाई दे रहा है। सिक्के के दूसरी तरफ देवनागरी लिपि मेंं तीन पंक्तियां हैं। इसमें श्री मदविग्र/हराजदे/व   अंकित है।  सिक्का उत्तम अवस्था में होने के साथ बेहद दुर्लभ है। अनुसंधान के दौरान यह सिक्का राजस्थान से प्राप्त हुआ है। 

सिक्के पर अंकित है रामजी की तस्वीर
प्रभु श्री रामचंद्र जी के जीवन पर निर्मित पुराने सिक्कों मेेंं से उनकी प्रतिमा अंकित होने वाला यह एक सिक्का है। प्राचीनकाल में भारत के मंदिरों में जिस प्रकार से शिल्पकला का उपयोग किया जाता था, उसी प्रकार सिक्के भी बनाए जाते रहे हैं।  -अशोकसिंह ठाकुर, ऐतिहासिक सिक्कों के संकलनकर्ता

प्रमाण नष्ट करने की हुई कोशिश 
देश में यह मान्यता रही है कि राजा अकबर ने  1585 में राम-सीता की स्वर्ण मुद्रा को जारी किया था। बाद में उनके वशंजों ने इसे बूतपरस्ती मानकर अमूमन सभी स्वर्ण सिक्कों को पिघलाकर यह प्रमाण नष्ट करने की कोशिश की थी। लेकिन चंद सिक्के बचे रह जाने  के वर्षों बाद  इसे अन्य इतिहासकारों द्वारा खोजे जाने के बाद इसे ही सर्वाधिक पुराना सिक्का माना जाता रहा है। अब राजा विग्रहराज-4 द्वारा जारी  1153 से 1163 के दौरान के स्वर्ण सिक्के ही सबसे प्राचीन माने जा रहे हैं।
 

Created On :   5 Aug 2020 9:40 AM GMT

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