URI और द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर Film review , पीएम पर भारी पड़ी सर्जिकल स्ट्राइक

URI और द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर Film review , पीएम पर भारी पड़ी सर्जिकल स्ट्राइक

Bhaskar Hindi
Update: 2019-01-11 07:21 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई। आज शुक्रवार है और आज 8 बॉलीवुड फिल्में रिलीज हुई हैं, लेकिन चर्चा सिर्फ दो फिल्मों की हैं क्योंकि दोनों बड़े बजट और बेहद अहम मुद्दों पर बनीं हैं। पहली फिल्म है दा एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर और दूसरी है URIः द सर्जिकल स्ट्र्राइक। पहली फिल्म पूर्व प्राइम मिनिस्टर डॉ. मनमोहन सिंह के पीएम कार्यकाल पर बनी हैं और दूसरी फिल्म 2016 में इंडियन आर्मी के पाकिस्तान में घुसकर आतंकी और पाक सेना को मार गिराने पर अधारित है। दोनों ही फिल्मों के प्लॉट दमदार है। दोनों मूवी का पहला शो लग चुका हैं। आइए आपको दोनों फिल्मों के रिव्यू बताते हैं। 


 

द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर

"द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर" को सिर्फ एक फिल्म के तौर पर लें और इससे जुड़ी सारी बातें भूल जाएं तो ये बेहद कमजोर फिल्म है, जो प्रोडक्शन और ट्रीटमेंट के लिहाज से निराश करती है। फिल्म में अनुपम खेर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह बने हैं तो अक्षय खन्ना ने उनके एडवाइजर संजय बारू का किरदार निभाया है। पूरी फिल्म इन्हीं दोनों के ईर्द-गिर्द घूमती है। "द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर " जल्दबाजी में बनाई गई फिल्म लगती है, और फिल्म में कई डिटेल्स में भी डायरेक्टर चूकते नजर आते हैं। फिल्म में संजय बारू को खुद को महाभारत का संजय बताते हैं। इस तरह मनमोहन सिंह की जिंदगी की महाभारत के संजय की नजरों से देखने का मौका मिलता है।

 

कैसी है कहानी?

"द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर की शुरुआत 2004 में सोनिया गांधी  के प्रधानमंत्री पद छो़ड़ने के साथ होती है और फिर मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाया जाता है। इसके बाद जर्नलिस्ट संजय बारू की एंट्री होती है और मनमोहन सिंह के चहेते होने की वजह से वो उनके मीडिया एडवाइजर बन जाते हैं। मनमोहन सिंह सोनिया गांधी का सम्मान करते हैं, संजय बारू की भाषा में कहें तो सोनिया उन्हें डिक्टेट करती हैं। संजय बारू मनमोहन सिंह को अपनी अलग पहचान बनाने के लिए प्रेरित करते हैं, लेकिन मनमोहन सिंह ठहरे अलग नेचर के। इस तरह फिल्म पूरी तरह से संजय बारू के कंधे पर सवार होकर चलती है और फिल्म के हीरो मनमोहन सिंह नहीं बल्कि संजय बारू हैं। संजय बारू हर चीज अपने मुताबिक चाहते हैं और कई बार तो फिल्म में ऐसा नजर आता है कि वो पीएमओ को चलाना चाहते हैं। कई मौकों पर वो मीडिया एडवाइजर से आगे के काम करते भी दिखते हैं।

अनुपम खेर ने पूर्व प्रधानमंत्री सिंह के कैरेक्टर को हूबहू परदे पर उतारने की कोशिश की है, लेकिन उनके बोलने का अंदाज कई बार हंसी ला देता है और फिर कई मौकों पर उनकी चाल भी खटकती है। मनमोहन सिंह का कैरेक्टर कई मौकों पर फिल्म में कॉमेडियन जैसा एहसास देता है। पूरी फिल्म पर अक्षय खन्ना छाए रहते हैं। अक्षय खन्ना और अनुपम खेर की अच्छी मेहनत है।

 

"द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर कहीं-कहीं डॉक्युमेंट्री जैसा एहसास भी देती है और फिल्म घिसटती हुई चलती है। महत्वपूर्ण दृश्यों में असल फुटेज का इस्तेमाल है। फिल्म की शूटिंग एक ही बिल्डिंग में की गई लगती है। "द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर की शूटिंग को इंग्लैंड में अंजाम दिया गया है। इस वजह से आउटडोर सीन्स न के बराबर हैं। अगर किताबों में ज्यादा इंट्रेस्ट नहीं लेते और संजय बारू की किताब को पढ़ना नहीं चाहते है तो फिल्म देख सकते हैं। बाकी इस फिल्म दम कम ही है।

 

"उरी- द सर्जिकल स्ट्राइक "

अब बात करते हैं फिल्म "उरी- द सर्जिकल स्ट्राइक " की। फिल्म को लेकर आ रहे पहले रिव्यूज अच्छे आ रहे हैं और दर्शकों को फिल्म पसंद आ रही है। ये एक देशभक्ति की फिल्म है जो कि सच्ची घटनाओं पर आधारित है। फिल्म की कहानी सेना के एक ऐसे ऑपरेशन के बारे में बताती जिसमें जवानों ने दुश्मन के घर में घुसकर अपने जवानों की शहादत का बदला लिया।

फिल्म में विक्की कौशल, मोहित रैना, परेश रावल और यामी गौतम जैसे स्टार्स हैं। फिल्म का निर्देशन आदित्य धार ने किया है, जो इससे पहले कई बेहतरीन फिल्मों के लिए बतौर लेखक काम कर चुके हैं। अगर आप भी इस वीकेंड "उरी" देखने का मन बना रहे हैं तो हम आपको पांच प्वाइंट्स में इस फिल्म का रिव्यू बता रहे हैं। जिसे पढ़कर आप इसे देखने या न देखने पर विचार कर सकते हैं।

फिल्म एक देश भक्ति फिल्म है। हमारे यहां वॉर पर तो कई फिल्में बनी हैं, लेकिन सेना के किसी असली मिशन पर बनने वाली फिल्मों ये पहली ही फिल्म है। हालांकि इससे पहले "द गाजी अटैक" और "राजी" जैसी कुछ फिल्में हैं लेकिन उन फिल्मों की कहानियां इस मिशन से बिल्कुल अलग थी। इस फिल्म में सेना के एक बेहद खास मिशन की बारीक डिटेल्स को भी पर्दे पर दिखाया गया है। जिसे जानने की इच्छा रखना और उसे बड़े पर्दे पर देखना एक अलग ही अनुभव है।

 

कैसी है कहानी?

फिल्म में इस मिशन की डिटेल्स को बेहद करीब से दिखाया गया है, इतना ही फिल्म में सिर्फ 28 सितंबर 2016 को हुई सर्जिकल स्ट्राइक ही नहीं बल्कि 3 अन्य सेना के बेहद कामयाब ऑपरेशन्स को दिखाया गया है, जिसमें गुरदासपुर अटैक भी शामिल है।

 

बेहतरीन कलाकारों से सजी फिल्म

फिल्म में एक से बढ़कर एक बेहतरीन कलाकार है और कहानी को बेहद बारीकी से लिखा गया है। एक्टर्स को जब तक आप पर्दे पर देखते हैं आपको एक पल के लिए भी ऐसा महसूस नहीं होता कि आप किसी फिल्म के हीरो को देख रहे हैं। बल्कि आपको उस कैरेक्टर में सेना का जवान और उसका जज्बा नजर आता है। कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि फिल्म सेना के शौर्य की शानदार कहानी को बयां करती है और इस फिल्म को जरूर देखा जाना चाहिए।
 

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