हर माह 13 लाख बचाने के लिए दुकानदारों को ‘राशन सेवक’ बनाने की योजना

Ration shopkeeper will be called ration servant, save 13 lakhs every month, government will decide
हर माह 13 लाख बचाने के लिए दुकानदारों को ‘राशन सेवक’ बनाने की योजना
हर माह 13 लाख बचाने के लिए दुकानदारों को ‘राशन सेवक’ बनाने की योजना

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मानधन बढ़ाने की मांग को लेकर नाराज राशन दुकानदारों को मनाने के लिए जिला प्रशासन उन्हें "राशन सेवक"" का दर्जा देने की योजना बना रहा है। सरकार का अनुमान है कि इससे उसे हर माह 13 लाख रुपए की बचत होगी। योजना का खाका एक रिपोर्ट में सामने आएगा। फिलहाल रिपोर्ट प्रायमरी स्टेज में है आैर इस पर अभी बहुत काम होना बाकी है।

अभी क्या इंतजाम हैं ? 

नागपुर शहर में हर महीने 80 हजार क्विंटल अनाज (गेहूं, चावल) राशन दुकानों से बांटा जाता है। इसी तरह 370 क्विंटल चीनी वितरित की जाती है और अनाज पर 70 पैसे प्रति किलो और चीनी पर 1 रुपए प्रति किलो कमीशन दिया जाता है। 1 क्विंटल अनाज के परिवहन पर 15 रुपए खर्च किए जाते हैं। शहर में  650 राशन दुकानें हैं और अनाज वितरण पर इन्हें हर महीने 56 लाख रुपए कमीशन दिया जाता है। अनाज के साथ 3 लाख के बोरे भी दुकानदारों को मिलते हैं। परिवहन खर्च 12 लाख रुपए होता है। चीनी का कमीशन व अन्य खर्च मिलाकर 4 लाख रुपए खर्च किए जाते है। इस तरह 650 राशन दुकानदारों पर सरकार को हर महीने 75 लाख रुपए खर्च करने पड़ते हैं। इस खर्च में से 13 लाख कम करने की योजना  हैै। वरिष्ठ अधिकारी संबंधित रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं और रिपोर्ट Food ministry जाएगी, जिसे सरकार  देखेगी।

यह है सरकार का गणित 

हर दुकानदार को महीने का 10 हजार रुपए मानधन दिया तो इस पर 65 लाख रुपए खर्च आएगा। इसी तरह अनाज के बोरे वापस लेने पर 3 लाख की बचत होगी। इस प्रकार हर महीने 13 लाख की बचत होगी आैर कोषागार पर पड़ने वाला भार भी कम हो सकेगा। दुकानदारों को राशन सेवक बनाने के साथ ही राशन दुकान सुबह 10 से शाम 6 बजे तक खुली रहेगी। इधर, राशन दुकानदार 25 हजार मानधन देने की मांग कर रहे हैं, जिसे सरकार पहले ही ठुकरा चुकी है। दुकानदारों को राशन सेवक बनाकर, इनसे चुनाव से संबंधित काम लेने का भी जिक्र रिपोर्ट में किया जा सकता है। चुनाव के वक्त शिक्षकों को इस काम में लगाया जाता है, जिससे शिक्षक व विद्यार्थी दोनों को परेशानी होती है।

खर्च में कमी

जिला प्रशासन के अधिकारी ने बताया कि व्यवस्था बरकरार रखते हुए अगर खर्च में कमी हो सकती है, तो अच्छी बात है। चूंकि यह मामला अभी प्रायमरी स्टेज में है, इसलिए ज्यादा बोलना ठीक नहीं है। सरकार से अभी कोई निर्देश नहीं मिले हैं। सार्वजनिक वितरण प्रणाली आैर चुस्त बने, यह हमारा उद्देश्य है। 

पूरे स्टेट में लागू हो सकता है नागपुर मॉडल 

खाद्यान्न विभाग नागपुर मॉडल को कितना तवज्जो देता है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पूर्व District collector सौरभ राव व अभिषेक कृष्णा के समय राशन कार्ड में महिला सदस्य को प्रमुख बनाने का निर्णय हुआ आैर यह नागपुर मॉडल पूरे राज्य में लागू हुआ। इसी तरह राशन दुकानदारों ने मानधन की मांग पूरी नहीं होने पर राशन नहीं उठाने की चेतावनी दी थी। खाद्यान्न विभाग नागपुर के अधिकारियों ने राशन नहीं उठाने पर लोगों को होने वाली परेशानी दूर करने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था तैयार कर ली थी। सरकार को यह वैकल्पिक व्यवस्था पसंद आई आैर हड़ताल के दौरान पूरे राज्य में इस तरह की व्यवस्था करने के निर्देश अधिकारियों को दिए थे। सरकार ने वैकल्पिक व्यवस्था करने का दावा किया आैर हड़ताल की हवा ही निकल गई। खर्च में कमी का फार्मूला भी सरकार काे पसंद आ सकता है। 

 

Created On :   9 Aug 2017 5:19 PM IST

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story